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'पटना शतरंज का हब, बिहार के खिलाड़ी हो रहे चैंपियन', नेशनल स्कूल शतरंज प्रतियोगिता में ग्रैंड मास्टर

पटना में नेशनल स्कूल शतरंज प्रतियोगिता में शतरंज ग्रैंडमास्टर प्रवीण थिप्से पहुंचे. उन्होंने बताया कि पटना चेस का हब बनते जा रहा है. पिछले तीन से चार सालों में इसमें बदलाव देखने को मिला है. पढ़ें पूरी खबर.

पटना में नेशनल स्कूल शतरंज प्रतियोगिता
पटना में नेशनल स्कूल शतरंज प्रतियोगिता
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 6, 2024, 4:48 PM IST

पटना में नेशनल स्कूल शतरंज प्रतियोगिता

पटनाः बिहार के पटना में नेशनल स्कूल शतरंज प्रतियोगिता आयोजित की गई. ज्ञान भवन में आयोजित चैंपियनशिप में मुख्य अतिथि के रूप में अर्जुन पुरस्कार विजेता और ग्रैंड मास्टर प्रवीण थिप्से पहुंचे. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पटना चेस का हब है. पटना में इसके पहले भी नेशनल जूनियर चेस चैंपियनशिप हुआ है. 10 से 15 सालों में चेस के खिलाड़ी नहीं उभर रहे हैं, लेकन तीन-चार सालों में माहौल बदला है.

"खेल डीजी ने बिहार में खेल का माहौल बदलने का काम किया है. बिहार में चेस का माहौल बदल रहा है. खिलाड़ियों को ट्रेनिंग से लेकर प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है. बिहार की प्रतिभा देश और दुनिया में लोहा मनवा रही है. इसका नतीजा है कि एशियन नेशनल में बिहार के खिलाड़ी चैंपियन हो रहे हैं." - प्रवीण थिप्से, शतरंज ग्रैंड मास्टर

'मेहनत के बगैर फल नहीं मिलता': प्रवीण थिप्से ने कहा कि बिहार की प्रतिभा अब निखर कर सामने आ रही है. आगे भी बिहार के खिलाड़ी अपने खेल के माध्यम से बिहार का मान सम्मान बढ़ाने का काम करेंगे. उन्होंने बिहार के खिलाड़ियों के लिए कहा कि हर काम में दो चीजें को अपनाना चाहिए. पहला मेहनत के बगैर फल नहीं मिलता है और दूसरा धैर्य कभी नहीं खोना चाहिए.

'रिटायरमेंट से पहले 10 ग्रैंड मास्टर बनाना लक्ष्य': उन्होंने कहा कि मैं खुद ज्ञानी जैल सिंह (पूर्व राष्ट्रपति) के हाथों अर्जुन अवार्ड पाया. उन्होंने कहा था कि आप जब रिटायर हो जाओगे तो इससे पहले कम से कम 10 चैंपियन बनाना. उनकी बातों को हमने जहन में कैद किया और आज मेरे पास 5 स्टूडेंट ग्रैंड मास्टर हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश रहती है कि अपने पड़ोसी और बच्चों भी ट्रेनिंग दूं.

'खिलाड़ी को मदद की जरूरत': बिहार में गरीबी के कारण कई खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पाते हैं. इसको लेकर उन्होंने कहा कि गरीबी एक बाधा है. उस बाधा से निपटने के लिए प्रयास करना होगा. सरकार को ऐसे खिलाड़ियों की पहचान कर मदद करनी चाहिए. बिहार के खिलाड़ी जो राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं, उन्हें शिक्षा के साथ पैसा भी देना चाहिए ताकि आगे बढ़ सके.

'सरकार को बजट बनाने की जरूरत': उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार चाहे तो हर खेल के लिए एक बजट बना दें. बजट बना कर उसमें से टॉप टेन खिलाड़ियों का चयन करके उनको पूरी तरीके से ट्रेनिंग, रहना सहित तमाम व्यवस्था दे. खिलाड़ी खुद सामने आने लगेंगे. उन्होंने कहा कि यह प्रपोजल खेल विभाग के सामने रखना होगा.

यह भी पढ़ेंः पटना में शुरू हुआ नेशनल स्कूल चेस चैंपियनशिप, विजेता खिलाड़ियों को दिया जाएगा 5 लाख कैश और ट्रॉफी

पटना में नेशनल स्कूल शतरंज प्रतियोगिता

पटनाः बिहार के पटना में नेशनल स्कूल शतरंज प्रतियोगिता आयोजित की गई. ज्ञान भवन में आयोजित चैंपियनशिप में मुख्य अतिथि के रूप में अर्जुन पुरस्कार विजेता और ग्रैंड मास्टर प्रवीण थिप्से पहुंचे. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि पटना चेस का हब है. पटना में इसके पहले भी नेशनल जूनियर चेस चैंपियनशिप हुआ है. 10 से 15 सालों में चेस के खिलाड़ी नहीं उभर रहे हैं, लेकन तीन-चार सालों में माहौल बदला है.

"खेल डीजी ने बिहार में खेल का माहौल बदलने का काम किया है. बिहार में चेस का माहौल बदल रहा है. खिलाड़ियों को ट्रेनिंग से लेकर प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है. बिहार की प्रतिभा देश और दुनिया में लोहा मनवा रही है. इसका नतीजा है कि एशियन नेशनल में बिहार के खिलाड़ी चैंपियन हो रहे हैं." - प्रवीण थिप्से, शतरंज ग्रैंड मास्टर

'मेहनत के बगैर फल नहीं मिलता': प्रवीण थिप्से ने कहा कि बिहार की प्रतिभा अब निखर कर सामने आ रही है. आगे भी बिहार के खिलाड़ी अपने खेल के माध्यम से बिहार का मान सम्मान बढ़ाने का काम करेंगे. उन्होंने बिहार के खिलाड़ियों के लिए कहा कि हर काम में दो चीजें को अपनाना चाहिए. पहला मेहनत के बगैर फल नहीं मिलता है और दूसरा धैर्य कभी नहीं खोना चाहिए.

'रिटायरमेंट से पहले 10 ग्रैंड मास्टर बनाना लक्ष्य': उन्होंने कहा कि मैं खुद ज्ञानी जैल सिंह (पूर्व राष्ट्रपति) के हाथों अर्जुन अवार्ड पाया. उन्होंने कहा था कि आप जब रिटायर हो जाओगे तो इससे पहले कम से कम 10 चैंपियन बनाना. उनकी बातों को हमने जहन में कैद किया और आज मेरे पास 5 स्टूडेंट ग्रैंड मास्टर हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश रहती है कि अपने पड़ोसी और बच्चों भी ट्रेनिंग दूं.

'खिलाड़ी को मदद की जरूरत': बिहार में गरीबी के कारण कई खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पाते हैं. इसको लेकर उन्होंने कहा कि गरीबी एक बाधा है. उस बाधा से निपटने के लिए प्रयास करना होगा. सरकार को ऐसे खिलाड़ियों की पहचान कर मदद करनी चाहिए. बिहार के खिलाड़ी जो राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं, उन्हें शिक्षा के साथ पैसा भी देना चाहिए ताकि आगे बढ़ सके.

'सरकार को बजट बनाने की जरूरत': उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार चाहे तो हर खेल के लिए एक बजट बना दें. बजट बना कर उसमें से टॉप टेन खिलाड़ियों का चयन करके उनको पूरी तरीके से ट्रेनिंग, रहना सहित तमाम व्यवस्था दे. खिलाड़ी खुद सामने आने लगेंगे. उन्होंने कहा कि यह प्रपोजल खेल विभाग के सामने रखना होगा.

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