नई दिल्ली: पंजाब किंग्स के हरफनमौला खिलाड़ी शशांक सिंह ने एक बेहतरीन इंटरव्यू दिया है. इसमें उन्होंने अपने बारे में बात की है, इसक साथ ही उन्होंने टीम के कप्तान शिखर धवन की चोट पर भी बात की है. शशांक वहीं खिलाड़ी हैं, जिन्हें पंजाब ने नीलामी में गलती से खरीद लिया था. इसके बाद उन्होंने जब पंजाब के लिए खेलना शुरू किया तो सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. आईएएनएस से विशेष बातचीत में शशांक सिंह ने सोशल मीडिया पर प्रशंसा और ट्रोल से निपटने पर भी अपने विचार साझा किए.
शशांक ने आगे बात करते हुए कहा, 'मेरे पिता आईपीएस हैं, मेरी बहन एक मैकेनिकल इंजीनियर है और मेरी मां ने इतिहास में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है. क्रिकेट खेलना और भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे पिता का सपना था. शुरुआत में क्रिकेट खेलना मेरा सपना भी नहीं था, ये मेरे पिता का सपना था. वह मुझे गेंदबाजी करते थे और मेरे अभ्यास के लिए मैदान किराए पर लेते थे. एक या दो साल पहले, मैंने क्रिकेट छोड़ने के बारे में सोचा और मैंने कोई बिजनेस करने के बारे में सोचा. लेकिन मेरे परिवार ने मेरा बहुत समर्थन किया और मुझसे खेलते रहने का आग्रह किया'.
उन्होंने आगे कहा, 'मेरी यात्रा में उतार-चढ़ाव हैं, जो रह क्रिकेटर के जीवन में होते हैं. पहले 2 से 3 फ्रेंचाइजी में मुझे मौका नहीं मिला, फिर जब मुझे एसआरएच में मौका मिला तो वहां बल्लेबाजी अच्छी नहीं थी. लेकिन आईपीएल में मौका मिलना अपने आप में किसी भी घरेलू खिलाड़ी के लिए बड़ा मौका होता है. जब मैं पंजाब किंग्स में आया, तो प्रबंधन ने बहुत स्वागत किया. हमारे अभ्यास मैच अच्छे थे और मैंने अच्छा प्रदर्शन किया, इसलिए मुझे यहां मौका मिला. जब आप अच्छे क्षेत्र में रहते हैं तो आप उसी आत्मविश्वास के साथ मैच में उतरते हैं'.
ऑलराउंडर ने आगे कहा, 'घरेलू सीजन भी बहुत अच्छा गया था और मैं वही आत्मविश्वास यहां लेकर आया. अगर आप गुजरात टाइटंस के मैच के बारे में बात करते हैं, तो मैं कहूंगा कि मुझे नंबर 6 पर बल्लेबाजी करने का मौका मिला जब 8-9 ओवर बचे थे. इसलिए, मैंने इसे एक अवसर के रूप में देखा और सोचा कि इसे दोनों हाथों से कैसे भुनाया जाए. उस समय मैच जीतना मेरे दिमाग में नहीं था, मेरे दिमाग में केवल एक ही बात चल रही थी कि मैच को गहराई तक कैसे ले जाएं'.
शशांक ने कहा, 'शिखर की चोट खेल का अभिन्न अंग है लेकिन यह अन्य खिलाड़ियों के लिए भी एक अवसर है. शिखर के पास जिस तरह का अनुभव है उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में टीम से कोई न कोई यह स्थान लेगा. टीम में युवा खिलाड़ी हैं जो मौके का फायदा उठाना चाहते हैं'.
शशांक ने आगे कहा, 'टूर्नामेंट की गति दूसरे हाफ में बदलती दिख रही है. हमारे आठ मैच बचे हैं और हमें विश्वास है कि हम जीतेंगे. हम अपने मैच आखिरी गेंद या दूसरी-आखिरी गेंद पर हार गए. मैंने स्टीव स्मिथ, बेन स्टोक्स, श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत और अन्य कई बड़े क्रिकेटर्स के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया है. इसलिए मैं उनसे बात करता हूं कि वे दबाव को कैसे संभालते हैं. कभी-कभी हम योग करते हैं या एक दिन के लिए सोशल मीडिया से दूरी बना लेते हैं. हम सोशल मीडिया से हमेशा के लिए दूर नहीं जा सकते हैं, लेकिन कुछ समय के लिए हम खुद को इससे अलग कर सकते हैं और फिर जब आप अच्छी जगह पर हों तो वापस आ सकते हैं. फैंस तारीफ भी करते हैं और ट्रोल भी. इसलिए भले ही यह अच्छा हो या बुरा, इसे दिल पर न लें. हमने समय के साथ ऐसी सभी चीजों में संतुलन बनाए रखना सीख लिया है'.
शशांक ने कहा, 'मैं सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी देखता था और जब सफेद गेंद क्रिकेट इतना आगे बढ़ गया, तो मुझे एबी डिविलियर्स को देखने में मजा आने लगा. बल्लेबाजी के अलावा उनकी मानसिक क्षमता देखना दिलचस्प था कि वह गेंदबाज को कैसे समझ पाते हैं और शॉट कैसे खेलते हैं. सफेद गेंद वाले सर्किट में एबी मुझे एक अलग खिलाड़ी लगते थे'.