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छोटे कपड़े पहनने पर लोग मारते थे ताना, पेरिस पैरालंपिक में ब्रांज जीतने वाली सिमरन का सफरनामा - Para Athlete Simran Sharma

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By ETV Bharat Sports Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

पेरिस पैरालंपिक में 200 मीटर दौड़ में ब्रांज मेडल हासिल करने वाली सिमरन शर्मा का कहना है कि जल्द इस मेडल का रंग बदलेगा. उन्होंने कहा कि यहां तक का सफर मेरे लिए आसान नहीं था. मुझे कई चुनौतियों से गुजरना पड़ा. सिमरन शर्मा ने ETV Bharat से खास बातचीत की.

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सिमरन शर्मा से बातचीत (Animated)

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के मोदीनगर की रहने वाली सिमरन शर्मा ने पेरिस पैरालंपिक में 200 मीटर दौड़ में ब्रांज मेडल हासिल किया है. मेडल जीतने के बाद सिमरन शर्मा गाजियाबाद वापस लौटी है. उनको विभिन्न संस्थाओं की तरफ से सम्मानित किया जा रहा है. सिमरन शर्मा ने न सिर्फ मोदीनगर बल्कि देश का नाम विश्व भर में रोशन किया है. पेरिस पैरालंपिक 2024 में सिमरन शर्मा ने 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ में हिस्सा लिया था.

सपने को पूरा करने के लिए बेची जमीन: सिमरन शर्मा बताती हैं कि बचपन से ही उनकी खेल में रुचि थी. स्कूल में विभिन्न खेलों में वह हिस्सा लिया करती थी. तकरीबन एक दशक पहले खेल में भाग लेना शुरू किया. स्कूल से काफी सहयोग मिला, जिसके बाद उन्होंने जिला, मंडल और प्रदेश स्तर पर आयोजित कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की. शुरुआती दौर में खेलना किसी चुनौती से काम नहीं था. गरीब परिवार होने के कारण कई आर्थिक चुनौतियों से गुजरना पड़ा. परिवार ने उनके स्पोर्ट्स में आगे जाने के सपने को पूरा करने के लिए जमीन तक बेच दीं. मेहनत और लगन काम एक दिन काम आया.

सिमरन शर्मा से बातचीत (ETV bharat)

खेल में आगे बढ़ने के लिए परिवार और पति का साथ मिला: सिमरन की शादी 2017 में भारतीय सेना में तैनात गजेंद्र सिंह से हुई. शादी के बाद सिमरन की जिंदगी पूर्ण रूप से बदल गई. सिमरन बताती हैं कि शादी के बाद आमतौर पर लड़कियों की जिंदगी में जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं और अपने पैशन को फॉलो करना कहीं ना कहीं चुनौती होता है. लेकिन शादी के बाद ससुराल से काफी सपोर्ट मिला. प्रोफेशनल लेवल पर प्रेक्टिस करना और खेलना शुरू किया. पति गजेंद्र सिंह का काफी सहयोग रहा. पति ने कोच की भूमिका निभाई. पति ने ट्रेनिंग दी. इसकी वजह से दो साल में पहला गोल्ड मेडल हासिल किया.

मन में सुसाइड करने तक का ख्याल आया: पैरालंपिक खिलाड़ी सिमरन बताती है कि 2019 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला गोल्ड मेडल हासिल किया था. चीन में आयोजित प्रतियोगिता में उन्होंने 100 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था. उनका कहना है कि पति का सपना था कि मैं पैरालंपिक में परफॉर्म करूं. पति ही ट्रेनिंग कराया करते थे. साथ ही डाइट का भी ख्याल रखते थे. कई बार इंजरी हुई. मैं पूरी तरह से टूट गई और मन में सुसाइड करने तक का ख्याल आया, लेकिन पति ने न सिर्फ संभाला बल्कि हौंसला भी बढ़ाया.

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पीएम मोदी के साथ सिमरन (File Photo)

महिला खिलाड़ी के लिए आगे बढ़ाना आसान नहीं: सिमरन बताती हैं कि एक महिला खिलाड़ी के लिए आगे बढ़ाना आसान नहीं होता. समाज में तरह-तरह की बातें होती थी. लोग ससुराल वालों से कहते थे कि बहू को घूंघट कराओ. ससुराल वालों ने भी खूब सपोर्ट किया और हमेशा आगे बढ़ने में मदद की. स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया और पैरालंपिक कमिटी ऑफ इंडिया द्वारा भी हर मोड़ पर सपोर्ट किया गया.

उन्होंने बताया कि दौड़ने के दौरान उन्हें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. दौड़ने के दौरान अचानक लाइन बदल जाती है, जो डिसक्वालीफाई होने पर पता चलता है. उनके लिए किसी एक चीज पर फोकस करना मुश्किल होता है. हालांकि, लगातार प्रैक्टिस कर तमाम चुनौतियों को खत्म कर मेडल हासिल कर लिया. मेडल की जीतने के बाद भी प्रैक्टिस कर रही हूं. उनका ख्वाब देश के लिए गोल्ड मेडल जीतक लाना है. खुद पर भरोसा है कि जल्द मेडल का रंग बदलेगा.

ये भी पढ़ें: DUSU Election 2024: स्टूडेंट्स के लिए पीने का पानी, कक्षाओं में AC...जानिए- NSUI और किन मुद्दों को लेकर उतरी है मैदान में

ये भी पढ़ें: यूपी में खान-पान की दुकानों पर नेमप्लेट जरूरी, MLA नंद किशोर बोले- सभी सनातनियों की हुई जीत

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के मोदीनगर की रहने वाली सिमरन शर्मा ने पेरिस पैरालंपिक में 200 मीटर दौड़ में ब्रांज मेडल हासिल किया है. मेडल जीतने के बाद सिमरन शर्मा गाजियाबाद वापस लौटी है. उनको विभिन्न संस्थाओं की तरफ से सम्मानित किया जा रहा है. सिमरन शर्मा ने न सिर्फ मोदीनगर बल्कि देश का नाम विश्व भर में रोशन किया है. पेरिस पैरालंपिक 2024 में सिमरन शर्मा ने 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ में हिस्सा लिया था.

सपने को पूरा करने के लिए बेची जमीन: सिमरन शर्मा बताती हैं कि बचपन से ही उनकी खेल में रुचि थी. स्कूल में विभिन्न खेलों में वह हिस्सा लिया करती थी. तकरीबन एक दशक पहले खेल में भाग लेना शुरू किया. स्कूल से काफी सहयोग मिला, जिसके बाद उन्होंने जिला, मंडल और प्रदेश स्तर पर आयोजित कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की. शुरुआती दौर में खेलना किसी चुनौती से काम नहीं था. गरीब परिवार होने के कारण कई आर्थिक चुनौतियों से गुजरना पड़ा. परिवार ने उनके स्पोर्ट्स में आगे जाने के सपने को पूरा करने के लिए जमीन तक बेच दीं. मेहनत और लगन काम एक दिन काम आया.

सिमरन शर्मा से बातचीत (ETV bharat)

खेल में आगे बढ़ने के लिए परिवार और पति का साथ मिला: सिमरन की शादी 2017 में भारतीय सेना में तैनात गजेंद्र सिंह से हुई. शादी के बाद सिमरन की जिंदगी पूर्ण रूप से बदल गई. सिमरन बताती हैं कि शादी के बाद आमतौर पर लड़कियों की जिंदगी में जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं और अपने पैशन को फॉलो करना कहीं ना कहीं चुनौती होता है. लेकिन शादी के बाद ससुराल से काफी सपोर्ट मिला. प्रोफेशनल लेवल पर प्रेक्टिस करना और खेलना शुरू किया. पति गजेंद्र सिंह का काफी सहयोग रहा. पति ने कोच की भूमिका निभाई. पति ने ट्रेनिंग दी. इसकी वजह से दो साल में पहला गोल्ड मेडल हासिल किया.

मन में सुसाइड करने तक का ख्याल आया: पैरालंपिक खिलाड़ी सिमरन बताती है कि 2019 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला गोल्ड मेडल हासिल किया था. चीन में आयोजित प्रतियोगिता में उन्होंने 100 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था. उनका कहना है कि पति का सपना था कि मैं पैरालंपिक में परफॉर्म करूं. पति ही ट्रेनिंग कराया करते थे. साथ ही डाइट का भी ख्याल रखते थे. कई बार इंजरी हुई. मैं पूरी तरह से टूट गई और मन में सुसाइड करने तक का ख्याल आया, लेकिन पति ने न सिर्फ संभाला बल्कि हौंसला भी बढ़ाया.

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पीएम मोदी के साथ सिमरन (File Photo)

महिला खिलाड़ी के लिए आगे बढ़ाना आसान नहीं: सिमरन बताती हैं कि एक महिला खिलाड़ी के लिए आगे बढ़ाना आसान नहीं होता. समाज में तरह-तरह की बातें होती थी. लोग ससुराल वालों से कहते थे कि बहू को घूंघट कराओ. ससुराल वालों ने भी खूब सपोर्ट किया और हमेशा आगे बढ़ने में मदद की. स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया और पैरालंपिक कमिटी ऑफ इंडिया द्वारा भी हर मोड़ पर सपोर्ट किया गया.

उन्होंने बताया कि दौड़ने के दौरान उन्हें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. दौड़ने के दौरान अचानक लाइन बदल जाती है, जो डिसक्वालीफाई होने पर पता चलता है. उनके लिए किसी एक चीज पर फोकस करना मुश्किल होता है. हालांकि, लगातार प्रैक्टिस कर तमाम चुनौतियों को खत्म कर मेडल हासिल कर लिया. मेडल की जीतने के बाद भी प्रैक्टिस कर रही हूं. उनका ख्वाब देश के लिए गोल्ड मेडल जीतक लाना है. खुद पर भरोसा है कि जल्द मेडल का रंग बदलेगा.

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