पानीपत: महान समाज सुधारक महर्षि दयानंद के 200वीं जयंती के मौके पर पानीपत के डीएवी पब्लिक स्कूल में युवा आर्य समाज द्वारा 5100 कुंडीय यज्ञ अमृत संस्कार करवाया गया. विश्व शांति और कल्याण के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया.
5100 कुंडीय यज्ञ अमृत संस्कार: पानीपत के थर्मल कॉलोनी में विश्व शांति और कल्याण के लिए विशाल 5100 कुंडीय यज्ञ अमृत संस्कार का आयोजन किया गया. आर्य क्षेत्रीय प्रतिनिधि समिति के अध्यक्ष पुनम सूरी ने बताया की यह आयोजन वैदिक संस्कृति और मूल्यों की लौ को प्रज्वलित करने के लिए किया गया. इसका लक्ष्य हर घर को भारत की समृद्ध विरासत से जोड़ना है. पूनम सूरी ने कहा कि 5100 कुंडीय यज्ञ अमृत संस्कार हमारी वैदिक विरासत को पुनर्जीवित करने और संजोने का एक सामूहिक प्रयास है. इतने सारे लोगों का एक साथ आना, विश्व शांति के लिए आह्वान है. एक बेहतर कल की नींव आज रखी जा रही है. यज्ञ एक श्रेष्ठतम कर्म है जो हमारे जीवन का सार और आधार निर्धारित करता है. इस यज्ञ से हम देव स्तुति, परमपिता परमेश्वर और जड़ देव की आराधना सीखते हैं.
महर्षि दयानंद की 200वीं जयंती: इस मौके पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतम पाल ने कहा, "मैं एक ऐसे कार्यक्रम की अध्यक्षता करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं जो न केवल एक महान सुधारक की याद दिलाता है बल्कि हर घर में वैदिक संस्कृति का सार लाने का भी प्रयास करता है. इस यज्ञ की महिमा का उल्लेख हमारे वेदों से लेकर सभी उपनिषदों एवम रामायण में किया गया है. यहां तक कि भगवान राम, कृष्ण, कौशल्या, दशरथ भी प्रतिदिन यज्ञ करते थे. इसका वर्णन महाभारत में भी है. यह हमारी वैदिक परंपरा है जिसे महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वेदों के सत्यज्ञान का आह्वान किया और कहा कि वेदों की ओर लौटो.
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