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मां करती है मजदूरी, बेटी का चयन भारतीय फुटबॉल टीम में, जानिए एक लड़की के संघर्ष की कहानी - FOOTBALLER ANUSHKA KUMARI

झारखंड की लड़कियां किसी से कम नहीं. हजारीबाग में पढ़ाई कर रही अनुष्का का चयन भारतीय महिला अंडर 17 टीम में हुआ है.

FOOTBALLER ANUSHKA KUMARI
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 8, 2025, 3:39 PM IST

हजारीबागः भारतीय अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में इस बार झारखंड का डंका कुछ इस कदर बजा है कि पूरे देश भर में यहां के खिलाड़ियों की चर्चा है. झारखंड की पांच खिलाड़ियों का चयन भारतीय अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में किया गया है. इनमें रांची की दिव्यानी लिंडा, गुमला की अनिता, सूरजमुनी कुमारी, एलिजाबेथ और हजारीबाग में रहकर तैयारी कर रही रांची की अनुष्का कुमारी शामिल हैं.

खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है, यह पंक्ति अनुष्का कुमारी पर चरितार्थ हो रही है. रांची के ओरमांझी गांव की रहने वाली अनुष्का कुमारी हजारीबाग के आवासीय बालिका खेल छात्रावास में रहकर दिनभर 7 घंटे से अधिक समय फुटबॉल मैदान में बिता रही है. इसी का नतीजा है कि इनका चयन भारतीय अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में किया गया है.

अनुष्का और उनके कोच से बात करते संवाददाता गौरव (Etv Bharat)

मां करती हैं दिहाड़ी मजदूरी

अनुष्का कुमारी की मां रीता मुंडा दिहाड़ी मजदूर हैं. मजदूरी करके अपने पूरे परिवार का पालन पोषण करती है. पिता दिनेश मुंडा मजदूरी करते थे. 3 साल पहले मजदूरी करते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गए. 3 साल से वह घर में ही रह रहे हैं. पैर में अत्यधिक परेशानी होने के कारण उनका उठना बैठना सब बंद हो चुका है. ऐसे में मां ही एकमात्र कमाऊ सदस्य है.

विकट और विषम परिस्थिति में अनुष्का ने अपनी मेहनत, लगन और परिश्रम के बल पर भारतीय अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में जगह बनाई है. वह बताती हैं कि 7 घंटे से अधिक का समय प्रेक्टिस करने में बिताती हैं. दिल में एक जुनून था कि कुछ अलग करना है. अपनी पहचान पूरे देश भर में बनाना है. इसी उद्देश्य से मेहनत करना शुरू की. कई साल के अथक परिश्रम से यह मुकाम मिला है.

पिता भी फुटबॉल खेलते थे

अनुष्का बताती है कि उसके पिता किसी समय में फुटबॉल खेला करते थे. उनकी चाहत थी कि बच्चे फुटबॉल खेलें. अपने पिता की चाहत को पूरा करने के लिए उसने फुटबॉल को ही अपना करियर बना लिया. जब उसका चयन भारतीय टीम में हुआ तो उसने सबसे पहले यह खुशखबरी अपने पिता को सुनाई. ऐसे में पिता और बेटी दोनों भावुक हो गए और आंख से खुशी के आंसू आ गए.

अनुष्का ने ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए बताया कि सेलेक्शन के दौरान पूरे देश भर से लगभग 50 से अधिक खिलाड़ी पहुंचे थे. झारखंड से भी 9 खिलाड़ी थे. सेलेक्शन की प्रक्रिया शुरू हुई तो बहुत ही घबराहट थी. लेकिन मन में विश्वास था कि इस बार सेलेक्शन अवश्य हो जाएगा. झारखंड से पांच खिलाड़ियों का सेलेक्शन हुआ है.

अनुष्का ऑलराउंडर की भूमिका में खेलती है

वह बताती है कि फुटबॉल के मैदान में वह ऑलराउंडर की भूमिका में खेलती हैं. जरूरत पड़ी तो स्ट्राइक भी संभालती है. नहीं तो मैदान के बीचो-बीच रहती हैं. उनका रोल मॉडल रोनाल्डो है. वह चाहती हैं कि अपनी मेहनत के बल पर एक दिन भारतीय टीम की कप्तान बने.

हजारीबाग संत कोलंबस कॉलेजिएट स्कूल में अनुष्का नौवीं कक्षा की छात्रा है. उसके दो भाई हैं, छोटा भाई स्कूल में पढ़ाई कर रहा है और बड़ा भाई मैट्रिक परीक्षा देने की तैयारी में लगा हुआ है. वह खुद कहती है कि घर चलाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है. झारखंड सरकार की योजना का लाभ लेकर वह निशुल्क प्रशिक्षण पा रही है और उसे बेहतर ट्रेनिंग और खाना मिल रहा है. बेहतर डाइट मिलने की वजह से ही वह मैदान पर पसीना बहा रही है.

खुद को अनुष्का में देखती हूंः सुशीला कुमारी

सुशीला कुमारी अनुष्का की कोच हैं. वह बताती हैं कि अनुष्का बेहद मेहनत करने वाली खिलाड़ी है. वह खुद को अनुष्का में देखती हैं. उनका कहना है कि एक समय वह भी अच्छी खिलाड़ी थी. किसी कारणवश सेलेक्शन नहीं हुआ. आज यह जिम्मेवारी मिली है कि खिलाड़ियों को तराशा जाए.

अनुष्का बेहतर खेल रही है. उसे जो भी बताया जाता है उसे पर अमल करती है. यही कारण है कि उसका सेलेक्शन अंडर 17 में हुआ है. सुशीला कुमारी गुमला की रहने वाली हैं, जो पिछले 4 सालों से खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर रही हैं. हजारीबाग में उनका पहला साल है. उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले दिनों में अनुष्का का जादू फुटबॉल के मैदान में देखने को मिलेगा.
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हजारीबागः भारतीय अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में इस बार झारखंड का डंका कुछ इस कदर बजा है कि पूरे देश भर में यहां के खिलाड़ियों की चर्चा है. झारखंड की पांच खिलाड़ियों का चयन भारतीय अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में किया गया है. इनमें रांची की दिव्यानी लिंडा, गुमला की अनिता, सूरजमुनी कुमारी, एलिजाबेथ और हजारीबाग में रहकर तैयारी कर रही रांची की अनुष्का कुमारी शामिल हैं.

खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है, यह पंक्ति अनुष्का कुमारी पर चरितार्थ हो रही है. रांची के ओरमांझी गांव की रहने वाली अनुष्का कुमारी हजारीबाग के आवासीय बालिका खेल छात्रावास में रहकर दिनभर 7 घंटे से अधिक समय फुटबॉल मैदान में बिता रही है. इसी का नतीजा है कि इनका चयन भारतीय अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में किया गया है.

अनुष्का और उनके कोच से बात करते संवाददाता गौरव (Etv Bharat)

मां करती हैं दिहाड़ी मजदूरी

अनुष्का कुमारी की मां रीता मुंडा दिहाड़ी मजदूर हैं. मजदूरी करके अपने पूरे परिवार का पालन पोषण करती है. पिता दिनेश मुंडा मजदूरी करते थे. 3 साल पहले मजदूरी करते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गए. 3 साल से वह घर में ही रह रहे हैं. पैर में अत्यधिक परेशानी होने के कारण उनका उठना बैठना सब बंद हो चुका है. ऐसे में मां ही एकमात्र कमाऊ सदस्य है.

विकट और विषम परिस्थिति में अनुष्का ने अपनी मेहनत, लगन और परिश्रम के बल पर भारतीय अंडर 17 महिला फुटबॉल टीम में जगह बनाई है. वह बताती हैं कि 7 घंटे से अधिक का समय प्रेक्टिस करने में बिताती हैं. दिल में एक जुनून था कि कुछ अलग करना है. अपनी पहचान पूरे देश भर में बनाना है. इसी उद्देश्य से मेहनत करना शुरू की. कई साल के अथक परिश्रम से यह मुकाम मिला है.

पिता भी फुटबॉल खेलते थे

अनुष्का बताती है कि उसके पिता किसी समय में फुटबॉल खेला करते थे. उनकी चाहत थी कि बच्चे फुटबॉल खेलें. अपने पिता की चाहत को पूरा करने के लिए उसने फुटबॉल को ही अपना करियर बना लिया. जब उसका चयन भारतीय टीम में हुआ तो उसने सबसे पहले यह खुशखबरी अपने पिता को सुनाई. ऐसे में पिता और बेटी दोनों भावुक हो गए और आंख से खुशी के आंसू आ गए.

अनुष्का ने ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए बताया कि सेलेक्शन के दौरान पूरे देश भर से लगभग 50 से अधिक खिलाड़ी पहुंचे थे. झारखंड से भी 9 खिलाड़ी थे. सेलेक्शन की प्रक्रिया शुरू हुई तो बहुत ही घबराहट थी. लेकिन मन में विश्वास था कि इस बार सेलेक्शन अवश्य हो जाएगा. झारखंड से पांच खिलाड़ियों का सेलेक्शन हुआ है.

अनुष्का ऑलराउंडर की भूमिका में खेलती है

वह बताती है कि फुटबॉल के मैदान में वह ऑलराउंडर की भूमिका में खेलती हैं. जरूरत पड़ी तो स्ट्राइक भी संभालती है. नहीं तो मैदान के बीचो-बीच रहती हैं. उनका रोल मॉडल रोनाल्डो है. वह चाहती हैं कि अपनी मेहनत के बल पर एक दिन भारतीय टीम की कप्तान बने.

हजारीबाग संत कोलंबस कॉलेजिएट स्कूल में अनुष्का नौवीं कक्षा की छात्रा है. उसके दो भाई हैं, छोटा भाई स्कूल में पढ़ाई कर रहा है और बड़ा भाई मैट्रिक परीक्षा देने की तैयारी में लगा हुआ है. वह खुद कहती है कि घर चलाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है. झारखंड सरकार की योजना का लाभ लेकर वह निशुल्क प्रशिक्षण पा रही है और उसे बेहतर ट्रेनिंग और खाना मिल रहा है. बेहतर डाइट मिलने की वजह से ही वह मैदान पर पसीना बहा रही है.

खुद को अनुष्का में देखती हूंः सुशीला कुमारी

सुशीला कुमारी अनुष्का की कोच हैं. वह बताती हैं कि अनुष्का बेहद मेहनत करने वाली खिलाड़ी है. वह खुद को अनुष्का में देखती हैं. उनका कहना है कि एक समय वह भी अच्छी खिलाड़ी थी. किसी कारणवश सेलेक्शन नहीं हुआ. आज यह जिम्मेवारी मिली है कि खिलाड़ियों को तराशा जाए.

अनुष्का बेहतर खेल रही है. उसे जो भी बताया जाता है उसे पर अमल करती है. यही कारण है कि उसका सेलेक्शन अंडर 17 में हुआ है. सुशीला कुमारी गुमला की रहने वाली हैं, जो पिछले 4 सालों से खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर रही हैं. हजारीबाग में उनका पहला साल है. उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले दिनों में अनुष्का का जादू फुटबॉल के मैदान में देखने को मिलेगा.
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