कोटा : कहते हैं प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती. इसी का एक उदाहरण हैं कोटा के 14 साल के देव प्रताप सिंह चड्ढा, जिन्होंने कबाड़ से खुद की डिजाइन की गई बाइक बनाई है. देव 8वीं के स्टूडेंट हैं. स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ बाइक बनाने के लिए वो हर रोज 2 घंटे मेहनत करते थे. उन्होंने अपने फ्लैट की बालकनी को ही वर्कशॉप बनाया हुआ है. देव की 5 महीने की मेहनत रंग लाई और उन्होंने मॉडिफाइड बाइक तैयार कर ली.
देव प्रताप सिंह चड्ढा का कहना है कि बचपन से ही उन्हें बाइक का काफी शौक है. उनके दिमाग में बाइक तैयार करने का आइडिया आया था. उन्होंने दिमाग में बाइक का डिजाइन तैयार किया और बाहर चलने वाली मॉडिफाइड बाइक्स को घर में बनाने का सोचा. इसके बाद देव ने कबाड़ में पड़े पुरानी बाइक और अन्य मैकेनिक कबाड़ को तलाशना शुरू किया. इसके बाद धीरे-धीरे पुराना इंजन और फ्यूल टैंक खोजा. कुछ सामान उन्होंने बाजार से और कबाड़ी से भी खरीदा. 5 महीने की मेहनत के बाद अब बाइक चलने की स्थिति में है, लेकिन अभी भी उसमें कुछ काम बाकी है. इसे ठीक करने वो जुटे हुए हैं. इस अनुसार उन्हें एक से दो महीने और लग सकते हैं.
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घर की बॉलकनी बनी वर्कशॉप : यह पूरा मैकेनिक कारखाना उन्होंने अपने फ्लैट की बालकनी में ही बनाया हुआ है. यहां बीते 5-6 महीने से यह रोज 1 से 2 घंटा काम कर रहे हैं. वेल्डिंग से लेकर फिटिंग और वायरिंग सब कुछ घर पर ही कर रहे हैं. अभी तक इस पूरे प्रोजेक्ट में उनके 17 हजार रुपए खर्च हो चुके हैं. हालांकि, अधिकांश समान इसमें कबाड़ से इकट्ठा किया हुआ ही है. देव प्रताप सिंह का मानना है कि वे मॉडिफाइड बाइक को अच्छा बनाना चाहते हैं, उनके खुद की डिजाइन को ही वे देखना चाह रहे हैं, इसीलिए इसको तैयार करने में जुटे हुए हैं.
पुराने इंजन को करवाया रिपेयर : स्कूल और ट्यूशन के बाद जो समय बचता है, उसमें ही देव प्रताप सिंह चड्ढा अपनी मॉडिफाईड बाइक को बनाते हैं. फिलहाल बाइक इस कंडीशन में खड़ी हो गई है कि वह चलने लगी है, उसमें गियरिंग सिस्टम से लेकर ब्रेकिंग और सब कुछ अच्छे चल रहे हैं. इसके लिए कबाड़ में मिले पुराने इंजन को उन्होंने रिपेयर करवाया है.
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मां से करता है डिस्कस, बहन का सपोर्ट : देव माल रोड स्थित कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं. उनके पिता इंद्रपाल सिंह चड्ढा ठेकेदार हैं, वह ज्यादातर अपने बिजनेस और ऑफिस के काम में ही बिजी रहते हैं. ऐसे में घर पर उनकी मां रमनीत कौर से ही ज्यादातर वे अपने प्रोजेक्ट और आइडिया को लेकर डिस्कस करते थे. उन्होंने रोज का रूटीन बनाया हुआ था कि बाइक में जो प्रॉब्लम आईं और जो सॉल्यूशन उन्होंने किया, यह सब कुछ वो मां को बताते हैं. बीडीएस कर रही बहन स्नेहा को भी पूरी जानकारी देते थे.
वेल्डिंग से लेकर वायरिंग तक खुद की : देव प्रताप ने सबसे पहले सब औजार एकत्रित किए हैं. यह वे औजार हैं, जो एक मैकेनिक को चाहिए. जिस तरह से वर्कशॉप में सामान रखा रहता है, वैसे ही उन्होंने अपने फ्लैट की लॉबी और बालकनी में यह सामान इकट्ठा कर व्यवस्थित रखा हुआ है. उनके पास वेल्डिंग मशीन से लेकर सब कुछ सामान है, यह अपने पिता के गैराज से ले आए थे. देव एथलेटिक्स के भी अच्छे प्लेयर हैं. वह अभी तक कई राष्ट्रीय और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं और उनके पास कई मेडल भी हैं.
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प्रॉब्लम आने पर मैकेनिक से फोन कर ली सलाह : देव को इंजन की वायरिंग को लेकर कुछ प्रॉब्लम्स आई थी, तब उन्होंने मैकेनिक से फोन पर सलाह ली और इसके बाद खुद उन्होंने यह काम शुरू कर दिया. यहां तक कि गियर सिस्टम से लेकर, ब्रेक, वायरिंग, इंजन और बैक टायर को कनेक्ट करने के लिए चैन सेट से लेकर सब कुछ उन्होंने कबाड़े से उठा कर लगाया है. बाइक में पीछे के टायर के लिए उन्होंने अपने पिता की कार की पुरानी स्टेपनी का उपयोग किया है. आगे का टायर नहीं मिला तो बुलेट का नया टायर और रिम खरीद कर लगा दी है.
इंडिकेटर, लाइटिंग और कवरिंग का काम बाकी : देव का कहना है कि अभी बाइक में हेडलाइट से लेकर कुछ और काम करना है. साथ ही पेट्रोल टैंक को जोड़ने का भी काम किया जाना है. फिलहाल उन्होंने एक बोतल के जरिए इंजन का कनेक्शन पेट्रोल से किया हुआ है, जिससे बाइक चल रही है. इंडिकेटर, बैक लाइट, कवरिंग और सीट को लेकर भी अरेंजमेंट करना है. इसके अलावा मीटरिंग और अन्य कुछ काम अभी बाकी है, जिसको लेकर वह लगातार मेहनत कर रहे हैं.