बेगूसराय : भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इस लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है. जी हां, लोकसभा चुनाव के दौरान कई ऐसी तस्वीर उभरकर सामने आयी है जो सहसा ही लोगों को अपनी ओर आकृष्ठ करती है. एक ऐसी ही तस्वीर बेगूसराय से सामने आयी. जिसने साबित कर दिया कि लोकतंत्र को जनता का शासन क्यों कहा जाता है?
'7 दिनों से खाना-पीना छोड़ चुके' : अब जरा सोचिए जो व्यक्ति 7 दिनों से खाना-पीना नहीं खाया हो. अन्न का एक निवाला भी उसके मुंह में नहीं गया हो. पर जब वोटिंग अधिकार की बारी आयी तो पोते के कंधे पर पहुंचकर इसका इस्तेमाल करने पहुंच गए. यह नजारा बेगूसराय के आयुर्वेदिक कॉलेज बूथ पर देखने को मिला.
102 साल के बुजुर्ग ने किया मतदान : बिहार की पांच लोकसभा सीटों पर चौथे चरण के तहत मतदान हो रहा है. इसमें बेगूसराय में भी जनता अपने मताधिकार का सुबह से प्रयोग कर रहे हैं. इसी कड़ी में लोहियानगर मोहल्ला वार्ड नंबर 28 के रहने वाले 102 वर्षीय बिंदेश्वरी प्रसाद गुप्ता अपनी 95 वर्षीय पत्नी यशोदा देवी के साथ मतदान करने पहुंचे.
'शायद यह उनकी आखिरी इच्छा' : एक साथ मतदान के लिए पहुंचे तीन पीढ़ी में से एक पोते ने बताया कि, ''ऐसा लग रहा है जैसे दादा जी सिर्फ मतदान के लिए ही जीवित हैं. इसके बाद कब उनकी मृत्यु हो जाएगी पता नहीं. शायद ये उनकी आखरी इच्छा भी हो, क्योंकि पिछले 7 दिनों से नहीं खाने पीने वाले बुजुर्ग भी मतदान के लिए तैयार हो गए.''
कैंसर पीड़ित पहुंची मतदान करने : कहते हैं लोकतंत्र, 'जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन' है. लोकतंत्र की इस खुबसूरती का नजारा राज्य के कई जगहों पर देखने को मिला. तभी तो दरभंगा में जिंदगी की अंतिम सांसे गिन रही कैंसर से पीड़ित मरीज भी मतदान करने से पीछे नहीं रही. बूथ संख्या 116 पर स्ट्रेचर से वह अपने मताधिकार का प्रयोग करने पहुंची.
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