भोपाल: राजनीति के कैलेंडर में देखें तो 2024 का साल मध्यप्रदेश के लिए चुनावी साल के तौर पर दर्ज है. 2023 की विदाई विधानसभा चुनाव नतीजों के साथ और 2024 की अगुवाई लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ. मध्यप्रदेश की चुनावी सियासत में ये साल खास तौर पर दर्ज हुआ है. वो इसलिए की इसी एक साल में मध्यप्रदेश बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में इतिहास रच दिया. पहली बार प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर कमल खिला. जो अपने आप में एक रिकार्ड था. 1951 में वजूद में आई इस सीट पर 66 वर्षों तक कांग्रेस का कब्जा रहा जो 2024 में जाकर खत्म हुआ.
2024 के चुनाव में 28 सीटों से 29 पर छलांग, रिकार्ड ऐसे बना
2024 का साल मध्यप्रदेश के राजनीतिक कैलेंडर पर इस रिकार्ड के साथ दर्ज होगा कि इसी साल में बीजेपी ने कांग्रेस का गढ़ रहा आखिरी छिंदवाड़ा का किला भी जीत लिया और 29 की 29 सीटें अपने नाम कर लीं. हालांकि ये आसान नहीं था. कमलनाथ का गढ़ छिंदवाड़ा अकेली ऐसी सीट थी जहां सात की सात विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. बीजेपी ने 6 महीने से भी कम समय में इस सीट की सियासत बदल दी, जो आसान नहीं था.
छिंदवाड़ा जीतने बनाई लंबी रणनीति
जाहिर है पार्टी को भी इसके लिए मशक्कत करनी पड़ी. यूं तो छिंदवाड़ा पर जीत दर्ज करने के लिए लंबे समय से रणनीति बनाई पार्टी ने. महाकौशल का प्रभारी प्रहलाद पटेल को बनाया गया और जिम्मेदारी सौंपी गई. कांग्रेस की प्रवक्ता संगीता शर्मा कहती हैं, ''असल में बीजेपी ने छिंदवाड़ा में जीत के लिए 'साम दाम दंड भेद' सब आजमाया. कार्यकर्ताओं के दबाव में दल बदल कराए गए. प्रशासनिक तंत्र का दबाव डाला गया, वरना छंदवाड़ा सीट जो कांग्रेस का गढ़ कही जाती है वहां बीजेपी का जीतना आसान नहीं था.''
दलबदल की आंधी के साथ कमजोर हुआ छिंदवाड़ा
छिंदवाड़ा से कांग्रेस की जमीन खिसकाने के लिए बीजेपी ने ठीक लोकसभा चुनाव के पहले दल बदल की आंधी शुरु की और इस आंधी का केन्द्र छिंदवाड़ा को रखा. कमोबेश हर दिन सैकड़ों की तादात में कांग्रेसी बीजेपी में शामिल होते गए. शुरुआत कांग्रेस के दांए हाथ पूर्व प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना से हुई. फिर इनके बाद तो विधायक कमलेश प्रताप शाह से लेकर मेयर विक्रम अहाते तक भाजपा चलो का अभियान छिंड़ गया छिंदवाड़ा में. चौरई के गंभीर सिंह, नीरज बंटी पटेल, पांढूर्णा के उज्जवल सिंह चौहान, जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष सीताराम डहरिया ये वो प्रमुख नाम थे जिनके कांग्रेस छोड़ देने से छिंदवाड़ा में कमलनाथ की जमीन कमजोर हुई.
66 साल बाद 2024 में कांग्रेस को लगा करारा झटका
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का इतिहास 1951 से शुरु होता है. बीते 66 बरस देखें तो सियासी तौर पर छिंदवाड़ा गढ़ बन चुका था कांग्रेस का. 66 साल तक लगातार ये मध्य प्रदेश की अकेली सीट थी जहां से कांग्रेस का ही सांसद चुना गया. 66 में से 45 साल अकेले कमलनाथ के खाते में हैं और दस साल फिर उनकी पत्नी अलकानाथ और नकुलनाथ के हैं. कमलनाथ के अलावा भीकू लाल चांडक, रायचंद भाई शाह और गाग्री शंकर मिश्र छिंदवाड़ा से कांग्रेस के सांसद बतौर चुने गए थे.
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भाजपा ने जीता अमरवाड़ा
2024 में वह भी हुआ जिसके बारे में कांग्रेस को आभास भी नहीं था. अमरवाड़ा विधानसभा से कांग्रेस के विधायक कमलेश शाह ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली. जिसके बाद अमरवाड़ा में उपचुनाव हुए. भाजपा ने कमलेश शाह को ही प्रत्याशी बनाया. इसके बाद दोनों पार्टियों के सीनियर लीडर्स ने अपने अपने प्रत्याशियों की जीत के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया. लेकिन उपचुनाव में जीत का सेहरा भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह के सिर सजा. वह कांग्रेस के धीरनशा इनवाती को हराकर विधायक बने.
शिवराज के बुधनी में भाजपा तो विजयपुर में कांग्रेस की जीत
वहीं, विजयपुर और बुधनी में भी उपचुनाव हुए. विजयपुर से विधायक रहे रामनिवास रावत ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली. यहां से भाजपा ने रमाकांत को अपना उम्मीदवार बनाया. जबकि कांग्रेस की तरफ से मुकेश मल्होत्रा मैदान में उतरे. मतदान से पहले तक ऐसा लग रहा था कि रामनिवास रावत उपचुनाव आसानी से जीत जाएंगे, लेकिन हुआ इसका उलट. जनता ने कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा को भारी वोटों से जिता दिया. इधर, शिवराज सिंह चौहान ने सांसद बनने के बाद बुधनी सीट से इस्तीफा दिया. उनके इस्तीफे के बाद बुधनी सीट खाली हुई. उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव ने कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल को हराया.