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Delhi: बसों में महिलाओं को शाम 5 बजे के बाद लगता है डर!, 45% बस से नहीं करतीं सफर, रिपोर्ट में खुलासा

-ये रिपोर्ट सरकार की आंखें खोल देगी ! -दिल्ली की बसों में बेटियां सेफ नहीं! -5 बजे के बाद बस में लगता है डर

दिल्ली में बसों में असुरक्षित महसूस करती हैं महिलाएं
दिल्ली में बसों में असुरक्षित महसूस करती हैं महिलाएं (SOURCE: ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 4 hours ago

Updated : 4 hours ago

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की ‘पिंक टिकट’ योजना के पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं. ग्रीनपीस इंडिया की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें महिलाओं की बस यात्रा में सुरक्षा से जुड़ी गंभीर चिंताओं को उजागर किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 77 प्रतिशत महिलाएं शाम 5 बजे के बाद बस में यात्रा करते समय असुरक्षित महसूस करती हैं. वहीं 88 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि पिंक टिकट’ योजना सार्वजनिक बस यात्रा को प्रोत्साहित करने में बेहद प्रभावी है.

ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की 45 प्रतिशत महिलाएं बस का उपयोग नहीं करतीं हैं, जबकि 35 प्रतिशत महिलाएं या तो प्रतिदिन या सप्ताह में 3 से 5 दिन बस से यात्रा करती हैं. इस सर्वेक्षण में 510 महिलाओं से फील्ड सर्वे व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से प्रतिक्रियाएं एकत्रित की गईं. इसके नतीजों से पता चला कि 25 प्रतिशत महिलाओं ने किराया मुक्त योजना लागू होने के बाद से बसों का उपयोग शुरू किया, जिसमें से 23 प्रतिशत महिलाएं हफ्ते में कम से कम चार बार बस में सफर करती हैं.

'बस के लिए करना पड़ता है लंबा इंतजार, स्टैंड पर पूरी तरह से रौशनी भी नहीं होती'
रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं को बस में यात्रा के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. रिपोर्ट बताती है कि आधे से कम महिला बस यात्री बस स्टॉप तक पहुंचने, वहां इंतजार करने और बस में सफर करने के दौरान स्वयं को ‘आमतौर पर सुरक्षित’ महसूस करती हैं. दो-तिहाई महिलाएं बस स्टॉप पर रोशनी को अपर्याप्त मानती हैं.

'शाम को सफर करने से बचती हैं महिलाएं, बस के लिए करना पडता है आधे घंटे इंतजार'
असुरक्षा के चलते महिलाएं शाम को यात्रा करने से बचती हैं, जिससे उनका आवागमन सीमित हो सकता है. बसों की उपलब्धता की समस्या भी एक अहम मुद्दा है. 87 प्रतिशत महिलाएं बताती हैं कि उन्हें बस का इंतजार 10 मिनट से अधिक करना पड़ता है. जबकि 13 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि वे 30 मिनट से भी अधिक प्रतीक्षा करती हैं. ऐसे में, महिलाएं बस सेवा को अपने यात्रा के समय के हिसाब से उपयोग करने में असमर्थ महसूस करती हैं.

1 लाख रुपये तक कमाने वाली 58 प्रतिशत महिलाएं बस में करती हैं सफर
रिपोर्ट में आय के आधार पर बस यात्रा में अंतर को भी रेखांकित किया गया है. निचले आय वर्ग में 75 प्रतिशत महिलाएं सप्ताह में कम से कम 3 से 5 दिन बस का उपयोग करती हैं. मध्यम आय वर्ग की 60 प्रतिशत महिलाएं इतनी बार बस से यात्रा करती हैं. उच्च आय वर्ग में, 50,000 से 1 लाख रुपए मासिक आय वाली 57 प्रतिशत महिलाएं बस का दैनिक उपयोग करती हैं. ये सभी वर्गों में सबसे अधिक है.

69 प्रतिशत महिलाएं मेट्रो का करती हैं प्रयोग
ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट में यह भी साझा किया गया है कि 69 प्रतिशत महिलाएं आमतौर पर यात्रा के लिए मेट्रो का उपयोग करती हैं. वहीं ई-रिक्शा और साझा ऑटो का उपयोग सबसे अधिक लोकप्रिय माना गया है, जो महिलाओं के लिए सुलभ है. इसके अतिरिक्त टैक्सी और कैब का उपयोग केवल 34 प्रतिशत महिलाओं के लिए सुलभ है. रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि दिल्ली सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिक कदम उठाए.

ये भी पढ़ें- हटाए गए 10 हजार बस मार्शलों को दिवाली पर नौकरी का तोहफा, जानिए CM आतिशी ने क्या कहा?

ये भी पढ़ें- DTC बसों में आज से महिलाओं के लिए फ्री यात्रा शुरू, बांटे जा रहे पिंक टिकट

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की ‘पिंक टिकट’ योजना के पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं. ग्रीनपीस इंडिया की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें महिलाओं की बस यात्रा में सुरक्षा से जुड़ी गंभीर चिंताओं को उजागर किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 77 प्रतिशत महिलाएं शाम 5 बजे के बाद बस में यात्रा करते समय असुरक्षित महसूस करती हैं. वहीं 88 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि पिंक टिकट’ योजना सार्वजनिक बस यात्रा को प्रोत्साहित करने में बेहद प्रभावी है.

ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की 45 प्रतिशत महिलाएं बस का उपयोग नहीं करतीं हैं, जबकि 35 प्रतिशत महिलाएं या तो प्रतिदिन या सप्ताह में 3 से 5 दिन बस से यात्रा करती हैं. इस सर्वेक्षण में 510 महिलाओं से फील्ड सर्वे व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से प्रतिक्रियाएं एकत्रित की गईं. इसके नतीजों से पता चला कि 25 प्रतिशत महिलाओं ने किराया मुक्त योजना लागू होने के बाद से बसों का उपयोग शुरू किया, जिसमें से 23 प्रतिशत महिलाएं हफ्ते में कम से कम चार बार बस में सफर करती हैं.

'बस के लिए करना पड़ता है लंबा इंतजार, स्टैंड पर पूरी तरह से रौशनी भी नहीं होती'
रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं को बस में यात्रा के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. रिपोर्ट बताती है कि आधे से कम महिला बस यात्री बस स्टॉप तक पहुंचने, वहां इंतजार करने और बस में सफर करने के दौरान स्वयं को ‘आमतौर पर सुरक्षित’ महसूस करती हैं. दो-तिहाई महिलाएं बस स्टॉप पर रोशनी को अपर्याप्त मानती हैं.

'शाम को सफर करने से बचती हैं महिलाएं, बस के लिए करना पडता है आधे घंटे इंतजार'
असुरक्षा के चलते महिलाएं शाम को यात्रा करने से बचती हैं, जिससे उनका आवागमन सीमित हो सकता है. बसों की उपलब्धता की समस्या भी एक अहम मुद्दा है. 87 प्रतिशत महिलाएं बताती हैं कि उन्हें बस का इंतजार 10 मिनट से अधिक करना पड़ता है. जबकि 13 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि वे 30 मिनट से भी अधिक प्रतीक्षा करती हैं. ऐसे में, महिलाएं बस सेवा को अपने यात्रा के समय के हिसाब से उपयोग करने में असमर्थ महसूस करती हैं.

1 लाख रुपये तक कमाने वाली 58 प्रतिशत महिलाएं बस में करती हैं सफर
रिपोर्ट में आय के आधार पर बस यात्रा में अंतर को भी रेखांकित किया गया है. निचले आय वर्ग में 75 प्रतिशत महिलाएं सप्ताह में कम से कम 3 से 5 दिन बस का उपयोग करती हैं. मध्यम आय वर्ग की 60 प्रतिशत महिलाएं इतनी बार बस से यात्रा करती हैं. उच्च आय वर्ग में, 50,000 से 1 लाख रुपए मासिक आय वाली 57 प्रतिशत महिलाएं बस का दैनिक उपयोग करती हैं. ये सभी वर्गों में सबसे अधिक है.

69 प्रतिशत महिलाएं मेट्रो का करती हैं प्रयोग
ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट में यह भी साझा किया गया है कि 69 प्रतिशत महिलाएं आमतौर पर यात्रा के लिए मेट्रो का उपयोग करती हैं. वहीं ई-रिक्शा और साझा ऑटो का उपयोग सबसे अधिक लोकप्रिय माना गया है, जो महिलाओं के लिए सुलभ है. इसके अतिरिक्त टैक्सी और कैब का उपयोग केवल 34 प्रतिशत महिलाओं के लिए सुलभ है. रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि दिल्ली सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिक कदम उठाए.

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