नई दिल्ली:दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) द्वारा संचालित दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध तीन कॉलेजों को उनकी प्रबंध समिति ने डूसू से अलग कर लिया है. यानी कि 27 सितंबर को डूसू चुनाव के लिए होने वाले मतदान में अब इन कॉलेजों के छात्र-छात्राएं हिस्सा नहीं लेंगे. इन तीन कॉलेजों में श्री गुरू तेग बहादुर खालसा कॉलेज, गुरू नानक देव खालसा कॉलेज और गुरू गोविंद सिंह कॉलेज शामिल हैं.
अभाविप कार्यकर्ता तीन कॉलेज के अलग होने का कर रहे विरोध : जब विद्यार्थियों और छात्र संघ चुनाव में लगे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को यह जानकारी मिली तो उन्होंने खालसा कॉलेज प्रबंधन समिति द्वारा समिति के अंतर्गत आने वाले डूसू कॉलेजों को बिना विश्वविद्यालय प्रशासन की स्वीकृति के नॉन-डूसू कॉलेज की श्रेणी में डालने के एकपक्षी निर्णय की निंदा की. साथ ही एकपक्षी निर्णय को वापस करने की समिति से मांग शुरू कर दी. साथ ही, कॉलेज प्रबंधन समिति द्वारा की जा रही प्रशासनिक अराजकता के विरुद्ध अभाविप के कार्यकर्ता अनिश्चितकालीन अनशन पर भी बैठ गए हैं. इस एकपक्षीय निर्णय जिसको विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी स्वीकृति प्रदान नहीं की है उसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
नॉन-डूसू कॉलेजों को डूसू कॉलेज की श्रेणी में लाने की मांगः पिछले कई वर्षों में अभाविप द्वारा नॉन-डूसू कॉलेजों को डूसू कॉलेज की श्रेणी में लाने की निरंतर मांग की जा रही है, जिससे सभी कॉलेजों का डूसू में सम्मिलित कर उनका प्रतिनिधित्व भी केंद्रीय पैनल में सुनिश्चित किया जा सके. लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रमुख आधार चुनावों को इस प्रकार से बंद किया जाना प्रबंधन समिति के तानाशाहीपूर्ण रवैए का परिचायक है, जिसका अभाविप लगातार विरोध कर रही है.
डूसू में सम्मिलित कराने की मांग रहेगी जारीः अभाविप
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् देशभर के शैक्षणिक परिसरों में छात्रसंघ बहाल हो सके इसके हेतु निरंतर कार्य कर रही है. शैक्षणिक परिसर शिक्षा के साथ समग्र व्यक्तित्व विकास का केंद्र बन सकें इसकी भी पक्षधर रही है. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनावों ने भारतीय राजनैतिक जगत में कई बड़े नाम दिए हैं किंतु आज व्यक्तित्व विकास के पर्याय रहे छात्रसंघ चुनावों को बंद करने का कुछ संस्थाओं द्वारा कुत्सित प्रयास किया जा रहा है. जिसे अभाविप कभी स्वीकार नहीं करेगी और खालसा प्रबंधन समिति द्वारा जिन कॉलेजों को एकपक्षी निर्णय ले डूसू से अलग किया गया है उसे पुनः डूसू में सम्मिलित कराने की मांग जारी रखेगी.
डूसू कॉलेजों को नॉन-डूसू की श्रेणी में डाला जाना दुर्भाग्यपूर्णः हर्ष अत्री
अभाविप दिल्ली प्रदेश के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि खालसा प्रबंधन समिति द्वारा डूसू कॉलेजों को नॉन-डूसू की श्रेणी में डाला जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है तथा अभाविप इसकी निंदा करते हेतु इस तानाशाहीपूर्ण एकपक्षी निर्णय को वापस लेने की मांग करती है. अभाविप द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉन-डूसू कॉलेजों को डूसू की श्रेणी में डालने की लंबे समय से मांग की जा रही है. लेकिन इसके विपरीत डूसू कॉलेज को नॉन-डूसू में डाला गया जिसका अभाविप विरोध करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि इन कॉलेजों को पुनः डूसू की श्रेणी में डाला जाए.
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डीयू के 47 कॉलेजों की जगह घटकर 44 रह गई : एबीवीपी ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कॉलेजों के इस निर्णय को रद्द कराने की मांग की है. बता दें कि अभी तक डीयू के 47 कॉलेजों और पांच विभागों में डूसू चुनाव होता था. लेकिन, अब तीन कॉलेजों के अलग होने के बाद कॉलेजों की संख्या घटकर 44 रह गई है.
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