शिमला/दिल्ली: हिमाचल से नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य हर्ष महाजन ने बुधवार को राज्यसभा सदस्य के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली है. बुधवार 3 अप्रैल को संसद भवन में एक समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने हर्ष महाजन को बधाई दी है. इसके अलावा कई और नेता भी हर्ष महाजन को सोशल मीडिया पर बधाई दे रहे हैं.
किस-किसने ली शपथ ?
बुधवार को उपराष्ट्रपति ने कुल 12 नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इनमें हर्ष महाजन के अलावा धर्मशिला गुप्ता, मनोज कुमार झा, संजय यादव, साधना सिंह, मेधा विश्राम कुलकर्णी, चंद्रकांत हंडोरे, गोविंदभाई लालजीभाई ढोलकिया, अशोक सिंह, सुभाष बराला, एल मुरुगन और जीसी चंद्रशेखरन का नाम शामिल है.
कौन हैं हर्ष महाजन ?
हर्ष महाजन हिमाचल की राजनीति का जाना-माना नाम हैं. फिलहाल वो हिमाचल से ही बीजेपी के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य हैं लेकिन वो करीब 4 दशक से ज्यादा कांग्रेस के साथ थे. 2022 में हिमाचल विधानसभा चुनाव से ऐन पहले हर्ष महाजन ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ने के पीछे पार्टी में हो रही अनदेखी को वजह बताया था. हर्ष महाजन 3 बार चंबा से कांग्रेस के विधायक थे. 1993 में पहली बार विधायक बने हर्ष महाजन 1998 और 2003 में भी विधानसभा पहुंचे थे. उन्हें 6 बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का करीबी माना जाता था.
हर्ष महाजन के राज्यसभा पहुंचने का सियासी ड्रामा
हर्ष महाजन के राज्यसभा पहुंचने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. उनका राज्यसभा पहुंचना हिमाचल ही नहीं देश के सियासी इतिहास में दर्ज हो गया है. दरअसल हिमाचल में राज्यसभा की एक सीट पर 27 फरवरी को वोटिंग हुई थी. तब कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी को उम्मीदवार बनाया था. हिमाचल में कांग्रेस की सरकार थी और 40 विधायकों के साथ कांग्रेस उम्मीदवार की जीत लगभग तय लग रही थी. लेकिन बीजेपी ने नामांकन के आखिरी दिन हर्ष महाजन को मैदान में उतार दिया. जब चुनाव के नतीजे आए तो देश की सियासत में एक नया पन्ना जुड़ चुका था.
दरअसल कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी और 3 निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाले. जिससे 25 विधायकों वाली बीजेपी को 34 वोट मिल गए, वहीं कांग्रेस उम्मीदवार को भी 34 ही वोट मिले और मुकाबला टाई हो गया. इसके बाद नियमानुसार लॉटरी निकली तो जीत का सेहरा हर्ष महाजन के सिर बंध गया. आलम ये है कि राज्यसभा चुनाव में 6 विधायकों की बगावत के बाद हिमाचल में कांग्रेस की सरकार संकट में आ गई लेकिन स्पीकर ने इन 6 विधायकों को अयोग्य करार दे दिया.
इसके बाद चुनाव आयोग इन खाली हुई 6 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर दी. जो 1 जून को लोकसभा चुनाव के साथ ही तय कर दिए गए. फिर इन 6 बागियों ने बीजेपी का दामन थाम लिया और बीजेपी ने उपचुनाव के लिए इन 6 बागियों को ही अपना उम्मीदवार बना दिया. इस बीच 3 निर्दलीय विधायक भी इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. हालांकि उनका इस्तीफा स्पीकर ने अभी स्वीकार नहीं किया है. कुल मिलाकर हर्ष महाजन के राज्यसभा पहुंचने की पटकथा ने हिमाचल प्रदेश में सियासी भूचाल ला दिया जो अभी भी जारी है.
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