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कैसा होता है ओलंपिक गांव, जानिए कब हुई थी इसकी शुरुआत - Paris Olympics 2024

Olympic Village : पेरिस में ओलंपिक खेलों की शुरुआत 26 जुलाई से होने वाली है. इससे पहले हम आपको ओलंपिक गांव के बारे में बताने वाले हैं. ये क्या होता है और कबसे इसकी शुरुआत हुई थी. पढ़िए पूरी खबर...

Olympic Village
ओलंपिक गांव (IANS PHOTOS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 22, 2024, 3:07 PM IST

नई दिल्ली: पेरिस ओलंपिक 2024 की शुरुआत होने में अब सिर्फ 4 दिनों का समय बाकी है. 26 जुलाई को पेरिस ओलंपिक का उद्घाटन समारोह होने वाला है. इसके बाद भारत के कुल 117 खिलाड़ियों का जलवा इस टूर्नामेंट में देखने के लिए मिलेगा. उससे पहले आज हम आपको ओलंपिक गांव के बारे में बताने वाले हैं. इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि ओलंपिक गांव क्या होता है, इसकी शुरुआत कैसे हुई और इससे पहले एथलीट ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए कहां रुकते थे.

Olympic Village
ओलंपिक गांव (IANS PHOTOS)

क्या होता है ओलंपिक गांव
ओलंपिक खेलों के लिए ओलंपिक गांव का निर्माण किया जाता है. जहां खेलों का आयोजन होने वाले होते हैं, उसके पास एथलीटों के लिए एक जगह बना दी जाती है, जिसमें एथीलटों को हर एक सुविधा प्रदान की जाती है. एथलीटों के रहने की जगह को ओलंपिक गांव कहा जाता है. इस ओलंपिक गांव में आकर देश-दुनिया के सभी एथलीट एक साथ रहते हैं.

कब से हुई थी ओलंपिक गांव की शुरुआत
शुरुआत के ओलंपिक खेलों में एथलीटों के लिए कोई ओलंपिक गांव नहीं था. उनमें से कुछ होटल या छात्रावासों में रुके थे. अन्य ने स्कूलों या बैरकों में सस्ते आवास का विकल्प चुना था. पहला ओलंपिक गांव लॉस एंजिल्स में 1932 के खेलों के लिए बनाया गया था. 37 देशों के एथलीट (केवल पुरुष) एक साथ खाते, सोते और प्रशिक्षण लेते थे. पहली बार कुछ सामुदायिक सेवाएं प्रदान की गईं. जिसमें एक अस्पताल, एक फायर स्टेशन और एक डाकघर मौजूद हैं. शुरुआती दिनों में महिलाएं ओलंपिक गांव में नहीं बल्कि होटलों में रुकती थीं.

Olympic Village
ओलंपिक गांव (IANS PHOTOS)

एथलीटों को ओलंपिक गांव में मिलती हैं ये सुविधाएं
मेलबर्न में 1956 के खेलों तक ओलंपिक गांव पुरूष और महिला दोनों के लिए खुला नहीं था. यह आमतौर पर प्रतियोगिता स्थलों के करीब स्थित होता है. खेलों की तैयारियों के दौरान इसके निर्माण को बहुत गंभीरता से लिया जाता है. गांव के निवासियों को कई लाभ मिलते हैं. वे गांव के रेस्तरां में 24 घंटे खाना खा सकते हैं, अपने बाल कटवा सकते हैं, क्लबिंग कर सकते हैं या शाम के संगीत समारोहों में भाग ले सकते हैं. जब खेल समाप्त हो जाते हैं, तो ओलंपिक गांव शहर के लिए एक नया आवासीय क्षेत्र बन जाता है और आवास स्थानीय आबादी को बेचा या किराए पर दिया जाता है.

Olympic Village
ओलंपिक गांव (IANS PHOTOS)

दो देशों के एथलीटों के बीच बनते हैं मजबूत रिश्ते
मेजबान शहर में पहुंचने पर, एथलीट ओलंपिक गांव में रहते हैं. खेलों के दौरान, उनका समय केवल प्रतिस्पर्धा करने के लिए समर्पित नहीं होता है. यह उनके लिए विभिन्न देशों और संस्कृतियों के अन्य एथलीटों से मिलने का अवसर भी होता है. सामुदायिक जीवन विभिन्न खेलों के एथलीटों या दूरदराज के देशों के प्रतिनिधियों के बीच संपर्क को प्रोत्साहित करने के लिए अच्छा है. ये पूरी दुनिया के एथलीटों के बीच संबंध बनाए रखता हैं.

ये खबर भी पढ़ें : पेरिस ओलंपिक की अनुमानित लागत क्या है, मेजबान देश को होती है कितनी कमाई

नई दिल्ली: पेरिस ओलंपिक 2024 की शुरुआत होने में अब सिर्फ 4 दिनों का समय बाकी है. 26 जुलाई को पेरिस ओलंपिक का उद्घाटन समारोह होने वाला है. इसके बाद भारत के कुल 117 खिलाड़ियों का जलवा इस टूर्नामेंट में देखने के लिए मिलेगा. उससे पहले आज हम आपको ओलंपिक गांव के बारे में बताने वाले हैं. इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि ओलंपिक गांव क्या होता है, इसकी शुरुआत कैसे हुई और इससे पहले एथलीट ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए कहां रुकते थे.

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ओलंपिक गांव (IANS PHOTOS)

क्या होता है ओलंपिक गांव
ओलंपिक खेलों के लिए ओलंपिक गांव का निर्माण किया जाता है. जहां खेलों का आयोजन होने वाले होते हैं, उसके पास एथलीटों के लिए एक जगह बना दी जाती है, जिसमें एथीलटों को हर एक सुविधा प्रदान की जाती है. एथलीटों के रहने की जगह को ओलंपिक गांव कहा जाता है. इस ओलंपिक गांव में आकर देश-दुनिया के सभी एथलीट एक साथ रहते हैं.

कब से हुई थी ओलंपिक गांव की शुरुआत
शुरुआत के ओलंपिक खेलों में एथलीटों के लिए कोई ओलंपिक गांव नहीं था. उनमें से कुछ होटल या छात्रावासों में रुके थे. अन्य ने स्कूलों या बैरकों में सस्ते आवास का विकल्प चुना था. पहला ओलंपिक गांव लॉस एंजिल्स में 1932 के खेलों के लिए बनाया गया था. 37 देशों के एथलीट (केवल पुरुष) एक साथ खाते, सोते और प्रशिक्षण लेते थे. पहली बार कुछ सामुदायिक सेवाएं प्रदान की गईं. जिसमें एक अस्पताल, एक फायर स्टेशन और एक डाकघर मौजूद हैं. शुरुआती दिनों में महिलाएं ओलंपिक गांव में नहीं बल्कि होटलों में रुकती थीं.

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ओलंपिक गांव (IANS PHOTOS)

एथलीटों को ओलंपिक गांव में मिलती हैं ये सुविधाएं
मेलबर्न में 1956 के खेलों तक ओलंपिक गांव पुरूष और महिला दोनों के लिए खुला नहीं था. यह आमतौर पर प्रतियोगिता स्थलों के करीब स्थित होता है. खेलों की तैयारियों के दौरान इसके निर्माण को बहुत गंभीरता से लिया जाता है. गांव के निवासियों को कई लाभ मिलते हैं. वे गांव के रेस्तरां में 24 घंटे खाना खा सकते हैं, अपने बाल कटवा सकते हैं, क्लबिंग कर सकते हैं या शाम के संगीत समारोहों में भाग ले सकते हैं. जब खेल समाप्त हो जाते हैं, तो ओलंपिक गांव शहर के लिए एक नया आवासीय क्षेत्र बन जाता है और आवास स्थानीय आबादी को बेचा या किराए पर दिया जाता है.

Olympic Village
ओलंपिक गांव (IANS PHOTOS)

दो देशों के एथलीटों के बीच बनते हैं मजबूत रिश्ते
मेजबान शहर में पहुंचने पर, एथलीट ओलंपिक गांव में रहते हैं. खेलों के दौरान, उनका समय केवल प्रतिस्पर्धा करने के लिए समर्पित नहीं होता है. यह उनके लिए विभिन्न देशों और संस्कृतियों के अन्य एथलीटों से मिलने का अवसर भी होता है. सामुदायिक जीवन विभिन्न खेलों के एथलीटों या दूरदराज के देशों के प्रतिनिधियों के बीच संपर्क को प्रोत्साहित करने के लिए अच्छा है. ये पूरी दुनिया के एथलीटों के बीच संबंध बनाए रखता हैं.

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