नई दिल्ली: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन से नाराजगी जताते हुए कैंपस में विशेष हवन का आयोजन किया. एबीवीपी के छात्रों ने 'जेएनयू प्रशासन बुद्धि शुद्धि यज्ञ' का नाम दिया. हवन के बाद के छात्रों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जेएनयू प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए.
एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने आज प्रेस कांफ्रेंस के जरिए से 11 मांगें सामने रखी हैं. कहा कि मूलभूत सुविधाओं के लिए छात्रों को परेशान होना पड़ रहा है. कहा कि छात्रों के हॉस्टल रेनोवेशन के काम में भ्रष्टाचार किया गया है. हॉस्टलों के रिनोवेशन के बाद भी उनके हालात बद से बदतर हैं. कैंपस के अंदर एक नया हॉस्टल 'बराक' बनकर तैयार है.
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हॉस्टल को बने लगभग डेढ़ साल हो गया, 4 फरवरी 2024 को उसका उद्घाटन भी हो गया फिर भी हॉस्टल का अलॉटमेंट नहीं किया जा रहा है. नया हॉस्टल बनने के बाद भी हॉस्टल की नई दीवारें खराब होनी शुरू हो गई हैं. अगर जेएनयू प्रशासन के खिलाफ कोई छात्र आवाज उठाता है तो उसको फाइन का नोटिस भेज दिया जाता है.
फेलोशिप का मुद्दा है, स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग (एसओई) का मुद्दा है जिसमें 496 करोड़ पास हो चुके है फिर भी उस बिल्डिंग का कोई आधार कहीं दिखाई नहीं दे रहा है. JNUSU पर आरोप लगाते हुए कहा कि छात्रसंघ छात्र हितों के मुद्दे से भटकाने की कोशिश कर रहा है. JNUSU जेएनयू एडमिनिस्ट्रेशन के इशारों पर नाच रहा है. JNUSU फिलिस्तीन का मुद्दा उठता है लेकिन छात्रों के हित की बात नहीं की जाती. आज हमारे प्रदर्शन का पांचवा दिन है. जब तक हमें कामयाबी नहीं मिल जाती तब तक आंदोलन को जारी रखेंगे. साथ ही अगर जरूरत पड़ी तो भूख हड़ताल भी करेंगे.
एबीवीपी जेएनयू मंत्री शिखा स्वराज ने कहा कि हॉस्टल जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर जब सवाल करते हैं तो फाइन लगा दिया जाता है. अगर आप पूछने जाते हैं कि हमारी फैलोशिप अभी तक क्यों नहीं आई तो एफआईआर कर दी जाती है. आप सवाल बिल्कुल भी नहीं पूछ सकते. सवाल पूछने पर लगभग 62 लोगों पर कुल मिलाकर 4 लाख रुपये से ज्यादा फाइन लगा दिया गया है. ये बिल्कुल तानाशाही है. ऐसा जेएनयू में कभी नहीं हुआ था.
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