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रिसर्च ग्रांट पर टैक्स लगाना अनुचित, मोदी सरकार वापस ले प्रस्ताव: संदीप पाठक - Tax on Research Grants

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 7, 2024, 9:50 PM IST

केंद्र की मोदी सरकार ने 2017 से रिसर्च इंस्टीट्यूट को मिल रहे ग्रांट्स पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है. इसको लेकर आम आदमी पार्टी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. आप नेता संदीप पाठक ने कहा कि यह दुनिया के इतिहास में पहली बार है, जब कोई सरकार रिसर्च ग्रांट पर टैक्स लगा रही है.

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संदीप पाठक (ETV Bharat)

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार के टैक्स टेररिज्म का दायरा बढ़ते-बढ़ते अब रिसर्च कर रहे छात्रों की स्कॉलरशिप तक पहुंच गया है. सरकार ने 2017 से रिसर्च इंस्टीट्यूट को मिल रहे ग्रांट्स पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है. शनिवार को आम आदमी पार्टी के महासचिव संदीप पाठक ने प्रस्ताव की कड़ी निंदा करते हुए केंद्र सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है.

उन्होंने कहा कि यह दुनिया के इतिहास में पहली बार है, जब कोई सरकार रिसर्च ग्रांट पर टैक्स लगा रही है. सरकार ने सभी रिसर्च इंस्टीट्यूट को जीएसटी जमा करने के लिए शो कॉज नोटिस दिया है. सरकार तर्क दे रही है कि रिसर्च एक सर्विस है. इसलिए इसके लिए मिले ग्रांट्स पर जीएसटी लगनी चाहिए, जोकि बहुत ही हास्यास्पद है. क्योंकि अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, साउथ कोरिया, सिंगापुर समेत किसी भी विकसित व विकासशील देश में रिसर्च ग्रांट पर टैक्स नहीं लगता है. समस्त मानव जाति और देश के विकास के लिए होने वाले रिसर्च पर जीएसटी लगाना टैक्स टेररिज्म है.

आम आदमी पार्टी सांसद संदीप पाठक ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर कहा कि कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने रिसर्च ग्रांट्स पर टैक्स लगाया है जो उसकी नियत और टैक्स टेररिज्म पॉलिसी का बड़ा भयानक अध्याय है. केंद्र सरकार ने 2017 से देश की रिसर्च संस्थाओं को दिए ग्रांट्स पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव दिया है और सभी संस्थाओं को 2017 से अब तक मिले रिसर्च ग्रांट्स पर जीएसटी जमा करने के लिए शो कॉज नोटिस दिया है. सरकार ने इन संस्थाओं से करीब 220 करोड़ रुपए जीएसटी के रूप में मांगे हैं. इसमें आईआईटी दिल्ली जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थान भी शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: केजरीवाल सरकार ने वकीलों को चैंबर के लिए दी 200 यूनिट फ्री बिजली, द्वारका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के समारोह में बोलीं कानून मंत्री आत‍िशी

संदीप पाठक ने कहा कि भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के इतिहास में पहली बार कोई सरकार रिसर्च ग्रांट्स पर जीएसटी लगा रही है. केंद्र सरकार का तर्क है कि रिसर्च एक सर्विस है और यह सर्विस उपलब्ध करा रही है. इसलिए ग्रांट्स पर जीएसटी लगनी चाहिए. सरकार का यह तर्क बहुत हास्यास्पद है, क्योंकि कोई भी रिसर्च समस्त मानवजाति के लिए होता है और यह भविष्य में सभी लोगों की सेवा के लिए जरूरी होता है. रिसर्च और आरएनडी देश को आगे बढ़ाता है. इस पर देश का विकास आधारित है और सरकार उसी पर टैक्स लगा रही है. यह पूरी तरह से टैक्स टेररिज्म है.

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी रिसर्च ग्रांट पर जीएसटी लगाने के प्रस्ताव की घोर निंदा करती है. आगामी दिनों में जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है. केंद्र सरकार को बिना शर्त के इस फैसले को वापस लेना चाहिए. अगर इसे वापस नहीं लिया जाता है, तो आम आदमी पार्टी हर मंच पर इसके विरोध में आवाज उठाएगी, ताकि सरकार इस पॉलिसी को वापस ले. संदीप पाठक ने कहा कि रिसर्च के लिए मिलने वाली फंडिंग तो तीन जगह खर्च की जाती है. इससे रिसर्च के बच्चों को छात्रवृत्ति दी जाती है, संस्थानों में रिसर्च के लिए चीजें खरीदी जाती हैं और रिसर्च से संबंधित जरूरी उपकरण खरीदे जाते हैं. ये सभी चीजें खरीदते वक्त भी संस्थाएं जीएसटी देती हैं.

ये भी पढ़ें: केंद्र सरकार ने लिया पूजा खेडकर पर बड़ा एक्शन, तत्काल प्रभाव से IAS से हटाया

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार के टैक्स टेररिज्म का दायरा बढ़ते-बढ़ते अब रिसर्च कर रहे छात्रों की स्कॉलरशिप तक पहुंच गया है. सरकार ने 2017 से रिसर्च इंस्टीट्यूट को मिल रहे ग्रांट्स पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है. शनिवार को आम आदमी पार्टी के महासचिव संदीप पाठक ने प्रस्ताव की कड़ी निंदा करते हुए केंद्र सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है.

उन्होंने कहा कि यह दुनिया के इतिहास में पहली बार है, जब कोई सरकार रिसर्च ग्रांट पर टैक्स लगा रही है. सरकार ने सभी रिसर्च इंस्टीट्यूट को जीएसटी जमा करने के लिए शो कॉज नोटिस दिया है. सरकार तर्क दे रही है कि रिसर्च एक सर्विस है. इसलिए इसके लिए मिले ग्रांट्स पर जीएसटी लगनी चाहिए, जोकि बहुत ही हास्यास्पद है. क्योंकि अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, साउथ कोरिया, सिंगापुर समेत किसी भी विकसित व विकासशील देश में रिसर्च ग्रांट पर टैक्स नहीं लगता है. समस्त मानव जाति और देश के विकास के लिए होने वाले रिसर्च पर जीएसटी लगाना टैक्स टेररिज्म है.

आम आदमी पार्टी सांसद संदीप पाठक ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता कर कहा कि कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने रिसर्च ग्रांट्स पर टैक्स लगाया है जो उसकी नियत और टैक्स टेररिज्म पॉलिसी का बड़ा भयानक अध्याय है. केंद्र सरकार ने 2017 से देश की रिसर्च संस्थाओं को दिए ग्रांट्स पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव दिया है और सभी संस्थाओं को 2017 से अब तक मिले रिसर्च ग्रांट्स पर जीएसटी जमा करने के लिए शो कॉज नोटिस दिया है. सरकार ने इन संस्थाओं से करीब 220 करोड़ रुपए जीएसटी के रूप में मांगे हैं. इसमें आईआईटी दिल्ली जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थान भी शामिल हैं.

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संदीप पाठक ने कहा कि भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के इतिहास में पहली बार कोई सरकार रिसर्च ग्रांट्स पर जीएसटी लगा रही है. केंद्र सरकार का तर्क है कि रिसर्च एक सर्विस है और यह सर्विस उपलब्ध करा रही है. इसलिए ग्रांट्स पर जीएसटी लगनी चाहिए. सरकार का यह तर्क बहुत हास्यास्पद है, क्योंकि कोई भी रिसर्च समस्त मानवजाति के लिए होता है और यह भविष्य में सभी लोगों की सेवा के लिए जरूरी होता है. रिसर्च और आरएनडी देश को आगे बढ़ाता है. इस पर देश का विकास आधारित है और सरकार उसी पर टैक्स लगा रही है. यह पूरी तरह से टैक्स टेररिज्म है.

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी रिसर्च ग्रांट पर जीएसटी लगाने के प्रस्ताव की घोर निंदा करती है. आगामी दिनों में जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है. केंद्र सरकार को बिना शर्त के इस फैसले को वापस लेना चाहिए. अगर इसे वापस नहीं लिया जाता है, तो आम आदमी पार्टी हर मंच पर इसके विरोध में आवाज उठाएगी, ताकि सरकार इस पॉलिसी को वापस ले. संदीप पाठक ने कहा कि रिसर्च के लिए मिलने वाली फंडिंग तो तीन जगह खर्च की जाती है. इससे रिसर्च के बच्चों को छात्रवृत्ति दी जाती है, संस्थानों में रिसर्च के लिए चीजें खरीदी जाती हैं और रिसर्च से संबंधित जरूरी उपकरण खरीदे जाते हैं. ये सभी चीजें खरीदते वक्त भी संस्थाएं जीएसटी देती हैं.

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