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जानिए भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कप्तान दुर्गा राव की सफलता की प्रेरणादायक कहानी - Durga Rao

भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कप्तान दुर्गा राव ने साबित कर दिया है कि विकलांगता और गरीबी प्रतिभा के लिए कोई बाधा नहीं हैं. वह देख नहीं सकते हैं, फिर भी उन्होंने अपने दिमाग से इस दुनिया को जीत लिया. अपनी आंखों की रोशनी खोने और पिता की मृत्यु के दर्द के बावजूद वह आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े. परिणामस्वरूप, वह भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम का नेतृत्व करने के लिए उभरे. पढ़ें पूरी खबर.

Indian Blind Cricket Team Captain Durga Rao
Indian Blind Cricket Team Captain Durga Rao
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 6, 2024, 9:45 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कप्तान युवा क्रिकेटर दुर्गा राव गर्व से कहते हैं कि भले ही विकलांगता बाधा हो, लेकिन प्रतिभा किसी से नहीं छीनी जाती. उन्होंने साबित कर दिया कि अगर उन्हें प्रोत्साहित किया जाए तो वे पर्याप्त पदकों के साथ देश की ख्याति और प्रतिष्ठा को और बढ़ाएंगे. उन्होंने भारत की ब्लाइंड क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया और इतिहास में अपना नाम लिखा. क्रिकेट के प्रति जुनूनी होने के कारण उन्होंने बचपन से ही अभ्यास किया और उन्हें नेत्रहीन भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान चुना गया.

अगर आपमें लगन और मेहनत है तो आप जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हैं. विजयनगरम जिले के वंगारा मंडल के कोप्पारवलसा की थोंपाकी दुर्गा राव ने साबित कर दिया है कि शारीरिक दोष बिल्कुल भी बाधा नहीं हैं. उन्हें बचपन में क्रिकेट में रुचि थी. उन्होंने सोचा कि भले ही वह दुनिया को न देख सके, लेकिन इससे उसमें कोई बाधा नहीं आएगी. उन्होंने लगन से क्रिकेट सीखा.

दुर्गा राव एक गरीब परिवार से हैं. जब दुर्गा राव छोटे थे तब उनके पिता दलैया की मृत्यु हो गई. मां सुंदरम्मा ने दुर्गा राव को पालने के लिए बहुत मेहनत की. दुर्गा राव ने विजयनगरम जिले के मेटावलासा ब्लाइंड स्कूल में दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की. उन्होंने सिकंदराबाद में इंटरमीडिएट और हैदराबाद के एक कॉलेज से डिग्री पूरी की. फिलहाल उन्होंने ब्लाइंड क्रिकेट में भारत के लिए प्रदर्शन कर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है.

दुर्गा राव ने भारत को दो बार ब्लाइंड वनडे क्रिकेट विश्व कप और तीन बार ब्लाइंड टी20 विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाई. 2014 में, उन्होंने भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम में एक ऑलराउंडर के रूप में अपनी शुरुआत की. उन्होंने 7 नवंबर से 25 दिसंबर तक दक्षिण अफ्रीका में आयोजित दृष्टिबाधित क्रिकेट विश्व कप को जिताने में अहम भूमिका निभाई. इसके साथ ही उन्हें 28 जनवरी से 12 फरवरी 2016 तक भारत में आयोजित टी20 टीम में भी जगह मिल गई.

उन्होंने जनवरी 2018 में दुबई में आयोजित ब्लाइंड वर्ल्ड कप में भी एक ऑलराउंडर के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. 2019 में उन्होंने वेस्टइंडीज में द्विपक्षीय सीरीज में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और भारत को जीत दिलाई. उन्होंने भारत की 2022 विश्व कप जीत और लंदन में आयोजित इंटरनेशनल ब्लाइंड स्पोर्ट्स एसोसिएशन (आईबीएसए) क्रिकेट टूर्नामेंट में दूसरा स्थान हासिल करने में भी अहम भूमिका निभाई. वह इस साल 21 से 26 फरवरी तक दुबई में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच होने वाले त्रिकोणीय टूर्नामेंट में ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.

भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कप्तान दुर्गा राव कहते हैं कि, 'मेरी मां ने मेरी इच्छा पूरी करने के लिए बहुत मेहनत की. मैं एक अच्छा क्रिकेटर बनने की आकांक्षा रखता था. मैंने कड़ी मेहनत की. मेरी मां सुंदरम्मा ने मेरे सपने पूरे करने में मेरी मदद की. स्कूल और कॉलेज में शिक्षकों और दोस्तों के प्रोत्साहन से, मुझे कप्तान के रूप में चुना गया. भारत की ब्लाइंड क्रिकेट टीम का मानना है कि अगर आप कड़ी मेहनत करेंगे तो आपको सफलता मिलेगी'.

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नई दिल्ली : भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कप्तान युवा क्रिकेटर दुर्गा राव गर्व से कहते हैं कि भले ही विकलांगता बाधा हो, लेकिन प्रतिभा किसी से नहीं छीनी जाती. उन्होंने साबित कर दिया कि अगर उन्हें प्रोत्साहित किया जाए तो वे पर्याप्त पदकों के साथ देश की ख्याति और प्रतिष्ठा को और बढ़ाएंगे. उन्होंने भारत की ब्लाइंड क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया और इतिहास में अपना नाम लिखा. क्रिकेट के प्रति जुनूनी होने के कारण उन्होंने बचपन से ही अभ्यास किया और उन्हें नेत्रहीन भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान चुना गया.

अगर आपमें लगन और मेहनत है तो आप जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हैं. विजयनगरम जिले के वंगारा मंडल के कोप्पारवलसा की थोंपाकी दुर्गा राव ने साबित कर दिया है कि शारीरिक दोष बिल्कुल भी बाधा नहीं हैं. उन्हें बचपन में क्रिकेट में रुचि थी. उन्होंने सोचा कि भले ही वह दुनिया को न देख सके, लेकिन इससे उसमें कोई बाधा नहीं आएगी. उन्होंने लगन से क्रिकेट सीखा.

दुर्गा राव एक गरीब परिवार से हैं. जब दुर्गा राव छोटे थे तब उनके पिता दलैया की मृत्यु हो गई. मां सुंदरम्मा ने दुर्गा राव को पालने के लिए बहुत मेहनत की. दुर्गा राव ने विजयनगरम जिले के मेटावलासा ब्लाइंड स्कूल में दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की. उन्होंने सिकंदराबाद में इंटरमीडिएट और हैदराबाद के एक कॉलेज से डिग्री पूरी की. फिलहाल उन्होंने ब्लाइंड क्रिकेट में भारत के लिए प्रदर्शन कर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है.

दुर्गा राव ने भारत को दो बार ब्लाइंड वनडे क्रिकेट विश्व कप और तीन बार ब्लाइंड टी20 विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाई. 2014 में, उन्होंने भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम में एक ऑलराउंडर के रूप में अपनी शुरुआत की. उन्होंने 7 नवंबर से 25 दिसंबर तक दक्षिण अफ्रीका में आयोजित दृष्टिबाधित क्रिकेट विश्व कप को जिताने में अहम भूमिका निभाई. इसके साथ ही उन्हें 28 जनवरी से 12 फरवरी 2016 तक भारत में आयोजित टी20 टीम में भी जगह मिल गई.

उन्होंने जनवरी 2018 में दुबई में आयोजित ब्लाइंड वर्ल्ड कप में भी एक ऑलराउंडर के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. 2019 में उन्होंने वेस्टइंडीज में द्विपक्षीय सीरीज में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और भारत को जीत दिलाई. उन्होंने भारत की 2022 विश्व कप जीत और लंदन में आयोजित इंटरनेशनल ब्लाइंड स्पोर्ट्स एसोसिएशन (आईबीएसए) क्रिकेट टूर्नामेंट में दूसरा स्थान हासिल करने में भी अहम भूमिका निभाई. वह इस साल 21 से 26 फरवरी तक दुबई में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच होने वाले त्रिकोणीय टूर्नामेंट में ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.

भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कप्तान दुर्गा राव कहते हैं कि, 'मेरी मां ने मेरी इच्छा पूरी करने के लिए बहुत मेहनत की. मैं एक अच्छा क्रिकेटर बनने की आकांक्षा रखता था. मैंने कड़ी मेहनत की. मेरी मां सुंदरम्मा ने मेरे सपने पूरे करने में मेरी मदद की. स्कूल और कॉलेज में शिक्षकों और दोस्तों के प्रोत्साहन से, मुझे कप्तान के रूप में चुना गया. भारत की ब्लाइंड क्रिकेट टीम का मानना है कि अगर आप कड़ी मेहनत करेंगे तो आपको सफलता मिलेगी'.

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