नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित द्वारा जेएनयू छात्रों को एक समाचार एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में मुफ्तखोर कहने पर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जेएनयू छात्रसंघ की आपत्ति के बाद अब जेएनयू की विद्यार्थी परिषद इकाई ने भी उनके बयान की निंदा की है. विश्वविद्यालय की विद्यार्थी परिषद इकाई के अध्यक्ष राजेश्वरकांत दुबे ने कहा कि जेएनयू के छात्र टाइम्स और क्यूएस जैसे वैश्विक शैक्षणिक सूचकांकों में अग्रणी रैंक हासिल कर देश को गौरवान्वित कर रहे हैं. साथ ही वह शैक्षणिक ताकत को समृद्ध करने में योगदान भी दे रहे हैं.
जेएनयू के छात्रों को 'मुफ्तखोर' कहना नैतिक रूप से गलत है. वीसी की टिप्पणी जेएनयू के छात्र न केवल संवेदनहीन हैं, बल्कि एक संस्थान के रूप में जेएनयू की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का एक गंदा प्रयास है. उन्हें छात्रों के प्रति अपनी जिम्मेदारी के बारे में पता होना चाहिए. अभिभावक होने के नाते ऐसी टिप्पणियां नैतिक रूप से निराशाजनक हैं और एबीवीपी जेएनयू इनकी निंदा करती है. जेएनयू वीसी की ऐसी गैरजिम्मेदाराना टिप्पणियों का भी विरोध करती है. बता दें कि जेएनयू की कुलपति शुरू से ही जेएनयू परिसर के छात्रावास में अपनी पढ़ाई का समय पूरा होने के बाद भी छात्रों के रुकने को लेकर आपत्ति जताती रही हैं.
उन्होंने छात्रावास प्रमुखों को सख्त निर्देश दे रखे हैं कि कोई भी छात्र 5 साल से ज्यादा छात्रावास में नहीं रहना चाहिए. पढ़ाई पूरी होने के बाद किसी भी छात्र को छात्रावास में रहने की अनुमति नहीं है और इसका ध्यान रखा जाना चाहिए. वह बयान देकर पहले भी विवादों में आ चुकी हैं. इससे पहले उन्होंने कहा था कि जेएनयू में आकर लोग अपनी नौकरी और यूपीएससी की तैयारी में लग जाते हैं. यहां पढ़ाई पूरी होने के बाद भी एक-दो साल तक लोग छात्रावास के कमरों को खाली नहीं करते हैं और निजी हित में जेएनयू के संसाधन का दुरुपयोग करते हैं. इतना ही नहीं, वे बिना अनुमति के अपने अतिथियों को भी बुलाते हैं, जो यहां रुकते भी हैं. हम कमरों में जाकर जांच नहीं कर सकते. लेकिन, हम बाहर से ही इन सब चीजों पर निगरानी बढ़ाकर और आईकार्ड को अनिवार्य कर जेएनयू में मुफ्तखोरी को रोकने का काम करेंगे.
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कुलपति ने अपने बयान में किया हिजाब का समर्थन: बता दें, अपने साक्षात्कार में ही प्रोफेसर शांति श्री ने यह भी कहा था कि वह शिक्षा संस्थानों में ड्रेस कोड के खिलाफ हैं. सभी को अपनी इच्छा के अनुसार कपड़े पहनने की छूट होनी चाहिए. अगर कोई छात्रा अपने धर्म के आधार पर हिजाब पहनना चाहती है तो उसको नहीं रोका जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि किसी के पहनावे पर हम रोक नहीं लगा सकते इसका हमें अधिकार भी नहीं है.
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