गया : राष्ट्रपति के हाथों अर्जुन पुरस्कार अवार्डी 'कबड्डी क्वीन' के नाम से मशहूर ममता पुजारी इन दिनों बिहार के बोधगया में है. बोधगया में 11वीं राष्ट्रीय बीच कबड्डी प्रतियोगिता चल रही है. इस प्रतियोगिता में कबडडी की कई नामचीन हस्तियां पहुंची है, जो इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता के माध्यम से विश्व कप के लिए खिलाड़ियों का चयन करेगे. बोधगया में आई ममता पुजारी ने अपने कैरियर के शुरुआती संघर्षों को मीडिया के साथ साझा किया.
बिहार के बोधगया में कबड्डी क्वीन : बता दें कि ममता पुजारी सिलेक्टर के रूप में आई हैं. बोधगया में तीन दिनों तक चलने वाले 11वीं राष्ट्रीय बीच कबड्डी प्रतियोगिता से नेशनल प्लेयर का चयन होगा, जो आगामी विश्व कप खेलेगी. गौरतलब हो, कि कबड्डी क्वीन ममता पुजारी को वर्ष 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था. वहीं, कर्नाटक के दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार राज्योत्सवाष्टप्रज्ञ से भी नवाजा गया है. कबड्डी के क्षेत्र में बेहतर उपलब्धि को देखते हुए ममता पुजारी को इन पुरस्कारों से नवाजा गया है.
कभी शॉर्ट्स पहनने पर लोग उड़ाते थे मजाक : ममता पुजारी ने कबड्डी के शुरुआती दिनों के बारे में अपनी बातों को साझा करते हुए बताया कि इसमें संघर्ष की बड़ी कहानी है. पहले गांव में वह शॉर्ट्स पहनकर कबड्डी की प्रैक्टिस करती थी. उस समय स्टार्टिंग था. उस समय गांव के लोग हमारा मजाक बनाते थे, लेकिन गलती उनकी नहीं थी. गांव में ऐसा माहौल बना हुआ रहता है. हालांकि मेरे घर वालों ने काफी सपोर्ट किया जब प्रैक्टिस लेट नाइट चलती थी और जब लौटती थीं, तो गांव वाले कहते थे, इसकी शादी नहीं होगी. फिर भी घर वाले सपोर्ट करते रहे, मुझे छोड़ा नहीं. मेरी काबिलियत को शायद मुझे प्रेक्टिस कराने वाले कोच ने भांप लिया था. अक्सर मेरे घर पर वे आते थे और बोलते थे, कबड्डी में भविष्य है, जाॅब मिल सकता है.
12वीं कक्षा तक कबड्डी नहीं खेली : ममता पुजारी बताती हैं कि 12वीं कक्षा तक कबड्डी गेम उसने नहीं खेला था. बारहवीं के बाद कबड्डी स्टार्ट किया. इसकी भी एक कहानी है. स्कूल में लास्ट में स्पोर्ट्स डे था. सब गेम का मैच इसमें खेला जाता है. सब गेम मैं खेली, लेकिन कबड्डी छोड़कर. कोच ने कहा तुम कबड्डी में बेहतर कर सकती हो, तुम्हारी स्पीड अच्छी है.
''हमने पैंट में ही कबड्डी खेली और अच्छा किया. इसके बाद कबड्डी में मैं आगे बढ़ती चली गई. पहले डिस्ट्रिक्ट लेवल पर चयन हुआ. फिर रेलवे में जॉब मिला. स्टेट के लिए खेली. फिर नेशनल और इंटरनेशनल कबड्डी की प्रतियोगिताओं में खेली और कई मेडल जीते हैं. 12 के बाद ऐसा लगता था, कि ग्रेजुएशन परिवार वाले नहीं कराएगे, लेकिन एक स्पोर्ट्स है कि उसी से डिग्री का फायदा हुआ.''- ममता पुजारी, सलेक्टर एवं पूर्व कप्तान, इंडियन कबड्डी टीम
'जिस गेम को छोड़ रखा था उसी से पहचान मिली' : ममता पुजारी बताती है कि वह सारे गेम खेलती थी, लेकिन कबड्डी नहीं खेलती थी. फिर घर वालों का साथ, कोच का सहयोग और फिर सारा संघर्ष मेरा था. मैं आगे बढ़ती चली गई और फिर नहीं रुकी. अब 2017 के बाद से कबड्डी का कोई गेम नहीं खेला है. वह विजय सर का नाम लेते हुए उनका आभार प्रकट करती है, कि उन्होंने हर तरह से मुझे सहयोग किया. कहा कि मीडिया से काफी सपोर्ट मिलता है. मीडिया ही कबड्डी को दिखाता है. बताती हैं कि कई बार पटना आ चुकी हूं. वर्ल्ड कप वुमेन का पटना में हुआ था, उसमें हमारी टीम जीती थी. ममता पुजारी बताती है, कि उसका काफी संघर्ष रहा.
कर्नाटक के छोटे गांव करकल की है ममता : ममता कर्नाटक के छोटे गांव करकल की है. जब उसने कबड्डी शुरू की तो कोई कोच नहीं था. खुद से स्टार्टिंग की खुद से कबड्डी में इंटरेस्ट लेकर आगे आई और आज मुझे इस कबड्डी से जो मिला, वह आप लोगों के सामने है. खिलाड़ियों को संदेश के तौर पर रहती है कि संघर्ष अच्छा है, तो रिजल्ट अच्छा होगा. संघर्ष से खिलाड़ी चमकते हैं. कबड्डी काफी पॉपुलर हुआ है और इसके प्लेयर हीरो बन रहे हैं.
''कबड्डी प्लेयर को पहले सपोर्ट नहीं मिलता है, लेकिन जब भी संघर्ष से आगे बढ़ते हैं, तो फिर चमकते हैं. फिलहाल में जो बोधगया में 11वीं राष्ट्रीय बीच कबड्डी प्रतियोगिता हो रही है, इसके लिए इसमें इंडियन टीम का सिलेक्शन होगा. फिर मैच खेलेंगे और फिर विश्व कप के लिए चयन किया जाएगा, जो बेस्ट करेंगे वही सिलेक्ट होंगे.''- ममता पुजारी, सलेक्टर एवं पूर्व कप्तान, इंडियन कबड्डी टीम
ममता पुजारी को कबड्डी क्वीन क्यों कहा जाता है : ममता पुजारी को कबड्डी क्वीन कहा जाता है. ममता को कबड्डी क्वीन क्यों कहा जाता है, यह उनकी उपलब्धियां बताती है. उनकी उपलब्धियां जानकर हैरान रह जाएगें. कबड्डी क्वीन ममता पुजारी भारतीय टीम की कप्तान रह चुकी है. कबड्डी के कई विश्व कप खेल चुकी है. डबल एशियन गेम में गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी है.
मेडल की लगाई झड़ी : ममता की उपलब्धियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखें तो 2007 में ईरान में आयोजित द्वितीय एशियाई कबड्डी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता, 2006 में श्रीलंका में आयोजित दसवीं एसएएएफ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता, इंडोनेशिया में पहले एशियाई बीच गेम्स 2008 में कप्तान के रूप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया, 2010 में ओमान में आयोजित द्वितीय एशियाई बीच खेल में कप्तान के रूप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया.
देश से विदेश तक जलवा : पटना में आयोजित प्रथम विश्व कप में कप्तान के रूप में स्वर्ण पदक हासिल किया, इंग्लैंड में आयोजित चौथे एशियाई 2014 बीच गेम्स में कप्तान के रूप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया, दक्षिण कोरिया में आयोजित 17 वें एशियाई खेल में वर्ष 2010 में स्वर्ण पदक प्राप्त किया. मदुरई में आयोजीत तीसरी एशियाई कबड्डी चैंपियनशिप 2008 में स्वर्ण पदक पाया. इस तरह कबड्डी क्वीन ममता पुजारी ने डबल एशियन गेम में गोल्ड मेडलिस्ट के अलावे कई पदक जीते हैं.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिया अर्जुन पुरस्कार : वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो 61 वें सीनियर कबड्डी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त किया, 2015 में तमिलनाडु में स्वर्ण पदक, भारतीय महिला कबड्डी टीम की कप्तान के रूप में ममता पुजारी ने वर्ष 2012 के पहले विश्व कप के फाइनल में अपनी टीम को जीत दिलाई, कबड्डी क्वीन ममता पुजारी को 2 सितंबर 2014 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया. कबड्डी के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियां को देखते हुए अर्जुन पुरस्कार दिया गया था. वहीं, कर्नाटक के दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार राज्योत्सवाष्टप्रज्ञ से भी नवाजा गया है.