जयपुर. सुप्रीम कोर्ट के जज और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि पूरे देश व प्रदेश में दी जाने वाली विधिक सेवाओं के आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि धरातल पर काम करने वाले पैरालीगल वॉलियंटर्स के जरिए ही विधिक सेवा का नया दौर शुरू किया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश के प्रो बोनो एडवोकेट पैनल व विधिक सेवा उपलब्धियों की सराहना करते हुए विधिक सेवा तंत्र को घर-घर पहुंचाने पर जोर दिया. जस्टिस खन्ना यह विचार शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट की स्थापना के 75 साल पूरा होने पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से प्लेटिनम जुबली कार्यक्रम के तहत न्याय की पहुंच में चुनौतियां और अवसर विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमीनार में रखे.
उन्होंने सकारात्मक प्रयास व जेल प्रशासन के साथ मिलकर प्री-अरेस्ट स्टेज से लेकर जेल में जाने वाले विचाराधीन बंदियों तक शीघ्र, सुलभ व गुणवत्तायुक्त न्याय दिलवाने के लिए भी कहा. उन्होंने वकीलों को वैकल्पिक विवाद निस्तारण व मध्यस्थता के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा कार्य करने के लिए प्रेरित किया. वहीं सुप्रीम कोर्ट जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि बतौर अधिवक्ता वे भी नियमित तौर पर प्रो-बोनो सेवाएं देते रहे. सीनियर एडवोकेट के साथ मिलकर भी उन्होंने प्रदेश में जज रहते हुए प्रो-बोनो संस्कृति को भी बढ़ावा दिया.
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हाईकोर्ट के सीजे व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के संरक्षक एमएम श्रीवास्तव ने प्रदेश में जारी विधिक सेवा गतिविधियों की जानकारी देते हुए रालसा की ओर से हर व्यक्ति को निशुल्क मुहैया कराई जा रही विधिक सेवाओं के बारे में बताया. इस दौरान रालसा की ओर से प्रकाशित दो किताबों बाल रचनाएं एवं एक्शन प्लान और रालसा चैट बॉट का भी विमोचन किया गया. कार्यक्रम में रालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस पंकज भंडारी व राजस्थान हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति, जोधपुर के अध्यक्ष डॉ पुष्पेन्द्र सिंह भाटी, हाईकोर्ट के जजेज, न्यायिक अधिकारी व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर व दी बार एसोसिएशन जयपुर के पदाधिकारियों सहित अधिवक्ता मौजूद रहे.