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ओलंपिक में मिली हार के बाद रोहन बोपन्ना ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस से लिया संन्यास - Rohan Bopanna Retirement

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By PTI

Published : Jul 29, 2024, 9:09 PM IST

Updated : Jul 29, 2024, 9:16 PM IST

Paris Olympics 2024: भारत के अनुभवी टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस प्रतियोगिता से संन्यास की घोषणा कर दी हैं. अब वो भारत के लिए टेनिस खेलते हुए नजर नहीं आएगी. पढ़िए पूरी खबर...

रोहन बोपन्ना
Rohan Bopanna (AFP PHOTOS)

पेरिस (फ्रांस): भारत के टेनिस स्टार प्लेयर रोहन बोपन्ना ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस से संन्यास ले लिया है. उन्होंने ये फैसला पेरिस ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद लिया है. रोहन बोपन्ना पेरिस ओलंपिक से जल्दी बाहर हो गए, उन्हें इस बात का संतोष है कि वे 22 साल तक अपने सपने को जी सकते हैं. बोपन्ना और एन श्रीराम बालाजी रविवार रात पुरुष युगल के पहले दौर में एडौर्ड रोजर-वेसलिन और गेल मोनफिल्स की फ्रांसीसी जोड़ी से हार गए और पेरिस ओलंपिक 2024 से बाहर हो गए.

रोहन बोपन्ना ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस से संन्यास लिया
1996 में अटलांटा खेलों में लिएंडर पेस के ऐतिहासिक एकल कांस्य पदक के बाद से भारतीय टेनिस को ओलंपिक पदक नहीं मिला है. बोपन्ना 2016 में इस मिथक को तोड़ने के करीब थे, लेकिन मिश्रित स्पर्धा में सानिया मिर्जा के साथ चौथे स्थान पर रहे.

जापान में 2026 एशियाई खेलों से खुद को बाहर करते हुए बोपन्ना ने कहा, 'यह निश्चित रूप से देश के लिए मेरा आखिरी इवेंट होगा. मैं पूरी तरह से समझता हूं कि मैं कहां हूं और अब, जब तक यह चलता रहेगा, मैं बस टेनिस सर्किट का आनंद लेने जा रहा हूं'. उन्होंने डेविस कप से संन्यास की घोषणा पहले ही कर दी है.

उन्होंने आगे कहा, 'मैं जिस मुकाम पर हूं, उसके लिए यह पहले से ही एक बड़ा बोनस है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं दो दशकों तक भारत का प्रतिनिधित्व करूंगा. 2002 से ही अपने पदार्पण से लेकर 22 साल बाद भी भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलना. मुझे इस पर बेहद गर्व है'.

बोपन्ना ने कहा कि 2010 में ब्राजील के खिलाफ डेविस कप मुकाबले में रिकार्डो मेलो के खिलाफ उनकी पांचवीं रबर की जीत भारत के लिए खेलते हुए उनके सबसे बेहतरीन पलों में से एक रहेगी.

संन्यास की घोषणा करते समय बोली बड़ी बात
उन्होंने आगे कहा, 'यह निश्चित रूप से डेविस कप के इतिहास में एक पल है. यह अब तक का मेरा सबसे बेहतरीन पल है, इसमें कोई शक नहीं कि चेन्नई में वह और फिर सर्बिया के खिलाफ बैंगलोर में पांच सेटों वाला डबल्स जीतना. ली के साथ खेलना, हेश के कप्तान के रूप में. उस समय, यह सबसे बेहतरीन टीम माहौल और टीम के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल था. मैं अपनी पत्नी (सुप्रिया) का आभारी हूं, जिन्होंने इस यात्रा में बहुत त्याग किए हैं'.

बोपन्ना अपने समर्थन कार्यक्रम के साथ भारत के युगल खिलाड़ियों की मदद कर रहे हैं और अगर उन्हें भविष्य में AITA के संचालन में शामिल होने का मौका मिलता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी. उन्होंने अंत में कहा, 'जब मैं इसके लिए तैयार हो जाऊंगा तो निश्चित रूप से उन पदों पर विचार करूंगा. मैं ऐसा तब नहीं करना चाहता जब मैं अभी भी प्रतिस्पर्धा कर रहा हूं और यात्रा कर रहा हूं क्योंकि तब मैं इसके प्रति अपनी सौ प्रतिशत प्रतिबद्धता नहीं दे पाऊंगा'.

ये खबर भी पढ़ें : पेरिस ओलंपिक में भारत ने जीता पहला पदक, मनु भाकर ने ब्रॉन्ज पर साधा निशाना

पेरिस (फ्रांस): भारत के टेनिस स्टार प्लेयर रोहन बोपन्ना ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस से संन्यास ले लिया है. उन्होंने ये फैसला पेरिस ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद लिया है. रोहन बोपन्ना पेरिस ओलंपिक से जल्दी बाहर हो गए, उन्हें इस बात का संतोष है कि वे 22 साल तक अपने सपने को जी सकते हैं. बोपन्ना और एन श्रीराम बालाजी रविवार रात पुरुष युगल के पहले दौर में एडौर्ड रोजर-वेसलिन और गेल मोनफिल्स की फ्रांसीसी जोड़ी से हार गए और पेरिस ओलंपिक 2024 से बाहर हो गए.

रोहन बोपन्ना ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस से संन्यास लिया
1996 में अटलांटा खेलों में लिएंडर पेस के ऐतिहासिक एकल कांस्य पदक के बाद से भारतीय टेनिस को ओलंपिक पदक नहीं मिला है. बोपन्ना 2016 में इस मिथक को तोड़ने के करीब थे, लेकिन मिश्रित स्पर्धा में सानिया मिर्जा के साथ चौथे स्थान पर रहे.

जापान में 2026 एशियाई खेलों से खुद को बाहर करते हुए बोपन्ना ने कहा, 'यह निश्चित रूप से देश के लिए मेरा आखिरी इवेंट होगा. मैं पूरी तरह से समझता हूं कि मैं कहां हूं और अब, जब तक यह चलता रहेगा, मैं बस टेनिस सर्किट का आनंद लेने जा रहा हूं'. उन्होंने डेविस कप से संन्यास की घोषणा पहले ही कर दी है.

उन्होंने आगे कहा, 'मैं जिस मुकाम पर हूं, उसके लिए यह पहले से ही एक बड़ा बोनस है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं दो दशकों तक भारत का प्रतिनिधित्व करूंगा. 2002 से ही अपने पदार्पण से लेकर 22 साल बाद भी भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलना. मुझे इस पर बेहद गर्व है'.

बोपन्ना ने कहा कि 2010 में ब्राजील के खिलाफ डेविस कप मुकाबले में रिकार्डो मेलो के खिलाफ उनकी पांचवीं रबर की जीत भारत के लिए खेलते हुए उनके सबसे बेहतरीन पलों में से एक रहेगी.

संन्यास की घोषणा करते समय बोली बड़ी बात
उन्होंने आगे कहा, 'यह निश्चित रूप से डेविस कप के इतिहास में एक पल है. यह अब तक का मेरा सबसे बेहतरीन पल है, इसमें कोई शक नहीं कि चेन्नई में वह और फिर सर्बिया के खिलाफ बैंगलोर में पांच सेटों वाला डबल्स जीतना. ली के साथ खेलना, हेश के कप्तान के रूप में. उस समय, यह सबसे बेहतरीन टीम माहौल और टीम के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल था. मैं अपनी पत्नी (सुप्रिया) का आभारी हूं, जिन्होंने इस यात्रा में बहुत त्याग किए हैं'.

बोपन्ना अपने समर्थन कार्यक्रम के साथ भारत के युगल खिलाड़ियों की मदद कर रहे हैं और अगर उन्हें भविष्य में AITA के संचालन में शामिल होने का मौका मिलता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी. उन्होंने अंत में कहा, 'जब मैं इसके लिए तैयार हो जाऊंगा तो निश्चित रूप से उन पदों पर विचार करूंगा. मैं ऐसा तब नहीं करना चाहता जब मैं अभी भी प्रतिस्पर्धा कर रहा हूं और यात्रा कर रहा हूं क्योंकि तब मैं इसके प्रति अपनी सौ प्रतिशत प्रतिबद्धता नहीं दे पाऊंगा'.

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Last Updated : Jul 29, 2024, 9:16 PM IST
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