रायपुर : पिछले सप्ताह छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले अंतर्गत अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुआ था. वहीं, एक एक्टिविस्ट और ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पिछले सप्ताह नारायणपुर में हुई मुठभेड़ फर्जी थी, जिसमें पुलिस ने 7 नक्सलियों को मारने का दावा किया था.
ग्रामीणों ने मुठभेड़ को बताया फर्जी : सोशल एक्टिविस्ट और ग्रामीणों का कहना है कि मारे गए लोगों में से पांच स्थानीय लोग थे, जो खेतों में काम कर रहे थे. उन्होंने यह भी दावा किया कि अबूझमाड़ क्षेत्र में मुठभेड़ के दौरान पुलिस की गोलीबारी की वजह से एक लड़की सहित चार नाबालिग घायल हो गए है. वहीं उनके दावों को खारिज करते हुए पुलिस ने कहा कि चारों नाबालिग नक्सलियों की गोलीबारी में घायल हो गए. नक्सलियों ने गोलीबारी के दौरान उन्हें मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया.
पुलिस का 7 नक्सलियों को मारने का दावा : 12 दिसंबर 2024 को पुलिस ने दावा किया था कि नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर दक्षिण अबूझमाड़ के कल्हाजा-दोंदरबेड़ा गांव की पहाड़ियों पर मुठभेड़ हुई थी. सुरक्षाकर्मियों की एक संयुक्त टीम के साथ मुठभेड़ में दो महिलाओं सहित सात नक्सली मारे गए थे. बाद में पुलिस ने कहा कि सभी सातों पर इनाम था. मारे गए नक्सलियों में माओवादियों की ओडिशा राज्य समिति के सदस्य रामचंद्र उर्फ कार्तिक, उर्फ दसरू 25 लाख रुपये का इनामी और 5 लाख रुपये का इनामी क्षेत्र समिति सदस्य, रमीला मडकम उर्फ कोसी शामिल हैं.
आदिवासियों को निशाना बनाने का आरोप : आदिवासी कार्यकर्ता सोनी सोरी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि 13 दिसंबर की रात को मुझे पता चला कि पुलिस गोलीबारी में कुछ बच्चे घायल हो गए हैं. जिसके बाद मैंने 14 दिसंबर को इलाके का दौरा किया और घायल बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया. इस दौरान आदिवासी कार्यकर्ता सोनी सोरी ने पुलिस पर नक्सलवाद को खत्म करने के नाम पर बच्चों सहित निर्दोष आदिवासियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया.
14 दिसंबर को मैंने रामली ओयाम (13), सोनू ओयाम (9) और चैतराम ओयाम (12) को भैरमगढ़ अस्पताल (बीजापुर जिला) में भर्ती कराया, जहां से उन्हें दंतेवाड़ा जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. बाद में रामली को जगदलपुर ले जाया गया और फिर रायपुर भेज दिया गया. फिलहाल, वह डीकेएस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल रायपुर में भर्ती है. 15 दिसंबर को एक अन्य घायल लड़के राजू नंदम (13) को भैरमगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया, जहां से उसे आगे के इलाज के लिए जगदलपुर ले जाया गया. : सोनी सोरी, सामाजिक कार्यकर्ता
ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप : स्थानीय लोगों के अनुसार, 11 दिसंबर को सुबह करीब 9 बजे सुरक्षाकर्मियों ने उन पर तब गोलियां चलाईं, जब वे नारायणपुर जिले के रेखावाया पंचायत के अंतर्गत कुम्माम और लेकावाड़ा गांवों के पास पहाड़ियों पर खेतों में काम कर रहे थे. उनमें से कुछ घायल हो गए, जबकि कई बच गए. जब पुलिस ने मुठभेड़ में मारे गए लोगों के बारे में दावा करते हुए तस्वीरें साझा कीं, तब पता चला कि उनमें से पांच ग्रामीण थे, जो अपने खेतों में काम कर रहे थे. केवल रामचंद्र और रमीला ही नक्सली थे.
रामली के पिता ने रायपुर में पीटीआई को बताया, "पुलिस ने अंधाधुंध गोलीबारी की, मेरी बेटी खेल रही थी. तभी पुलिस की गोलीबारी में वह घायल हो गई. वहां कोई नक्सली मौजूद नहीं था.
नक्सलियों ने ग्रामीणों को बनाया मानव ढाल : नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रभात कुमार ने कहा कि नक्सलियों ने अपने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की जान बचाने के लिए नाबालिगों सहित कुछ ग्रामीणों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया, जिसके कारण बच्चे घायल हो गए. सुरक्षा बलों ने वरिष्ठ माओवादी नेता और माड डिवीजन प्रभारी अल्लूरी कृष्णा कुमारी और 50-60 माओवादियों के रेखावाया, ईदवाड़ा, कल्हाजा, धोंधारबेड़ा, लेकावाड़ा, कोंडाकोटी और ब्रेहबेड़ा गांवों के पास मौजूद होने की सूचना के आधार पर 10 दिसंबर को अभियान शुरू किया था.
12 दिसंबर को हुई मुठभेड़ : नारायणपुर एसपी के मुताबिक, सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच गोलीबारी 12 दिसंबर को सुबह 8 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच हुई. मुठभेड़ के दौरान कुछ नक्सलियों के घायल होने के बाद उन्होंने कुछ ग्रामीणों और नाबालिगों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया. जिसके बाद अपने घायल कार्यकर्ताओं को निकालने के लिए सुरक्षा बलों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. सुरक्षा बलों ने "फायर कंट्रोल टैक्टिक्स" अपनाई, ताकि मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे लोगों को नुकसान न पहुंचे. इसके बाद माओवादी घायल कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों को लेकर घने जंगल में भागने में सफल रहे, जिन्हें उन्होंने मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया था.
नक्सलियों की गोलीबारी में चार नाबालिगों के घायल होने की जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने बच्चों को इलाज के लिए हायर सेंटर भेज दिया है. प्रथम दृष्टया पाया गया है कि माओवादियों ने ग्राम रक्षा दल, मिलिशिया, कुछ नाबालिगों और ग्रामीणों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया. इसके परिणामस्वरूप ये चार नाबालिग घायल हो गए : प्रभात कुमार, पुलिस अधीक्षक, नारायणपुर
नारायणपुर एसपी ने बताया कि पुलिस को जानकारी मिली है कि 12 दिसंबर की मुठभेड़ में कई और नक्सली घायल हुए हैं और उनका इलाज पास के जंगली इलाके में किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जानकारी का सत्यापन किया जा रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जताया संदेह : ग्रामीणों और कार्यकर्ता सोरी के आरोपों के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुठभेड़ पर संदेह जताया. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "जब सुरक्षा बल नक्सलियों से लड़ रहे थे, तो ये बच्चे कैसे घायल हो गए? क्या यह वाकई मुठभेड़ थी या निर्दोष लोगों की हत्या? फर्जी मुठभेड़ों के मामले में भाजपा सरकार का रिकॉर्ड खराब है. यहां तक कि इसके पिछले कार्यकाल में भी ऐसी कई घटनाएं हुई थीं."
केंद्र को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और राज्य सरकार को सावधानी बरतने का निर्देश देना चाहिए. अनुचित समय सीमा के भीतर माओवादियों को खत्म करने की अति महत्वाकांक्षी योजनाओं के चलते निर्दोष आदिवासी लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए : भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
अमित शाह ने नक्सलवाद खत्म करने किया दावा : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को अपने छत्तीसगढ़ दौरे के बीच कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस साल नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. इस दौरान राज्य में 287 नक्सलियों को ढेर किया गया और करीब 1,000 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 837 अन्य ने आत्मसमर्पण किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार 31 मार्च 2026 से पहले राज्य से नक्सलवाद की समस्या को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
(पीटीआई)