जयपुर: पेरिस में आयोजित हो रहे पैरालंपिक खेलों में इस बार राजस्थान से तीन खिलाड़ियों में मेडल अपने नाम किया, जिसमें मोना अग्रवाल ने शूटिंग में कांस्य पदक अपने नाम किया. शूटिंग से पहले मोना ने कई खेलों में अपना हाथ आजमाया, लेकिन मोना को पहचान दिलाई शूटिंग ने. पेरिस में आयोजित पैरालंपिक खेलों में उन्होंने देश और राजस्थान का नाम रोशन किया, लेकिन पैरालंपिक के पोडियम तक पहुंचने का सफर मोना के लिए आसान नहीं था.
मोना को बचपन में पोलियो हो गया और वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गईं. पिछले दो साल से मोना ने शूटिंग सीखी. इस दौरान मोना अपने बच्चों से भी अलग रहीं और पैरालंपिक कि तैयारी करने लगीं. मोना के पति रविंद्र ने बताया कि सबसे पहले मोना ने एथलेटिक्स में अपना करियर शुरू किया. इसके बाद सिटिंग वॉलीबॉल में भी हाथ आजमाया. इस दौरान उन्होंने स्टेट लेवल पर कई मेडल अपने नाम किया, लेकिन टोक्यो पैरालंपिक खेलों के बाद मोना ने शूटिंग खेल को चुना और मेडल जीता.
जीते कई मेडल : मोना के पति रविंद्र बताते हैं कि मोना पहले पैरालंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई थी, लेकिन इसके बाद 2022 एशियाई पैरा खेलों और लीमा में 2023 डब्ल्यूएसपीएस चैंपियनशिप के जरिए पेरिस 2024 पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई करने का लक्ष्य रखा था. हालांकि, वह पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई करने से चूक गई थीं. इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली में आयोजित हुए डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप 2024 में सफलता हासिल की. इसमें उन्होंने 250.7 का कुल स्कोर दर्ज करके स्वर्ण पदक जीता था. जिसके बाद मोना ने पेरिस पैरालंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई किया. मोना अग्रवाल का जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में उनके पति रविंद्र के साथ उनकी पहली मुलाकात हुई थी.
पति ने बच्चों को संभाला : रवींद्र बताते हैं कि खेलों की तैयारी के लिए मोना अक्सर शहर से बाहर रहा करती थीं. ऐसे में उन्होंने बच्चों को संभाला और उनके परिवार ने भी उनका पूरा साथ दिया. पैरालंपिक खेलों की तैयारी के लिए भी मोना तकरीबन 10 महीने बाहर रहीं और अपने बच्चों से भी नहीं मिल पाईं. रवींद्र ने बताया कि शूटिंग काफी महंगा खेल है, लेकिन परिवार ने पूरा साथ दिया तो मोना ने इतिहास रचा है.