जोधपुर. मेहरानगढ़ के जसवंत थडा पर सुबह शंकर ब्रदर्स के शहनाई वादन से सेक्रेड स्पिरिट फेस्टिवल की शुरूआत हुई. शाम को 7.30 बजे देश की जानी मानी ठुमरी गायिका शुभा मुद्दगल की प्रस्तुति होगी. करीब दो घंटे तक श्रोता उनके रात अलाप का आनंद उठा सकेंगे. उसके बाद देर रात लंगा गायक सूफी गायन प्रस्तुत करेंगे. इस फेस्टिवल में पहली बार फड़ वाचन किया गया. शुक्रवार रात को जनाना ड्योडी में देश की प्रख्यात शास्त्रीय संगीत गायिका पद्मश्री शुभा मुद्गल ने प्रस्तुति दी. उन्होंने कबीर की रचना 'साहब है रंगरेज चुनर मोरी रंग डारी' से शुरूआत की. उन्होंने ठुमरी, दादरा और ख्याल राग में प्रस्तुति दी. मीरां के भजन 'रमैया में तो थारे रंग राती' की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया.
फेस्टिल के कलाकारों को सुनने के लिए देश-विदेश के बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी जोधपुर पहुंचे हैं. शुक्रवार रात को सेनेगल के कलाकारों का फ्यूजन सुनने को मिलेगा. इससे पहले पूरे दिन पूरे मेहरानगढ़ में अलग-अलग जगह पर देशी-विदेशी कलाकारों ने संगीत की प्रस्तुतियां दी. शाम को पिता पुत्र विशेष सेगमेंट में विख्यात बांसुरी वादक पंडित राजेंद्र प्रसन्ना ने अपने पुत्रों राजेश, ऋषभ और रितेश के साथ मुरली पर ऐसे सुर छेड़े कि श्रोता मदमस्त हो गए. इस दौरान पंडित जी ने बांसुरी वादन की कई विधाओं के साथ रागों का प्रदर्शन किया. इसके अलावा कीर्गिस्तान के गायकों ने पहाड़ी संगीत की स्वर लहरियां बिखेरी. फेस्टिवल का समापन रविवार को होगा.
पढ़ें: जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग में सेक्रेड स्पिरिट फेस्टिवल 2024 का आगाज कल से
पहली बार फड़ वाचन: फेस्टिवल का यह 15वां सीजन है. पहली बार ठेठ राजस्थानी में लोक देवताओं के यशोगान की फड़ गायन विधा को यहां प्रदर्शित किया गया. जिसमें गायों की रक्षा करने वाले लोक देवता पाबूजी की फड़ बांची गई. नारायण नाम के कलाकार ने इसे प्रस्तुत किया. इस विधा में एक चित्रों से भरे पर्दे को दिवार पर टांगा जाता है. उस पर्दे पर लोक देवता की समस्त जीवनी चित्रित होती है. इसे गायन के माध्यम से अलग-अलग पद से प्रस्तुत किया जाता है. इसका चलन मारवाड में अभी है. गांवों में ऐसे आयोजन में लोग श्रद्धापूर्वक शामिल होते हैं.