नई दिल्ली: दिल्ली के जामिया नगर इलाके में एक 17 वर्षीय छात्रा द्वारा आत्महत्या का एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. इस घटना ने न केवल छात्रा के परिवार को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि पूरे समाज में एक गंभीर प्रश्न भी खड़ा किया है. क्या परीक्षा का दबाव हमारे युवाओं को ऐसे कृत्य की ओर धकेल रहा है?
घटना का विवरण: पुलिस द्वारा बरामद सुसाइड नोट में छात्रा ने अपनी निराशा को व्यक्त करते हुए लिखा, "मुझे माफ़ कर देना, मैं यह नहीं कर पाई." बताया गया है कि वह JEE परीक्षा में असफल होने के कारण मानसिक तनाव का सामना कर रही थी. CCTV फुटेज में घटना के समय एक युवा व्यक्ति को फोन पर बात करते हुए देखा गया था. जिसके बाद छात्रा ने आत्महत्या कर ली. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने बताया कि छात्रा पिछले कुछ समय से अवसाद में थी और लगातार JEE परीक्षा की तैयारी कर रही थी.
दक्षिण पूर्वी दिल्ली के डीसीपी रवि कुमार सिंह ने पुष्टि की है कि शुक्रवार को छात्रा ने आत्महत्या की है. पुलिस ने बताया कि छात्रा को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया.
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परीक्षा के तनाव का प्रभाव: पुलिस की जांच में सामने आया है कि छात्रा 12वीं कक्षा के बाद जेईई की तैयारी कर रही थी, लेकिन वह परीक्षा में सफल नहीं हो पाई. इस असफलता के कारण वह मानसिक रूप से परेशान थी. शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है, और कई युवा छात्र परीक्षा के दबाव को सहन नहीं कर पा रहे हैं. यह घटना इस बात का प्रमाण है कि हमें शिक्षा की प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है, ताकि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके.
समाज की जिम्मेदारी: इस घटना ने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम अपनी युवा पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य को ठीक से समझते हैं? क्या हम उनके दर्द और समस्याओं के प्रति संवेदनशील हैं? हमें इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.
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