समस्तीपुर: अंग्रेज शासनकाल में मिथिलांचल को अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिए 150 वर्ष पहले एक रेल पुल बनाया गया था. यह पुल अब जल्द ही इतिहास बनने वाला है. मामला समस्तीपुर-दरभंगा रेलखंड पर बूढ़ी गंडक नदी पर बने पुल संख्या 1 से जुड़ा है जो कभी लोगों की लाइफ लाइन थी. लेकिन अब इसका अस्तित्व समाप्ति के कगार पर पहुंच गया है.
इतिहास बन जाएगा बूढ़ी गंडक पर बना रेल ब्रिज : दरअसल जर्जर इस पुल पर बीते कुछ वर्षो से परिचालन बंद है. वहीं समस्तीपुर रेल मंडल के द्वारा इस पुल के स्क्रैप को नीलाम होने के बाद अब इस पुल को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. देश में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान देश के अन्य हिस्सों से मिथिलांचल को जोड़ने और जरूरी राहत सामग्री लाने के मकसद से सन् 1874 में समस्तीपुर-दरभंगा के बीच ट्रेन का परिचालन शुरू किया गया था.
180 मीटर लंबा पुल: इस सफर में गंडक नदी पर चार पाए पर बना करीब 180 मीटर लंबा यह पुल उस वक्त के इंजीनियरिंग का बेहतरीन उदाहरण था. वैसे तब से बीते कुछ वर्ष पहले तक यह पुल इन दोनों क्षेत्रो को रेलमार्ग से जोड़ने का लाइफ लाइन माना जाता था. वक्त के साथ यह पुल जर्जर होता चल गया.
रेल पुल को बंद करने का क्या है कारण: वहीं लगभग प्रत्येक वर्ष गंडक नदी में बढ़े जलस्तर के कारण इस पुल पर ट्रेनों का परिचालन बाधित होने लगा. आखिरकार इस पुल के समानांतर दो नए पुल का निर्माण किया गया है. वहीं बीते कुछ वर्षो से सुरक्षा के मद्देनजर इस पुराने पुल पर ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह से बंद कर दिया गया.
पुल के स्क्रैप की नीलामी: वहीं अब समस्तीपुर रेल डिवीजन प्रशासन ने इस पुल के स्क्रैप की नीलामी भी कर दी है, जिसके बाद पुल का स्क्रैप लेने वाली एजेंसी ने इस पुल को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जाहिर है अब यह 150 वर्ष पुराना व मिथिलांचल को अन्य हिस्सों से जोड़ने वाला रेल पुल जल्द इतिहास बन जाएगा.
"इस पुल में लगे लोहे का गाटर, रेल पटरी व अन्य लोहे के पार्ट को नीलाम किया गया है. सिर्फ इस पुल के चार पिलर की नीलामी नहीं की गयी है. वैसे स्क्रैप नीलाम में लेने वाली एजेंसी ने अपना काम शुरू कर दिया है. जल्द ही इस पुल के सभी स्क्रैप को खोल लिया जायेगा."- विनय श्रीवास्तव,डीआरएम,समस्तीपुर रेल डिवीजन
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