हैदराबाद : पैरालंपिक 2024 में भारत का इस साल शानदार प्रदर्शन जारी है. भारत ने टोक्यो ओलंपिक के प्रदर्शन को पीछे छोड़ते हुए पेरिस में अब तक 26 से ज्यादा मेडल हासिल कर लिए हैं जबकि टोक्यों में हम 19 मेडल ही हासिल कर पाए थे. अब पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों पर इनाम भी मिलना शुरु हो गया है.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने पैरालिंपिक में 400 मीटर टी-20 रेस में कांस्य पदक जीतने वाली जीवनजी दीप्ति को बधाई दी है. सरकार की ओर से उन्हें एक करोड़ रुपये और कोच को 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की गई. इसके अलावा बताया गया कि दीप्ति को ग्रुप-2 की नौकरी और वारंगल में 500 गज जमीन दी जाएगी.
पेरिस पैरालिंपिक में दीप्ति ने महिलाओं की 400 मीटर टी-20 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता. पैरालिंपिक में ट्रैक एंड फील्ड एथलेटिक्स में भारत के लिए पहली पदक विजेता बनकर इतिहास रच दिया. जीवनजी दीप्ति का गृहनगर वारंगल जिले के पर्वतगिरी मंडल का कल्लेडा गांव है. माता-पिता की उनकी सफलता में कड़ी मेहनत है.
वे एक गरीब परिवार से हैं. दीप्ति मानसिक रूप से विकलांग है. बौद्धिक विकलांगता के कारण उसके पिता यादगिरी ने बचपन में उसके लिए संघर्ष किया. बेटी को दौरा पड़ता तो वह कांप उठती. एक समय ऐसा आया जब यादगिरी ने अपना एक एकड़ खेत बेच दिया ताकि दीप्ति को खेलों में आगे बढ़ने के लिए पैसे की कमी न हो.
अपने माता-पिता के प्रोत्साहन से दीप्ति एक अजेय एथलीट बन गई. दीप्ति के पड़ोसी उसकी मानसिक स्थिति के कारण उसका मजाक उड़ाते थे. अब उसने पैरालिंपिक में पदक जीतकर न केवल अपनी जन्मभूमि बल्कि राज्य का भी गौरव बढ़ाया है. पिछले साल उन्होंने पैरा एशियन गेम्स में रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता था.
इस साल की विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने 55.07 सेकंड में लक्ष्य पूरा करके एक चमत्कार कर दिया और विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया. दीप्ति ने फाइनल मुकाबले में कांस्य पदक जीता. ये सब एक दिन में संभव नहीं था. आठ साल की मेहनत का नतीजा. दीप्ति को सफलता उसके माता-पिता यादगिरी और धनलक्ष्मी के प्रयासों के साथ-साथ आरडीएफ स्कूल पीईटी के निरंतर प्रयासों और प्रोत्साहन से मिली.
राष्ट्रीय बैडमिंटन के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने इस उपलब्धि को और समर्थन दिया. अंतरराष्ट्रीय मानक सुविधाओं और प्रशिक्षण के उच्चतम मानकों के साथ, दीप्ति ओलंपिक ने यात्रा को आसान बना दिया है. विश्व पैरा एथलेटिक्स में रिकॉर्ड कायम कर गोल्ड जीतने वाली दीप्ति ने पैरालंपिक में अपनी पहचान बनाई.
दीप्ति के माता-पिता ने किया था सरकार से अनुरोध
दीप्ति का जन्म वारंगल जिले के पर्वतगिरि मंडल के कल्लेदा गांव में एक साधारण गरीब किसान परिवार में हुआ था. परिवार के सदस्यों और ग्रामीणों ने खुशी जताई कि उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और ओलंपिक में कांस्य पदक जीता. इस मौके पर दीप्ति के माता-पिता ने सरकार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैरा ओलंपिक में प्रतिभा दिखाकर देश का नाम रोशन करने वाली उनकी बेटी को मान्यता देने और उसकी आर्थिक मदद करने की मांग की.
दीप्ति के माता-पिता ने कहा कि वे दिहाड़ी मजदूरी करके अपना गुजारा करते हैं. दीप्ति की मां उनकी आर्थिक स्थिति के बारे में बात करते हुए भावुक हो जाती हैं. देश का नाम रोशन करने वाली दीप्ति को सरकार की ओर से हर तरह से सहयोग देने और नौकरी दिलाने की बात कही गई. उन्होंने कहा कि कुछ दानदाताओं ने दीप्ति की प्रतिभा को पहचाना और आर्थिक सहयोग दिया.