पंचकूला: हरियाणा समेत उत्तर भारत के राज्यों में नशा तस्करी रोकने, संगठित अपराध नियंत्रण, गैंगस्टरों पर शिकंजा कसने व अन्य आपराधिक गतिविधियों को लेकर पंचकूला में सात राज्यों के पुलिस महानिदेशकों, एनआईए, एनसीबी, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और स्पेशल टास्क फोर्स हरियाणा के अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक हुई.
इस बैठक में सात राज्यों-हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, चंडीगढ़, राजस्थान और उत्तराखंड आदि में अपराधिक गतिविधियां रोकने के लिए आपसी समन्वय स्थापित करने बारे में चर्चा की गई. इसके अतिरिक्त मीटिंग में अंतरराज्यीय ड्रग सचिवालय के कार्यान्वयन और सीमा पार चल रहे नशा तस्करी व संगठित अपराध को रोकने और प्रदेश पुलिस के बेहतर तालमेल पर चर्चा की गई.
हरियाणा में 80 आपराधिक गैंग सक्रिय: संगठित हिंसक अपराध बारे जानकारी देते हुए एसपी स्पेशल टास्क फोर्स वसीम अकरम ने बताया कि हरियाणा में वर्तमान में 80 आपराधिक गैंग सक्रिय हैं. इनमें से आठ बड़े गैंग ऐसे हैं, जो दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में फिरौती आदि की मांग करती हैं. इसके अलावा बैठक में अपराध के लिए इस्तेमाल होने वाले सिम कार्ड और विभिन्न नेटवर्क आदि का इस्तेमाल करने, किराएदारों व कर्मचारी की पुलिस वेरिफिकेशन कराने आदि बारे विस्तार से चर्चा की गई.
विदेश बने पॉइंट ऑफ कांटेक्ट: बैठक में अधिकारियों ने बताया कि सभी गैंग ने विदेशों में अपने पॉइंट ऑफ कांटेक्ट बना लिए हैं और वहीं बैठकर अपनी गैंग चला रहे हैं. इस दिशा में सभी राज्यों की पुलिस के संगठित प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं. बताया गया कि दुबई, पाकिस्तान, अर्मेनिआ, बैंकाक, थाईलैंड जैसे देशों से लेकर अमेरिका, पुर्तगाल और कनाडा में भी ये कुख्यात अपराधी छुपे हुए हैं. इन्हें वापस लाने के लिए पुलिस इंटरपोल से संपर्क में है. अधिकारियों ने कहा कि प्रदेश पुलिस द्वारा जल्द ही इन्हें डिपोर्ट करवा लिया जाएगा. हरियाणा पुलिस ने वर्तमान में 35 लुक आउट नोटिस जारी किए हैं और 22 पासपोर्ट रिवोक कर लिए हैं.
अपराध नियंत्रण को लेकर रूपरेखा साझा: सभी अधिकारियों ने अपने राज्यों में अपराध नियंत्रण को लेकर जारी प्रयासों व बेस्ट प्रैक्टिसेज को साझा किया. विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपराध की वर्तमान स्थिति व चुनौतियों बारे रूपरेखा प्रस्तुत की गई. ये भी बताया गया कि किस प्रकार वर्तमान परिवेश में अपराधी विदेश में अपराध के नेटवर्क को बढ़ा रहे हैं और वहां बैठकर देश में अपराध कर रहे हैं.
नशा संगठित अपराध आय का प्रमुख स्रोत: बैठक में प्रेजेंटेशन के माध्यम से एनसीबी डिप्टी डायरेक्टर जनरल संबित मिश्रा ने बताया कि नशा तस्करी के रूट पहचानने की ज़रूरत है, ताकि सभी प्रदेश अफीम व अन्य मादक पदार्थों की सीमा पार तस्करी पर रोक लगा सकें. नशा ही संगठित अपराध की आय का प्रमुख स्त्रोत है. बताया कि आदतन अपराधियों की नजरबंदी में हरियाणा प्रदेश ने बेहतरीन काम किया है. लेकिन नशा मुक्त भारत के लिए संगठित होकर काम करना जरूरी बताया.
सोशल मीडिया पर रहेगी पैनी नजर: बैठक में एनआईए के डीआईजी संतोष कुमार मीणा ने बताया कि संगठित अपराध रोकने के लिए अपराधियों की पहचान करना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि अपराधी विभिन्न प्लेटफार्म से विशेषकर युवाओं को टारगेट करते हैं, इससे उन्हें गैंग की आपराधिक गतिविधियों में शामिल किया जाता है. उन्होंने कहा कि कई बार युवा ग्लैमराइजेशन से प्रभावित होकर उनके गैंग का हिस्सा बनते हैं. ऐसे में सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित होने वाले इस प्रकार के अकाउंट पर कड़ी नजर रखना जरूरी है.
अपराध के लिए नशा तस्करी से पैसा: बैठक में मुख्य रूप से नशा तस्करी रोकने को लेकर विस्तार से विचार विमर्श किया गया. यहां बताया गया कि आपराधिक गतिविधियों और आतंक आदि में नशे के माध्यम से पैसे जुटाए जाते हैं, जो चिंता का विषय है. बैठक में ये भी चर्चा की गई कि नशे की आवाजाही के लिए अपराधी किस प्रकार युवाओं को निशाना बनाते हैं.
संयुक्त टीम अपराधियों का डाटाबेस सांझा करेगी: बैठक में नशा तस्करी पर अंकुश लगाने को लेकर सभी राज्यों के बीच अच्छा कोआर्डिनेशन होने की आवश्यकता पर बल दिया गया. सभी अधिकारियों ने इस बात पर सहमति जताई कि राज्यों के बीच अपराधियों का डेटाबेस साझा करने के लिए राज्यों की संयुक्त टीम बनाई जानी चाहिए, ताकि आपसी तालमेल से काम किया जा सके.
सभी राज्य अंतरराज्यीय ड्रग सचिवालय के बेहतर कार्यान्वयन हेतु अपने प्रदेश में एसपी रैंक में नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे, ताकि सूचनाओं का वास्तविक समय में आदान-प्रदान किया जाएगा. बैठक में अंतर्राजीय ड्रग सचिवालय को सुदृढ़ करने और अपराधिक गतिविधियों संबंधी विभिन्न मुद्दों पर राज्यों ने अपने-अपने विचार रखे.