हैदराबाद : तेलुगु शतरंज की दिग्गज खिलाड़ी और फिडे महिला विश्व रैपिड शतरंज चैंपियन कोनेरू हम्पी ने रैपिड शतरंज में अपना दूसरा विश्व खिताब जीतकर एक बार फिर इतिहास रच दिया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में हम्पी ने संन्यास लेने से लेकर विश्व चैंपियन बनने तक के अपने सफर के बारे में बताया, जिससे उनकी 'रैपिड क्वीन' की हैसियत और मजबूत हुई.
क्या आपको खिताब जीतने की उम्मीद थी ?
हम्पी ने कहा, 'सच कहूं तो नहीं'. 'मैंने टूर्नामेंट की शुरुआत हार के साथ की और पहले दिन पहले चार राउंड में सिर्फ 2.5 अंक ही हासिल कर पाई. मुझे लगा कि अब मेरा खेल खत्म हो गया है. लेकिन दूसरे दिन उम्मीद जगी क्योंकि मैंने चारों राउंड में पूरे अंक हासिल किए. अंतिम दिन, जू वेनजुन और लैग्नो कैटरिना के खिलाफ दो ड्रॉ के बाद, मैं छह अन्य खिलाड़ियों के साथ 7.5 अंकों पर बराबरी पर थी. 11वां राउंड निर्णायक था।. इंडोनेशिया की करिश्मा सुकंदर के खिलाफ काले मोहरों से खेलते हुए, मैंने जीत हासिल की. चूंकि अन्य छह गेम ड्रॉ रहे, इसलिए मैं आधे अंक से विजयी हुई. यह भारतीय शतरंज के इतिहास का एक सुनहरा पल है'.
👏 Congratulations to 🇮🇳 Humpy Koneru, the 2024 FIDE Women’s World Rapid Champion! 🏆#RapidBlitz #WomenInChess pic.twitter.com/CCg3nrtZAV
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हंपी के पास अब रैपिड शतरंज में एक प्रभावशाली रिकॉर्ड है: 2012 में कांस्य, 2019 में चैंपियनशिप का खिताब, 2023 में रजत और 2024 में एक और चैंपियनशिप जीत. 'रैपिड क्वीन कहलाना सही लगता है' पर वह मुस्कुराई.
आपने अंतिम राउंड के दौरान दबाव को कैसे संभाला ?
कोनेरू हम्पी ने कहा, 'आखिरी गेम अविश्वसनीय रूप से कठिन था. रैपिड शतरंज में, आपके पास तैयारी करने का समय नहीं होता क्योंकि प्रतिद्वंद्वी का पता मैच से केवल 10 मिनट पहले ही चलता है. यह सब व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव पर निर्भर करता है. पहले दिन की हार के बाद, मेरी लड़ाई की भावना ने काम करना शुरू कर दिया. मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने और शीर्ष पर पहुंचने का लक्ष्य बनाने का फैसला किया'.
आपने इस साल की शुरुआत में रिटायरमेंट पर विचार करने का उल्लेख किया. क्या बदल गया ?
उन्होंने खुलासा किया, 'मेरे लिए 2024 की शुरुआत अच्छी नहीं रही. मैंने कैंडिडेट्स, नॉर्वे और टाटा शतरंज जैसे टूर्नामेंट में खराब प्रदर्शन किया, अक्सर सबसे निचले पायदान पर रहा. 37 साल की उम्र में, अपने अनुभव के बावजूद, अपनी रणनीतियों को विफल होते और अपनी चपलता को कम होते देखना निराशाजनक था. मुझे वाकई लगा कि अब खेल छोड़ने का समय आ गया है'.
🇮🇳 Humpy Koneru is the 2024 FIDE WOMEN'S WORLD RAPID CHAMPION! 👏 🔥@humpy_koneru #RapidBlitz
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परिवार खासकर पिता ने किया प्रेरित
लेकिन यह उसके पिता थे, जिन्होंने उसे शतरंज से परिचित कराया, जिन्होंने उसके आत्मविश्वास को फिर से जगाया. कोनेरू हम्पी ने कहा, 'उन्होंने (पिता) मुझे शतरंज इंजन को छोड़कर पुराने और नए चैंपियनशिप गेम को फिर से देखने के लिए प्रोत्साहित किया. मैंने पहेलियां हल कीं और छोटे मैच खेले. धीरे-धीरे, मैंने अपनी लय फिर से पा ली. मेरे परिवार, खासकर मेरे पति और चाचा ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई'.
क्या भारत शतरंज की महाशक्ति बन रहा है ?
इसका जवाब देते हुए कोनेरू हम्पी ने कहा, 'बिल्कुल, भारत वैश्विक शतरंज महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, और यह गति अगले 15-20 वर्षों तक जारी रह सकती है. हमें अगली पीढ़ी को पोषित करने के लिए एक संरचित दृष्टिकोण की आवश्यकता है. चीन एक बेहतरीन उदाहरण है, वे अपने चैंपियन के लुप्त होने से पहले प्रतिभा की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं. भारत, सरकारों और कॉरपोरेट्स के समर्थन से, अवसर पैदा कर रहा है. हालांकि, हमें एक मजबूत शतरंज संस्कृति और बेहतर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है, खासकर तमिलनाडु जैसे राज्यों में, जहां शतरंज की समृद्ध विरासत है'.
Congratulations to @humpy_koneru on winning the 2024 FIDE Women’s World Rapid Championship! Her grit and brilliance continues to inspire millions.
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This victory is even more historic because it is her second world rapid championship title, thereby making her the only Indian to… https://t.co/MVxUcZimCc pic.twitter.com/nndIak2OvI
रिटायरमेंट के कगार से वैश्विक जीत तक हम्पी की यात्रा उनके लचीलेपन, जुनून और उनके प्रियजनों के अटूट समर्थन का प्रमाण है. 37 साल की उम्र में, वह भारतीय शतरंज खिलाड़ियों की अगली पीढ़ी को प्रेरित और मार्ग प्रशस्त करना जारी रखती हैं.