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आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट शुरू करने वाली इस महिला खिलाड़ी की जानिए प्रेरणादायक कहानी - Martial Arts

महिला खिलाड़ी आज कल हर क्षेत्र में तरक्की कर रहीं है. इन मुश्किलों के बीच में से एक युवा महिल मार्शल आर्ट खिलाड़ी ने तरक्की की राह पर बढ़ते हुए अपना और परिवार का नाम रोशन किया है. पढ़िए उसकी प्ररेणादायक कहानी...

Vanita Rathore Martial Arts PLAYER
वनिता राठौर मार्शल आर्ट खिलाड़ी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 29, 2024, 7:19 PM IST

आदिलाबाद: आज कल रोजगार, व्यवसाय और खेल के क्षेत्र में युवा महिलाओं की भागीदारी में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट को अपनाने वाली लड़कियों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है. इन युवा महिलाओं में वनिता राठौर भी शामिल हैं, जो एक जुनूनी मार्शल आर्टिस्ट हैं और खेलो इंडिया प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीतकर चर्चा में आई हैं. वनिता की यात्रा समर्पण और दृढ़ता का प्रमाण है. वो छोटी उम्र से ही वह मार्शल आर्ट की ओर आकर्षित थीं और समय के साथ उनका जुनून और मजबूत होता गया.

वनिता ने अपने माता-पिता, ऑटो चालक पांडुरंगा राठौर और अरुणा से प्रोत्साहित होकर 10वीं कक्षा पूरी करने के बाद मार्शल आर्ट में प्रशिक्षण शुरू किया. वनिता आदिलाबाद के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहती हैं. उनके परिवार ने उन्हें अटूट समर्थन दिया, जिससे इस चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में आगे बढ़ने के उनके सपनों को बल मिला.

वनिता राठौर ने की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने जल्द ही उन्हें फल दिया. हाल ही में रांची में आयोजित खेलो इंडिया प्रतियोगिता में वनिता ने 75 किलोग्राम बॉक्सिंग वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. उनकी प्रभावशाली उपलब्धियाँ इससे कहीं आगे तक फैली हुई हैं. उन्होंने हरियाणा में विश्वविद्यालय स्तर की मुक्केबाजी और कुश्ती प्रतियोगिताओं में भी स्वर्ण पदक हासिल किए. इसके अतिरिक्त उन्होंने खेलो इंडिया साउथ ज़ोन वुशू प्रतियोगिताओं में 72 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक और कई अन्य पुरस्कार अर्जित किए.

वनिता की प्रतिभा केवल मार्शल आर्ट तक ही सीमित नहीं है. उन्होंने अपनी एथलेटिक गतिविधियों को शैक्षणिक सफलता के साथ संतुलित किया है, उन्होंने पॉलिटेक्निक में डिप्लोमा और डी.पी.ई.डी. पूरा किया है. उन्होंने हाल ही में ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट डॉन 1 स्तर हासिल किया और 19 से 21 मई तक जोगुलम्बा गडवाल जिले में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के ताइक्वांडो टूर्नामेंट में रेफरी के रूप में भी काम किया.

उनकी विशेषज्ञता मार्शल आर्ट के कई विषयों में फैली हुई है, जिसमें कराटे, ताइक्वांडो, वुशू और बॉक्सिंग शामिल हैं. वनिता न केवल एक प्रतिष्ठित एथलीट हैं, बल्कि एक संरक्षक भी हैं, जो अपने स्वयं के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी करते हुए स्कूलों में छात्रों को प्रशिक्षण देती हैं. वह लड़कियों को मार्शल आर्ट सीखने के लिए जोश से वकालत करती हैं, आत्मरक्षा में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देती हैं. वह माता-पिता को इस प्रयास में अपनी बेटियों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.

वनिता के परिवार को सुरक्षा और गर्व की गहरी भावना महसूस होती है, यह जानकर कि उनकी बेटी खुद की रक्षा करने के कौशल से लैस है.वनिता ने शुरू में आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट को अपनाया था, अब राष्ट्रीय पदक जीतने में खुशी महसूस करती हैं और ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखती हैं. उनकी कहानी उत्कृष्टता की अथक खोज और देश भर की कई युवा महिलाओं के लिए प्रेरणा है.

ये खबर भी पढ़ें : पीवी सिंधु ने सिंगापुर ओपन के दूसरे दौर में बनाई जगह, लक्ष्य सेन को मिली कड़े मुकाबले में हार

आदिलाबाद: आज कल रोजगार, व्यवसाय और खेल के क्षेत्र में युवा महिलाओं की भागीदारी में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट को अपनाने वाली लड़कियों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है. इन युवा महिलाओं में वनिता राठौर भी शामिल हैं, जो एक जुनूनी मार्शल आर्टिस्ट हैं और खेलो इंडिया प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीतकर चर्चा में आई हैं. वनिता की यात्रा समर्पण और दृढ़ता का प्रमाण है. वो छोटी उम्र से ही वह मार्शल आर्ट की ओर आकर्षित थीं और समय के साथ उनका जुनून और मजबूत होता गया.

वनिता ने अपने माता-पिता, ऑटो चालक पांडुरंगा राठौर और अरुणा से प्रोत्साहित होकर 10वीं कक्षा पूरी करने के बाद मार्शल आर्ट में प्रशिक्षण शुरू किया. वनिता आदिलाबाद के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहती हैं. उनके परिवार ने उन्हें अटूट समर्थन दिया, जिससे इस चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में आगे बढ़ने के उनके सपनों को बल मिला.

वनिता राठौर ने की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने जल्द ही उन्हें फल दिया. हाल ही में रांची में आयोजित खेलो इंडिया प्रतियोगिता में वनिता ने 75 किलोग्राम बॉक्सिंग वर्ग में स्वर्ण पदक जीता. उनकी प्रभावशाली उपलब्धियाँ इससे कहीं आगे तक फैली हुई हैं. उन्होंने हरियाणा में विश्वविद्यालय स्तर की मुक्केबाजी और कुश्ती प्रतियोगिताओं में भी स्वर्ण पदक हासिल किए. इसके अतिरिक्त उन्होंने खेलो इंडिया साउथ ज़ोन वुशू प्रतियोगिताओं में 72 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक और कई अन्य पुरस्कार अर्जित किए.

वनिता की प्रतिभा केवल मार्शल आर्ट तक ही सीमित नहीं है. उन्होंने अपनी एथलेटिक गतिविधियों को शैक्षणिक सफलता के साथ संतुलित किया है, उन्होंने पॉलिटेक्निक में डिप्लोमा और डी.पी.ई.डी. पूरा किया है. उन्होंने हाल ही में ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट डॉन 1 स्तर हासिल किया और 19 से 21 मई तक जोगुलम्बा गडवाल जिले में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के ताइक्वांडो टूर्नामेंट में रेफरी के रूप में भी काम किया.

उनकी विशेषज्ञता मार्शल आर्ट के कई विषयों में फैली हुई है, जिसमें कराटे, ताइक्वांडो, वुशू और बॉक्सिंग शामिल हैं. वनिता न केवल एक प्रतिष्ठित एथलीट हैं, बल्कि एक संरक्षक भी हैं, जो अपने स्वयं के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी करते हुए स्कूलों में छात्रों को प्रशिक्षण देती हैं. वह लड़कियों को मार्शल आर्ट सीखने के लिए जोश से वकालत करती हैं, आत्मरक्षा में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देती हैं. वह माता-पिता को इस प्रयास में अपनी बेटियों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.

वनिता के परिवार को सुरक्षा और गर्व की गहरी भावना महसूस होती है, यह जानकर कि उनकी बेटी खुद की रक्षा करने के कौशल से लैस है.वनिता ने शुरू में आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट को अपनाया था, अब राष्ट्रीय पदक जीतने में खुशी महसूस करती हैं और ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखती हैं. उनकी कहानी उत्कृष्टता की अथक खोज और देश भर की कई युवा महिलाओं के लिए प्रेरणा है.

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