जोधपुर : मथुरा दास माथुर अस्पताल में चिकित्सा इतिहास रचते हुए पहली बार 3D लेप्रोस्कोपी तकनीक से आमाशय के कैंसर (कार्सिनोमा स्टोमक) के मरीज का डिस्टल गैस्ट्रेक्टॉमी विद गैस्ट्रोजेजुनोस्टॉमी सफलतापूर्वक संपन्न किया गया. अस्पताल के आचार्य एवं यूनिट प्रभारी डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि 55 वर्षीय महिला मरीज बार-बार उल्टी, वजन कम होना, पेट में दर्द और भारीपन तथा भूख न लगने जैसी समस्याओं से पीड़ित थी. प्रारंभिक जांच में इसे गैस्ट्रिक इंटूससेप्सन माना गया, लेकिन विस्तृत जांच में आमाशय के कैंसर की पुष्टि हुई. मरीज को मुख्यमंत्री आयुष्मान योजना के तहत नि:शुल्क उपचार उपलब्ध कराया गया.
सर्जरी की जटिलता और सफलता : डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि इस प्रकार की जटिल सर्जरी को अंजाम देने के लिए अत्यधिक तकनीकी विशेषज्ञता और उन्नत उपकरणों की आवश्यकता होती है. मेडिकल कॉलेज के अनुभवी सर्जनों की टीम ने अत्याधुनिक 3D लेप्रोस्कोपी तकनीक का उपयोग करते हुए कैंसरग्रस्त भाग को सफलतापूर्वक हटाया और आंतों को आपस में जोड़ने की प्रक्रिया (रिसेक्शन एनास्टोमोसिस) को पूरा किया. डॉ. शर्मा ने बताया, “यह सर्जरी बिना किसी चीरफाड़ के केवल चार छोटे छेदों के माध्यम से 4 घंटे में पूरी की गई. इस प्रक्रिया के बाद मरीज की रिकवरी बेहद तेज रही, और वह अब स्थिर हैं व तेजी से स्वस्थ हो रही हैं.”
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तकनीकी टीम और योगदान : सर्जरी का नेतृत्व डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने किया. उनकी टीम में वरिष्ठ सर्जन डॉ. पारंग असेरी, डॉ. राकेश भटनागर, डॉ. कुणाल चितारा, डॉ. श्वेता सिंह, और डॉ. अक्षय कृष्णा मूर्ति शामिल थे। एनेस्थेसिया विशेषज्ञों डॉ. गीता सिंगारिया, डॉ. गायत्री तंवर, डॉ. आभास छाबड़ा, और डॉ. मनु ने भी अहम भूमिका निभाई.
महत्वपूर्ण उपलब्धि : डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि यह सर्जरी संस्थान के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई है. डिस्टल गैस्ट्रेक्टॉमी विद गैस्ट्रोजेजुनोस्टॉमी पेट के कैंसर के इलाज में एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया है, जिसमें प्रभावित हिस्से को हटाकर पाचन क्रिया को पुनः सामान्य किया जाता है. इस सफलता ने मथुरा दास माथुर अस्पताल को कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक नई पहचान दी है.