गिरिडीह: इस बार गर्मी ने खूब कहर बरपाया. सभी परेशान रहे, मवेशियों पर भी आफत टूटा तो वहीं किसानों को भी अपनी फसल बचाने में खूब पसीने छूटे. इन सबके बीच गिरिडीह के सुदूर गांवों में बने 52 तालाबों ने लोगों को राहत पहुंचाई. इन तालाबों की वजह से कई किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर पाए, कई किसानों के आम के बगीचे बच गए और मवेशियों को भी राहत मिली.
हम जिन तालाबों की बात कर रहे हैं, उनका जीर्णोद्धार नीति आयोग ने गिरिडीह डीसी नमन प्रियश लकड़ा के नेतृत्व में पानी पंचायत के माध्यम से कराया है. फिलहाल जिले के 13 प्रखंडों के अलग-अलग गांवों में बने इन 52 तालाबों में से ज्यादातर तालाबों में पानी है, जिसका सीधा लाभ ग्रामीणों को मिल रहा है.
इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए डुमरी के समाजसेवी केदार महतो ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले यह योजना अस्तित्व में आई थी. डीसी के माध्यम से उनके क्षेत्र में मृतप्राय तालाबों का चयन कर उनका जीर्णोद्धार कराया गया. करीब 3 लाख की लागत से तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया और इसका लाभ इस गर्मी में देखने को मिला. इस बार भीषण गर्मी में भी इन तालाबों ने हमारा साथ नहीं छोड़ा. तालाबों में पानी आने से लोगों को लाभ हुआ है.
किसानों को मिला दोहरा लाभ
केदार महतो सहित अन्य किसान बताते हैं कि जब योजना शुरू हुई और पुराने तालाब की खुदाई हुई तो उसमें से निकली मिट्टी को खेतों में डाला गया. इस मिट्टी की वजह से खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ी. वहीं इस गर्मी में जब तालाब, नदी, नाले सूख गए तो इन तालाबों की वजह से आम के बगीचों को बचाया जा सका. कई किसान सब्जी की फसल की सिंचाई भी कर पाए.
युद्धस्तर पर हुआ काम : जिलाधिकारी
उपायुक्त नमन प्रियश लकड़ा कहते हैं कि नीति आयोग द्वारा जल निकायों के पुनरुद्धार विंडो-2 के तहत झारखंड में चार जिलों का चयन किया गया था. इसके तहत गिरिडीह का भी चयन किया गया था. चयन होते ही सभी 13 प्रखंडों के बीडीओ और बीपीओ को गांव का सर्वे करने को कहा गया. बताया गया कि तालाब लगभग मृतप्राय हो चुके थे और इनके जीर्णोद्धार से न सिर्फ जलस्तर बढ़ेगा बल्कि ग्रामीणों और किसानों को भी लाभ होगा. चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद पानी पंचायत के माध्यम से तालाबों का जीर्णोद्धार कराया गया. इन तालाबों ने इस गर्मी में लोगों को राहत जरूर दी है.