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Rajasthan: दीपावली को लेकर व्यापारियों के फैसले ने फिर छेड़ी बहस, ज्योतिषाचार्यों ने बताया ये रास्ता

दीपावली पर लक्ष्मी पूजन को लेकर ज्योतिषियों ने 31 अक्टूबर को शाम को और एक नवंबर को दिन में पूजा करने का सुझाव दिया है.

Laxmi Pujan on Deepawali
दीपावली को लेकर व्यापारियों के फैसले ने फिर छेड़ी बहस (Photo ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 6 hours ago

जयपुर: दीपावली मनाने को लेकर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. हालांकि, धर्म सभा में विद्वानों ने राजस्थान में 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया था, लेकिन इस फैसले को चैलेंज करते हुए जयपुर के व्यापारियों ने 1 नवंबर को दीपावली मनाने का फैसला लिया है. इसके बाद से एक बार फिर दीपावली मनाने को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है. अब ज्योतिषाचार्यों ने 1 नवंबर को भी दीपावली मनाए जाने को लेकर रास्ता सुझाया है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यदि 1 नवंबर को शाम को 6:16 के बाद यदि लक्ष्मी पूजन किया जाता है, तो वो प्रतिपदा काल होगा ना की अमावस्या काल.

जयपुर में दीवाली को लेकर फैसला (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर की दीपावली को निहारने के लिए देश-दुनिया से पर्यटक यहां आते हैं. जयपुर की खास रोशनी (सजावट) का 29 अक्टूबर को स्विच ऑन होगा. इसके मद्देनजर हर बाजार अलग थीम पर सजाया जा रहा है. इस बीच व्यापारियों ने यह भी बता दिया कि वे 31 अक्टूबर नहीं बल्कि 1 नवंबर को दीपावली मनाएंगे. इसके बाद से दीपावली मनाए जाने को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है.

पढें: राजस्थान में 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी दीपावली, धर्म सभा में विद्वानों ने लिया निर्णय

31 अक्टूबर को ही लग जाएगी अमावस्या: इस संबंध में ज्योतिषाचार्य डॉ मनोज गुप्ता ने बताया कि 31 अक्टूबर को दोपहर में 3:54 पर अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी. ऐसे में 1 नवंबर को सुबह सूर्योदय के समय भी अमावस्या की तिथि रहेगी. इसी को लेकर लोगों में अभी तक कंफ्यूजन है. बहुत से लोगों का मानना है कि सूर्योदय के समय जो तिथि होती है, वही फॉलो करनी चाहिए, लेकिन यहां तिथि मानने का प्रश्न नहीं, बल्कि त्योहार मनाने का भी प्रश्न है.

अमावस्या काल में हो मां लक्ष्मी का पूजन: उन्होंने बताया कि कुछ त्योहार ऐसे होते हैं जो किसी विशेष समय में ही मनाए जाते हैं. दीपावली ऐसा ही त्योहार है, जिसमें अमावस्या काल में माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. पूजन के समय अमावस्या तिथि का होना जरूरी है. इसलिए विवेक का इस्तेमाल करना होगा. 31 अक्टूबर को दोपहर में 3:54 पर अमावस्या तिथि शुरू होगी और अगले दिन 1 नवंबर को शाम को 6:16 तक रहेगी. ऐसे में जो लोग 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन शाम को 6:16 बजे के बाद करते हैं, उनके लिए उस समय अमावस्या नहीं रहेगी, लेकिन यदि लक्ष्मी पूजन 4:00 के बाद अर्धरात्रि तक कभी भी लक्ष्मी पूजन करते हैं तो दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनानी चाहिए.

एक नवंबर को दिन में करें लक्ष्मी पूजन: उन्होंने कहा कि यदि दिन में 4:00 से पहले पूजन कर लेते हैं, तो ऐसे लोगों के लिए दीपावली 1 नवंबर को मनाना उचित रहेगा. 1 नवंबर को शाम को 6:16 के बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी. वहीं ज्योतिषाचार्य डॉ अमित व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है. इसी दिन समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें से माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था. इसी वजह से इस दिन को माता लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में भी मनाते हैं. लक्ष्मी जी का पूजन करने से ही धार्मिक, आध्यात्मिक और भौतिक सुख प्राप्त होते हैं.

यह भी पढें: भीलवाड़ा में 1 नवंबर को मनाएंगे दीपावली, ज्योतिषियों ने की अवकाश में बदलाव की मांग

1 को दोपहर में करें प्रतिष्ठान पूजा: ज्योतिषाचार्य डॉ अमित ने बताया कि इस बार अमावस्या की तिथि 2 दिन आने के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है. हालांकि ज्योतिषाचार्यों ने स्पष्ट कर दिया है कि 31 अक्टूबर को प्रदोष काल भी रहेगा, वृषभ लग्न और रात्रि कालीन समय में अमावस्या भी रहेगी, लेकिन पंचांग निर्माता ये तर्क देते हैं जिस वक्त सूर्य उदय होता है, उस उदया तिथि के अनुसार 1 नवंबर को अमावस्या मानी जाएगी. हालांकि दीपावली रात को मनाई जाती है. इस वजह से ये प्रश्न सामने आया है. लेकिन उनका मानना है 1 नवंबर को 6:16 तक अमावस्या रहेगी. उससे पहले प्रदोष काल भी रहेगा. ऐसे में प्रदोष व्यापिनी लक्ष्मी माता की पूजा करना शास्त्र सम्मत है. उन्होंने बताया कि अमावस्या तिथि का अंतिम चरण प्रभावशाली होता है, ऐसे में परिणाम स्वरूप 1 नवंबर को दीपावली मनानी चाहिए. व्यापारी वर्ग भी 1 नवंबर को दीपावली मनाने के पक्ष में है. इसलिए ये उचित फैसला भी है. लेकिन उन्हें 1 नवंबर को दोपहर में 12:00 बजे से 1:54 बजे तक व्यापारिक प्रतिष्ठान में पूजा करनी चाहिए और शाम को 3:56 से 6:16 तक प्रदोष व्यापिनी अमावस्या में घर पर माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए.

जयपुर: दीपावली मनाने को लेकर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. हालांकि, धर्म सभा में विद्वानों ने राजस्थान में 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया था, लेकिन इस फैसले को चैलेंज करते हुए जयपुर के व्यापारियों ने 1 नवंबर को दीपावली मनाने का फैसला लिया है. इसके बाद से एक बार फिर दीपावली मनाने को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है. अब ज्योतिषाचार्यों ने 1 नवंबर को भी दीपावली मनाए जाने को लेकर रास्ता सुझाया है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यदि 1 नवंबर को शाम को 6:16 के बाद यदि लक्ष्मी पूजन किया जाता है, तो वो प्रतिपदा काल होगा ना की अमावस्या काल.

जयपुर में दीवाली को लेकर फैसला (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर की दीपावली को निहारने के लिए देश-दुनिया से पर्यटक यहां आते हैं. जयपुर की खास रोशनी (सजावट) का 29 अक्टूबर को स्विच ऑन होगा. इसके मद्देनजर हर बाजार अलग थीम पर सजाया जा रहा है. इस बीच व्यापारियों ने यह भी बता दिया कि वे 31 अक्टूबर नहीं बल्कि 1 नवंबर को दीपावली मनाएंगे. इसके बाद से दीपावली मनाए जाने को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है.

पढें: राजस्थान में 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी दीपावली, धर्म सभा में विद्वानों ने लिया निर्णय

31 अक्टूबर को ही लग जाएगी अमावस्या: इस संबंध में ज्योतिषाचार्य डॉ मनोज गुप्ता ने बताया कि 31 अक्टूबर को दोपहर में 3:54 पर अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी. ऐसे में 1 नवंबर को सुबह सूर्योदय के समय भी अमावस्या की तिथि रहेगी. इसी को लेकर लोगों में अभी तक कंफ्यूजन है. बहुत से लोगों का मानना है कि सूर्योदय के समय जो तिथि होती है, वही फॉलो करनी चाहिए, लेकिन यहां तिथि मानने का प्रश्न नहीं, बल्कि त्योहार मनाने का भी प्रश्न है.

अमावस्या काल में हो मां लक्ष्मी का पूजन: उन्होंने बताया कि कुछ त्योहार ऐसे होते हैं जो किसी विशेष समय में ही मनाए जाते हैं. दीपावली ऐसा ही त्योहार है, जिसमें अमावस्या काल में माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. पूजन के समय अमावस्या तिथि का होना जरूरी है. इसलिए विवेक का इस्तेमाल करना होगा. 31 अक्टूबर को दोपहर में 3:54 पर अमावस्या तिथि शुरू होगी और अगले दिन 1 नवंबर को शाम को 6:16 तक रहेगी. ऐसे में जो लोग 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन शाम को 6:16 बजे के बाद करते हैं, उनके लिए उस समय अमावस्या नहीं रहेगी, लेकिन यदि लक्ष्मी पूजन 4:00 के बाद अर्धरात्रि तक कभी भी लक्ष्मी पूजन करते हैं तो दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनानी चाहिए.

एक नवंबर को दिन में करें लक्ष्मी पूजन: उन्होंने कहा कि यदि दिन में 4:00 से पहले पूजन कर लेते हैं, तो ऐसे लोगों के लिए दीपावली 1 नवंबर को मनाना उचित रहेगा. 1 नवंबर को शाम को 6:16 के बाद प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी. वहीं ज्योतिषाचार्य डॉ अमित व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है. इसी दिन समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें से माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था. इसी वजह से इस दिन को माता लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में भी मनाते हैं. लक्ष्मी जी का पूजन करने से ही धार्मिक, आध्यात्मिक और भौतिक सुख प्राप्त होते हैं.

यह भी पढें: भीलवाड़ा में 1 नवंबर को मनाएंगे दीपावली, ज्योतिषियों ने की अवकाश में बदलाव की मांग

1 को दोपहर में करें प्रतिष्ठान पूजा: ज्योतिषाचार्य डॉ अमित ने बताया कि इस बार अमावस्या की तिथि 2 दिन आने के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है. हालांकि ज्योतिषाचार्यों ने स्पष्ट कर दिया है कि 31 अक्टूबर को प्रदोष काल भी रहेगा, वृषभ लग्न और रात्रि कालीन समय में अमावस्या भी रहेगी, लेकिन पंचांग निर्माता ये तर्क देते हैं जिस वक्त सूर्य उदय होता है, उस उदया तिथि के अनुसार 1 नवंबर को अमावस्या मानी जाएगी. हालांकि दीपावली रात को मनाई जाती है. इस वजह से ये प्रश्न सामने आया है. लेकिन उनका मानना है 1 नवंबर को 6:16 तक अमावस्या रहेगी. उससे पहले प्रदोष काल भी रहेगा. ऐसे में प्रदोष व्यापिनी लक्ष्मी माता की पूजा करना शास्त्र सम्मत है. उन्होंने बताया कि अमावस्या तिथि का अंतिम चरण प्रभावशाली होता है, ऐसे में परिणाम स्वरूप 1 नवंबर को दीपावली मनानी चाहिए. व्यापारी वर्ग भी 1 नवंबर को दीपावली मनाने के पक्ष में है. इसलिए ये उचित फैसला भी है. लेकिन उन्हें 1 नवंबर को दोपहर में 12:00 बजे से 1:54 बजे तक व्यापारिक प्रतिष्ठान में पूजा करनी चाहिए और शाम को 3:56 से 6:16 तक प्रदोष व्यापिनी अमावस्या में घर पर माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए.

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