लखनऊ: लखनऊ के इंदिरानगर निवासी पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने 81 साल की उम्र में दूसरी शादी रचाई है. उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी दूसरी शादी की पोस्ट के जरिए यह जानकारी है.
दारापुरी के दोस्तों ने बताया, कि वह बहुत ही सज्जन और बात के पक्के इंसान हैं. वह हमेशा समाज और लोगों की भलाई के बारे में सोचते है. उनकी तबियत भी खराब रहती है इसलिए उन्होंने दूसरी शादी की वह भी एक साधारण महिला से. एसआर दारापुरी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लखनऊ में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान भीड़ को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार भी हो चुके है. इसके बाद से वह काफी चर्चा में रहे. इस घटनाक्रम के बाद प्रियंका गांधी दारापुरी के परिवार से मिलने पहुंचीं थीं. 1972 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे एसआर दारापुरी को पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं.
लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं: दारापुरी साल 2014 में लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. वह 40 वर्ष तक भारतीय पुलिस सेवा के अलग-अलग पदों पर काम कर चुके हैं. एसआर दारापुरी के परिवार के अनुसार, रिटायरमेंट के बाद से ही वह आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों के लिए काम करते हैं. दारापुरी आंबेडकर महासभा समेत तमाम संगठनों के पदाधिकारी के रूप काम करते रहे हैं. इसके अलावा दारापुरी कई संगठनों में सक्रिय सदस्य के रूप में काम करते रहे हैं.
एसआर दारापुरी का जन्म 16 दिसंबर 1943 को पंजाब के जालंधर जिले के दारापुर गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम नरंजन राम है. दारापुरी एक अम्बेडकरवादी हैं. उन्होंने 1964 में रामघरिया कॉलेज, फगवाड़ा (पंजाब) से विज्ञान स्नातक की पढ़ाई पूरी की. वे उत्तर प्रदेश के 1972 बैच के भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी हैं. उत्तर प्रदेश में वह पुलिस महानिरीक्षक बने. दारापुरी की अंतिम नियुक्ति सशस्त्र प्रशिक्षण केंद्र, सीतापुर में हुई थी और वे 31 दिसंबर 2003 को सेवानिवृत्त हुए.
एसआर दारापुरी ने किए ये काम: एसआर दारापुरी ने पंजाब में विज्ञान व्याख्याता, राष्ट्रीय बचत संगठन (जीओआई) के जिला आयोजक, वित्त मंत्रालय (जीओआई), नई दिल्ली में सहायक और बॉम्बे में सीमा शुल्क विभाग (जीओआई) में सीमा शुल्क मूल्यांकक के रूप में काम किया. सेवानिवृत्त होने के बाद से वह मानवाधिकार, दलित अधिकार, आरटीआई, भोजन और शिक्षा के अधिकार आदि के मुद्दों पर सक्रिय रहे. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज, उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष पद पर रहे. इसके अलावा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सलाहकार के रूप में भी उन्होंने काम किया.