Information of Constitution: भारतीय संविधान की प्रस्तावना असल में इस संविधान की आत्मा है. प्रस्तावना जो कहती है हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने क लिए उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्पित हैं.
संविधान की प्रस्तावना में लिखे शब्द जो असल में शब्द ना होकर जीवन मूल्य हैं. उन्हें आम जनमानस के जीवन में पैबस्त करने की कोशिश में जुटे विकास संवाद ने एक अनूठी सांप सीढी बनाई है. ये वो सांप सीढ़ी है जो अनजाने में ही संवैधानिक मूल्यों जीवन में उतारने के साथ इस प्रस्तावना के असल उददेश्य तक आपको ले जाती है....वो भी जीत हार से परे.
संविधान की आत्मा को पहले जानिए, क्या है उद्देशिका
भारत के संविधान पर बेहद गहराई से काम कर रहे विकास संविधान ने उद्देशिका से परिचय संविधान संवाद श्रंखला में एक पुस्तिका ही तैयार कर दी है. ये पुस्तिका बताती है कि किस तरह से भारतीय संविधान की उद्देशिका ही वह सूत्र है, जो बताता है कि भारतीय समाज का स्वरुप किस तरह का होगा. लेखक सचिन कुमार जैन की ये पुस्तक यह बताती है कि किन मूल्यों को अपनाकर हम एक बेहतर समाज एक बेहतर देश के रुप में आगे का सफर तय कर पाएंगे. विकास संवाद की ओर से तैयार की गई इस पुस्तिका में प्रस्तावना में लिखे एक-एक शब्द की व्याख्या है.
मिसाल के तौर पर संप्रभु लोकतंत्रात्मक गणराज्य, ये बताया गया है कि प्रस्तावना के एक-एक शब्द पर कितना मंथन किया गया. संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न का अर्थ है भारत एक पूर्ण रुप से स्वतंत्र देश है. हम पर किसी अन्य देश या बाहरी सरकार का शासन नहीं है. समाजवाद का अर्थ समाजवादी व्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा और लोकहित के आर्थिक प्राकृतिक सांधन सार्वजनिक नियंत्रण में होते हैं. पथ निरपेक्षता जो ये बताती है कि भारत की शक्ति ही उसकी विविधता है.
ताकि आम आदमी संविधान को अपने जीवन में उतारे
संवैधानिक मूल्य जो असल में जीवन मूल्य हैं. वो आम आदमी की जिंदगी में किस तरह आ सकते हैं. उनके होते हुए भी महें उनका कितना भान है. संविधान की प्रस्तावना जिस समाज के निर्माण की तरफ इशारा करती है. वो इन्हीं संवैधानिक मूल्यों की स्थापना से संभव है. तो ये कैसे मुमकिन होगा. इसके लिए लगातार नये नए प्रयोग कर रहे विकास संवाद ने खेल-खेल में संवैधानिक मूल्यों की समझ विकसित करने सांप सीढ़ी तैयार की है. इसमें सांप और सीढ़ी मंजिल तक पहुंचाते हैं और जीरो पर भी ले आते हैं. लेकिन ये यात्रा हार कर भी जीतने की होती है.
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वो इन मायनों में कि हर अंक के साथ लिखी पंक्तियों में एक संवैधानिक मूल्य छिपा हुआ है. इस खेल की शर्त है कि आप जिस भी खांचे में पहुंचे. उससे संबंधित एक वाक्य बनाएं. इस तरह से संवैधानिक मूल्यों को लेकर आपकी नजर तो मजबूत होती ही है, अभ्यास भी होता है कि आपने इन मूल्यों के होते कब कहां इसे दरकिनार किया है.