नई दिल्ली: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत 11 मई 2024 यानि शनिवार को दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) ने इस साल की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिसका निबटारा जिला न्यायालय परिसरों, दिल्ली उच्च न्यायालय, स्थायी लोक अदालतों, ऋण वसूली न्यायाधिकरणों सहित राज्य उपभोक्ता आयोग और जिला उपभोक्ता आयोग में प्रभावी ढंग से किया.
लोक अदालत में धारा 138 के दायरे में आने वाले मामले, आपराधिक समझौता योग्य मामले, दीवानी मामले, मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण मामले, बैंक वसूली मामले, वैवाहिक विवाद (तलाक के मामलों को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण विवाद, श्रम विवाद और मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम द्वारा शासित मामले शामिल हैं. राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल एक लाख 71 हजार 305 मामलों का निपटारा करके 1737.75 करोड़ राजस्व की हुई प्राप्ति.
सात जिला न्यायालय परिसरों में, सभी प्रकार के दीवानी और आपराधिक समझौता योग्य मामलों से निपटने के लिए 360 लोक अदालत पीठों का गठन किया गया. जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय, ऋण वसूली न्यायाधिकरणों, उपभोक्ता मंचों और स्थायी लोक अदालतों में 16 लोक अदालत पीठों का गठन किया गया था. इस बार इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 2,54,392 मामले निस्तारण के लिए भेजे गए थे.
इन मामलों में 1,80,000 नोटिस वाले ट्रैफिक चालान, 1263 यातायात चालान, विभिन्न जिला न्यायालयों के 54,927 मामले सम्मलित हैं, जो कि न्यायालयों में लंबित थे. दिल्ली उच्च न्यायालय, ऋण वसूली न्यायाधिकरणों, उपभोक्ता मंचों और स्थायी लोक अदालतों में 17,166 मुकदमे-पूर्व मामले और 1036 मामले लंबित थे, वे भी इनमे सम्मलित हैं. जिला न्यायालयों में, कुल 1,70,008 मामले निपटाए गए और निपटान राशि 291.34 करोड़ रुपये प्राप्त की गई.
3.43 करोड़ रूपये के जुर्माने में निपटा एमएसीटी का केस
दिल्ली में 1,42,323 ट्रैफ़िक चालानों का निपटान करके 1.69 रूपये की जुर्माना राशि प्राप्त की गई. डीएसएलएसए को यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि एक एमएसीटी केस नंबर 531/21 जिसका शीर्षक मुनेश देवी बनाम श्रीधर खातेई" है, को साउथ वेस्ट डीएलएसए, द्वारका कोर्ट कॉम्प्लेक्स में 3.43 करोड़ रुपये (लगभग) की राशि में तय किया गया था. एक अन्य 10 साल सबसे पुराना मामला वर्ष 2014 से संबंधित है, जिसका केस नंबर 88570/2016 शीर्षक State Vs. Praveen का मामला भी आज दक्षिण पूर्व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, साकेत न्यायालय में सौहार्दपूर्ण ढंग से तय हो गया. लोक अदालत बेंच का गठन दिल्ली उच्च न्यायालय, नई दिल्ली में भी किया गया था, जहां 44 मामलों का निपटान रु. 2.01 करोड़ राशि में किया गया.
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जिला उपभोक्ता फ़ोरम में भी लोक अदालत पीठों का भी गठन किया गया जहां रुपये 10.33 करोड़ की निपटान राशि पर 215 मामलों का निपटारा किया गया. ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में लोक अदालत पीठों का भी गठन किया गया, जहां रुपये 1429.97 करोड़ की निपटान राशि पर 94 मामलों का निपटारा किया गया. स्थायी लोक अदालत में बिजली मामले के लिए लोक अदालत बेंच का भी गठन किया गया, जहां 944 मामलों का निपटारा रुपये 4.11 करोड़ की समझौता राशि पर किया गया.
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