मुंबई : पूजा तोमर 'अल्टीमेट फाइटिंग चैंपियन' बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. लेकिन चैंपियन बनने के बाद भी जब वे भारत लौटीं तो न तो सरकार ने और न ही नागरिकों ने उन पर कोई ध्यान दिया. इसलिए पूजा तोमर ने अफसोस जताया है.
पूजा तोमर ने कहा, 'एक तरफ क्रिकेट को बहुत महत्व दिया जाता है. दूसरी तरफ भारत में कई खेल हैं और सरकार को इन खेलों पर भी ध्यान देना चाहिए. हम जैसी महिलाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए'.
'अल्टीमेट फाइटिंग चैंपियन' बनने वाली पहली भारतीय महिला
'अल्टीमेट फाइटिंग चैंपियन' बनने वाली पहली भारतीय महिला पूजा तोमर अब ऑक्टागन रिंग के अंदर और बाहर एक बेजोड़ सफर के लिए तैयार हैं. उनका प्रदर्शन युवा पीढ़ी को प्रेरित करेगा. इस साल की शुरुआत में मिक्स्ड मार्शल आर्ट (MMA) फाइटर पूजा तोमर ने लुइसविले (अमेरिका) में अल्टीमेट फाइटिंग चैंपियनशिप (UFC) का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया था. यह उपलब्धि हासिल कर पूजा तोमर 'अल्टीमेट फाइटिंग चैंपियन' बनने वाली पहली भारतीय एथलीट बन गई हैं.
UFC में अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने प्रमुख ऑनलाइन फिटनेस और न्यूट्रिशन प्लेटफॉर्म FITTR का भी शुक्रिया अदा किया. इस संस्था ने उन्हें UFC में गौरव हासिल करने का सपना साकार करने में मदद की.
चुनौतीपूर्ण सफर
पूजा तोमर ने कहा, 'UFC में मेरा सफर मजेदार और चुनौतीपूर्ण दोनों रहा है. मुझे उम्मीद है कि मेरी कहानी दूसरों को मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की दुनिया में अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगी. भारत को इस खेल में विश्व स्तर के खिलाड़ियों की जरूरत है और इससे युवा महिलाएं भी मार्शल आर्ट्स सीख सकेंगी. साथ ही उनमें जो डर है, वह भी दूर हो जाएगा. निश्चित रूप से मेरी जीत अधिक युवाओं और उनके माता-पिता को इस खेल को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करेगी.
उन्होंने कहा, 'लेकिन एक अफसोस यह है कि जब मैं चैंपियन बनी, तो वहां मौजूद 50 हजार लोगों ने मेरा स्वागत किया कि भारत की एक लड़की आ रही है और ऐसे खेल में अपना नाम बना रही है. मुझे लगा कि भारत जाना बहुत सम्मान की बात होगी. लोग हमसे पूछेंगे, सरकार विश्व विजेता बनने में मदद करेगी. लेकिन यहां भारत में मुझे कोई नहीं पूछ रहा. मुझे उम्मीद है कि आज ऐसे खेल को भी समर्थन मिलना चाहिए'.
भारतीय एथलीटों के लिए वैश्विक मील का पत्थर
FITTR के संस्थापक और सीईओ जितेंद्र चोकसी ने कहा, 'पूजा तोमर का खिताब वैश्विक स्तर पर भारतीय एथलीटों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. उनकी लगन, दृढ़ता और असाधारण प्रतिभा ने भारत में कई युवा सेनानियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है'.