शिमला: कहावत है-एक अनार, सौ बीमार, लेकिन हिमाचल में बेरोजगारी का आलम ये है कि कहावत को नया रूप देना पड़ेगा. पुलिस में कॉन्स्टेबल के 1088 पड़ भरे जाने हैं. आवेदन की अंतिम तारीख 31 अक्टूबर थी. चूंकि अनेक युवा वेबसाइट हैंग होने के कारण आवेदन नहीं कर पाए, लिहाजा हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अंतिम तिथि 12 नवम्बर तक बढ़ा दी है.
अभी स्थिति ये है कि 1088 पदों के लिए 90 हजार से अधिक आवेदन आये हैं. ये संख्या डेढ़ लाख तक पहुंचने के आसार हैं. लोक सेवा आयोग के चेयरमैन कैप्टेन रामेश्वर सिंह ठाकुर के अनुसार अब तक 90 हजार से अधिक आवेदन आ चुके हैं. अब अंतिम तारीख बढ़ाई गई है. आयोग के समक्ष अनेक आग्रह आये कि साईट हैंग होने के कारण परेशानी आ रही है.
डेढ़ लाख से अधिक हो सकती है आवेदकों की संख्या
ऐसे में आवेदन की डेट बढ़ाई गई है. अब 12 नवम्बर रात 11 बजकर 59 मिनट तक ऑनलाइन फॉर्म भर जा सकेगा. सम्भव है तब तक आवेदन करने वाले युवाओं की संख्या डेढ़ लाख क्रॉस कर जाए. तब कहावत इस तरह कही जाएगी, 1088 अनार, डेढ़ लाख बीमार. जयराम सरकार के समय पुलिस भर्ती में पेपर लीक हुआ था. उसकी सीबीआई जांच की बात हुई थी. उसके बाद ये पहली पुलिस भर्ती है. युवा दो साल से भी अधिक समय से इसका इंतजार कर रहे हैं.
हिमाचल में 8.82 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार
हिमाचल छोटा पहाड़ी राज्य है. यहां युवाओं का सपना पढ़ने के बाद किसी तरह सरकारी नौकरी हासिल करना होता है. दो साल पहले यानी 2022 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 8.82 लाख युवा रोजगार के लिए पंजीकृत थे. विभिन्न रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत युवाओं की संख्या 8 लाख, 82 हजार, 269 थी. इसमें से चार लाख से अधिक युवा प्लस टू डिग्री वाले हैं. पुलिस भर्ती के लिए यही वर्ग सबसे अधिक प्रयास करता है. आंकड़े फरवरी 2022 के हैं. इस बारे में विधानसभा में सवाल किया गया था. तब राज्य में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकार सत्तासीन थी.
कांग्रेस ने किया था पांच लाख नौकरियों का वादा
चुनाव पूर्व कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनने के बाद पहली ही कैबिनेट में एक लाख सरकारी नौकरी निकाली जाएगी. पांच साल में पांच लाख सरकारी नौकरियों के वादा किया गया था. हालांकि मौजूदा परिस्थितियों में पांच साल में पचास हजार सरकारी नौकरी देना भी सम्भव नहीं है.
सामाजिक कार्यकर्ता जीया नन्द शर्मा का कहना है कि, 'सरकारी सेक्टर में नौकरियों की संख्या लगातार घट रही है. सरकार कोई भी हो वो फंक्शनल पद भी पूरे नहीं भरती. आउट सोर्स की प्रथा को बढ़ाया जा रहा है. आलम ये है कि आउट सोर्स पर रखे गए युवाओं को भी निकाल दिया जाता है. ये गंभीर स्थिति है. सरकारी आंकड़े बेशक 8 लाख से अधिक बेरोजगार बताते हैं लेकिन ये संख्या 11 लाख से अधिक है.'
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