नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की सड़कों पर आने वाले दो सालों में 6 हजार महिला चालक बस की स्टेयरिंग संभालते हुए दिखेंगी. दिल्ली सरकार ने कुल चालकों में 30 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण देने की तैयारी की है. इस तरह महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया जाएगा. 2025 के अंत तक दिल्ली में कुल 10,480 से अधिक बसें चलाई जाने की योजना है. इन बसों के लिए कुल 20 हजार से अधिक चालक होंगे, जिनमें 30 प्रतिशत महिलाएं होंगी.
देश में सबसे अधिक महिलाएं दिल्ली में चला रहीं बस: वर्तमान में दिल्ली में कुल 7,582 बसे हैं. जिन्हें चलाने के लिए 15 हजार से अधिक चालक हैं. इनमें से महज 80 चालक महिला हैं. देश में सबसे अधिक महिला बस चालक दिल्ली में हैं. महिलाओं को बस चलाते हुए देख अन्य महिलाएं व सवारी प्रभावित होती हैं. महिला चालक आरती का कहना है कि 10 साल का उनका ड्राईविंग का अनुभव है. जो काम पुरूष कर सकते हैं. वह महिलाएं भी कर सकती हैं. वह परिवार भी संभालती हैं और समय निकालकर बस चालक की ड्यूटी भी करती हैं.
आरती कहती हैं कि हर किसी को खुद पर भरोसा होना चाहिए. कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है. वहीं, अन्य महिला चालक ममता का कहना है कि मैंने कुछ अलग करने का सोचा था इसलिए मैं बस चालक बन गई. अन्य महिलाएं हमें देखकर प्रेरित होती हैं. खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं. बुजुर्ग सवारी आशीर्वाद देते हैं. चालक ज्योति गुप्ता का कहना है कि वह घरेलू हिंसा का शिकार हो गई थी. उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए बस की स्टेयरिंग संभाली. इसमें उनकी बेटी ने पूरा सपोर्ट किया.
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2 साल पहले शुरू हुई थी महिला चालकों की भर्ती: दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि 2 साल पूर्व नियमों में कुछ बदलाव कर महिला बस चालकों की भर्ती शुरू की गई थी. वर्तमान में 80 महिला चालक दिल्ली की सड़कों पर बस चल रही हैं. आने वाले समय में महिला बस चालकों की संख्या 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है. आने वाले समय में दिल्ली में कुल 10,480 बसें चलाए जाने का लक्ष्य है.
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली की बसों को चलाने के लिए महिला चालकों को रखा जाएगा. दिल्ली में बसों में रोजाना करीब 41 लाख यात्री सफर करते हैं. इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं होती हैं. यात्री महिला बस चालकों को देखकर प्रभावित होते हैं. अन्य महिलाओं के लिए महिला बस चालक प्रेरणा स्रोत बनती है. साथ ही महिला चालकों के होने के कारण बस में सफर करने वाली महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं.