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स्टार भारतीय एथलीट ने छोड़ा टेबल टेनिस, अब अमेरिका जाकर करेंगी पढ़ाई - Paris Olympics 2024

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By ETV Bharat Sports Team

Published : Aug 22, 2024, 1:53 PM IST

Athlete quit Table Tennis to pursue Academics : पेरिस ओलंपिक 2024 में इतिहास रचने वाली स्टार भारतीय पैडलर ने पढ़ाई के लिए टेबल टेनिस को छोड़कर सभी को चौंका दिया है. पढे़ं पूरी खबर.

archana kamath
अर्चना कामथ (AFP Photo)

नई दिल्ली : पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत की टेबल टेनिस टीम का हिस्सा रहीं अर्चना कामथ ने भविष्य में स्थिरता की कमी के कारण खेल छोड़ दिया. इसके बजाय अब 24 वर्षीय पैडलर ने आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने की योजना बनाई है. कामथ की खबर तब सामने आई जब उन्होंने अपने कोच अंशुल गर्ग को अपने फैसले के बारे में बताया. भारतीय पैडलर पेरिस ओलंपिक 2024 में शीर्ष फॉर्म में थीं. कामथ भारतीय महिला टीम का हिस्सा थीं जिसने पहली बार क्वार्टर फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया था.

पढ़ाई के लिए छोड़ा टेबल टेनिस
गर्ग ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें कामथ के टेबल टेनिस छोड़ने के फैसले के बारे में तब पता चला जब उन्होंने पूछा कि क्या लॉस एंजिल्स ओलंपिक में पदक जीतने की संभावना है. गर्ग ने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि यह मुश्किल है. इसमें बहुत मेहनत लगेगी, वह दुनिया में शीर्ष 100 से बाहर है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में उसने बहुत सुधार किया है. लेकिन मुझे लगता है कि उसने पहले ही जाने का मन बना लिया था. और एक बार जब वह अपना मन बना लेती है, तो उसे बदलना मुश्किल होता है'.

भाई ने पढ़ने के लिए किया प्रोत्साहित
कामथ ने इस साल की शुरुआत में कहा था, 'मेरा भाई नासा में काम करता है. वह मेरा आदर्श है और वह भी मुझे पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित करता है. इसलिए मैं अपनी सारी पढ़ाई पूरी करने के लिए समय निकालती हूं और मुझे इसमें मज़ा आता है. मैं इसमें अच्छी हूं'. बता दें कि वह अपनी पढ़ाई में भी बहुत अच्छी है.

पिता ने किया समर्थन
कामथ को अपने पिता का भी समर्थन प्राप्त है. उनके पिता गिरीश ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'अर्चना हमेशा से ही अकादमिक रूप से अच्छी रही हैं और अपने पूरे टीटी करियर के दौरान उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की है और हाल ही में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संबंध, रणनीति और प्रतिभूति में मास्टर डिग्री के लिए आवश्यक योग्यताएं पूरी की हैं'.

उन्होंने आगे कहा, '15 साल से अधिक समय तक इतने समर्पण और जुनून के साथ टेबल टेनिस खेलने के बाद, जिसका समापन ओलंपिक में हमारे देश का प्रतिनिधित्व करने में हुआ, उसे लगा कि अब समय आ गया है कि वह अपने दूसरे जुनून- पढा़ई को आगे बढ़ाए. उसने बिना किसी पछतावे के और खेल और देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने के बाद यह कठिन कदम उठाया है'.

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नई दिल्ली : पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत की टेबल टेनिस टीम का हिस्सा रहीं अर्चना कामथ ने भविष्य में स्थिरता की कमी के कारण खेल छोड़ दिया. इसके बजाय अब 24 वर्षीय पैडलर ने आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने की योजना बनाई है. कामथ की खबर तब सामने आई जब उन्होंने अपने कोच अंशुल गर्ग को अपने फैसले के बारे में बताया. भारतीय पैडलर पेरिस ओलंपिक 2024 में शीर्ष फॉर्म में थीं. कामथ भारतीय महिला टीम का हिस्सा थीं जिसने पहली बार क्वार्टर फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया था.

पढ़ाई के लिए छोड़ा टेबल टेनिस
गर्ग ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें कामथ के टेबल टेनिस छोड़ने के फैसले के बारे में तब पता चला जब उन्होंने पूछा कि क्या लॉस एंजिल्स ओलंपिक में पदक जीतने की संभावना है. गर्ग ने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि यह मुश्किल है. इसमें बहुत मेहनत लगेगी, वह दुनिया में शीर्ष 100 से बाहर है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में उसने बहुत सुधार किया है. लेकिन मुझे लगता है कि उसने पहले ही जाने का मन बना लिया था. और एक बार जब वह अपना मन बना लेती है, तो उसे बदलना मुश्किल होता है'.

भाई ने पढ़ने के लिए किया प्रोत्साहित
कामथ ने इस साल की शुरुआत में कहा था, 'मेरा भाई नासा में काम करता है. वह मेरा आदर्श है और वह भी मुझे पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित करता है. इसलिए मैं अपनी सारी पढ़ाई पूरी करने के लिए समय निकालती हूं और मुझे इसमें मज़ा आता है. मैं इसमें अच्छी हूं'. बता दें कि वह अपनी पढ़ाई में भी बहुत अच्छी है.

पिता ने किया समर्थन
कामथ को अपने पिता का भी समर्थन प्राप्त है. उनके पिता गिरीश ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'अर्चना हमेशा से ही अकादमिक रूप से अच्छी रही हैं और अपने पूरे टीटी करियर के दौरान उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की है और हाल ही में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संबंध, रणनीति और प्रतिभूति में मास्टर डिग्री के लिए आवश्यक योग्यताएं पूरी की हैं'.

उन्होंने आगे कहा, '15 साल से अधिक समय तक इतने समर्पण और जुनून के साथ टेबल टेनिस खेलने के बाद, जिसका समापन ओलंपिक में हमारे देश का प्रतिनिधित्व करने में हुआ, उसे लगा कि अब समय आ गया है कि वह अपने दूसरे जुनून- पढा़ई को आगे बढ़ाए. उसने बिना किसी पछतावे के और खेल और देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने के बाद यह कठिन कदम उठाया है'.

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