जोधपुर. भीतरी शहर के ऐतिहासिक गंगश्याम मंदिर का आज 263वां स्थापना दिवस है. आज यहां भगवान का विशेष श्रृंगार भी किया गया है. इसके साथ ही बसंत पंचमी के उपलक्ष में आज से फाग उत्सव भी शुरू हो गया है. आज यहां सुबह से रात तक आयोजन होते हैं. इसकी खास बात यह है कि 1931 तक मंदिर की स्थापना और फाग उत्सव सामान्य रूप से आयोजित होते थे, लेकिन जब 1931 में जोधपुर की राजकुमारी मरुधर कंवर जयपुर राजघराने के कुलदीप भवानी सिंह को जन्म दिया, तो तत्कालीन जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने 1932 से उत्सव को बड़े स्तर पर मानने के लिए पत्र लिखा गया था. मंदिर के पुजारी पुरुषोत्तम शर्मा बताते हैं कि यह परंपरा 92 साल से जारी है. फाल्गुन पंचमी से इसे वृहद रूप दिया जाता है. भवानी सिंह प्रदेश डिप्टी सीएम दीया कुमारी के पिता थे.
आज से 35 दिन तक फाग: मंदिर में आज से अगले 35 दिन तक फाग उत्सव चलेंगे. यहां प्रतिदिन 500 लोग इसमें शामिल होंगे. रंग सप्तमी तक धूम रहेगी. पुजारी मुरली मनोहर ने बताया कि पुजारी परिवार पीढ़ियों से यहां परंपरा का निर्वहन कर रहा है. आज भगवान को सोने का हीरे और नीलम जड़ित मुकुट पहनाया जाता है. आज के दिन ही साल में एक बार कुमकुम का तिलक लगाया जाता है.
यह है उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी का जोधपुर कनेक्शन: जोधपुर की राजकुमारी मरुधर कंवर का विवाह जयपुर के मानसिंह द्वितीय के साथ हुआ था. उनकी दो संतान हुई राजकुमारी प्रेम कुमारी और राजकुमार भवानी सिंह. दोनों जोधपुर रियासत के भानजा और भानजी थे. भवानी सिंह के जन्म पर मंदिर में उत्सव की वृहद शुरुआत हुई भवानी सिंह का विवाह पद्मिनी देवी से हुआ जिनसे उनकी बेटी दीया कुमारी का जन्म हुआ, जो वर्तमान में प्रदेश की उपमुख्यमंत्री हैं.
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800 साल पुरानी मूर्ति: बताया जाता है कि जोधपुर के शासक राव गांगा (1484-1531) की रानी पद्मावती जो कि सिरोही के राव जगमाल जी की पुत्री थी, वह श्री कृष्ण की अनन्य भक्त थी. रानी पद्मावती के कहने पर राव गांगा जी ने विवाह कर लौटते वक्त दहेज स्वरुप भगवान श्री कृष्ण की श्याम वर्ण की मूर्ति मांगी, यही मूर्ति जोधपुर के राव गांगा जी द्वारा लाई जाने के कारण गंगश्याम नाम से प्रसिद्ध हुई. इस मूर्ति के साथ शाकद्वीपीय पुजारी भी साथ आए. यह मूर्ति इस मंदिर में स्थापना से पूर्व जोधपुर किले में शाकदीपीय पुजारी परिवार के घर, पंच देवरिया मंदिर में अलग-अलग समय पर रखी गई. इसके बाद महाराजा विजय सिंह जी ने इस मंदिर का निर्माण कर संवत 1818 ई. में बसंत पंचमी को गंगश्याम जी की मूर्ति को प्रतिष्ठित करवाया. जिसके 262 वर्ष आज पूरे हुए हैं.