मैसूर (तमिलनाडु): मैसूर, जो अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपरा के लिए प्रसिद्ध शहर है. उसमें एक युवा क्रिकेटर मनवंत कुमार को देखा गया है. ये ऑलराउंडर खिलाड़ी मैसूर का पहला क्रिकेटर बना है, जिन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया, जो ₹30 लाख में दिल्ली कैपिटल्स में शामिल हुए. मीलों साइकिल चलाने से लेकर क्रिकेट का अभ्यास करने और राष्ट्रीय स्तर पर खेलने तक, मनवंत की कहानी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है.
क्रिकेटर ने की साधारण शुरुआत
मैसूर के श्रीनगर इलाके में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे मनवंत कुमार का पालन-पोषण साधारण लेकिन सपनों से भरा हुआ था. उनके पिता लक्ष्मी कुमार एक सेवानिवृत्त BMTC बस चालक और उनकी मां श्रीदेवी कुमार, एक गृहिणी हैं. उन्होंने अपने दोनों बेटों में कड़ी मेहनत के गुणों को डाला. मनवंत के बड़े भाई हेमंत कुमार जो खुद एक क्रिकेटर हैं. उन्होंने अपने छोटे भाई के करियर को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
मैसूर के रहने वाले मनवंत कुमार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का हिस्सा बनने वाले शहर के पहले क्रिकेटर बन गए हैं. मनवंत कुमार के पिता लक्ष्मी कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि, 'दोनों बेटों को क्रिकेट की ट्रेनिंग देना मुश्किल था, लेकिन मैसूर के एक क्रिकेट संस्थान ने मुफ्त कोचिंग की पेशकश की, जो एक महत्वपूर्ण मोड़ था'.
सपनों को लेकर चलने वाली साइकिल मनवंत की क्रिकेट यात्रा दो पहियों वाली साइकिल पर शुरू हुई. युवा लड़का बालाचंद्र क्रिकेट क्लब में अभ्यास करने के लिए रोजाना 15 किलोमीटर की यात्रा करता था. शुरुआत में दोनों भाइयों के पास केवल एक साइकिल थी, जिसे उनके पिता ने मनवंत के लिए एक नई साइकिल खरीदने के लिए अथक प्रयास किया. इस सरल लेकिन मेहनती काम ने उनके क्रिकेट के सपनों की नींव रखी. आज भी मनवंत उस साइकिल को संजोकर रखते हैं.
उनके पिता ने कहा, 'जब भी वह मैसूर आता है, तो वह अभी भी उस साइकिल पर सवार होता है. उसका परिवार प्यार से याद करता है, जो उसकी जड़ों से जुड़ाव का प्रतीक है'. उनकी मां श्रीदेवी उनके बचपन को प्यार से याद करते हुए कहती हैं कि, 'वह बहुत शरारती था, लेकिन दृढ़ निश्चयी था. यहां तक कि उसके पिता के ड्यूटी से लौटने के बाद भी वे दिन खत्म होने से पहले क्रिकेट खेलते थे'.
मनवंत के बड़े भाई हेमंत ने लगातार प्रयास करने की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया और कहा, 'एक दिन वह बल्लेबाजी का अभ्यास करता था, अगले दिन गेंदबाजी का अभ्यास करता था. उसने कभी कोई सत्र नहीं छोड़ा हमारे कोच बालचंद्र ने हमारा भरपूर समर्थन किया और किसी भी समय कोचिंग प्रदान की है'.
हर स्तर पर बिखेरा जलवा
कर्नाटक के क्रिकेट सर्किट में मनवंत की यात्रा बहुत प्रभावशाली रही है. अंडर-19 टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन करने से पहले उन्होंने अंडर-14 और अंडर-16 मैसूर जोन की टीमों का प्रतिनिधित्व किया. वर्तमान में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में खेल रहे बाएं हाथ के बल्लेबाज और दाएं हाथ के गेंदबाज ने आईपीएल नीलामी में सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. उनका चयन आईपीएल नीलामी के एक्सेलरेटर राउंड के दूसरे दिन हुआ. यह अवसर उन्हें केएल राहुल, अक्षर पटेल, कुलदीप यादव और मिशेल स्टार्क जैसे अंतरराष्ट्रीय सितारों के साथ समय बिताने में मदद करेगा.
परिवार का अटूट समर्थन
मनवंत की सफलता अकेले उनकी नहीं है. यह उनके परिवार की साझा जीत है. कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी नौकरी खो चुके उनके पिता लक्ष्मी कुमार ने बहुत गर्व व्यक्त किया कि, 'उसे अपने सपने पूरे करते देखना खुशी की बात है. हमने कठिनाइयों का सामना किया है, लेकिन यह सब सार्थक है. मेरा मानना है कि एक दिन उसमें भारत का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता है. यह तो बस शुरुआत है. उसने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है और दिखाया है कि समर्पण आपको ऊंचाइयों तक ले जा सकता है'.
मनवंत के भाई ने कहा, 'मनवंत कुमार की यात्रा दृढ़ता, परिवार के समर्थन और कोच बालचंद्र जैसे गुरुओं के मार्गदर्शन के महत्व को दिखाती है. अभ्यास के लिए 15 किलोमीटर साइकिल चलाने से लेकर दुनिया की सबसे बड़ी फ्रैंचाइज़ी लीग में खेलने तक, मनवंत की कहानी इस बात का सबूत है कि कोई भी सपना उन लोगों के लिए बहुत बड़ा नहीं है जो उसका पीछा करने की हिम्मत रखते हैं'.