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जिसके पानी से शांत होते हैं नवग्रह और होता है रोगों का नाश, बिहार में गंगा-गंडक संगम के पास है रहस्यों से भरा कुआं - NAVGRAHA WELL OF VAISHALI

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 18, 2024, 6:07 PM IST

VAISHALI MYSTERIOUS AND AMAZING WELL: वैशाली के हाजीपुर में जहां गंगा और गंडक मिलती हैं, ठीक उसी के पास रहस्यों से भरा एक कुआं है. कुएं को लेकर कई प्रचलित मान्यताएं हैं. जिसके कारण दूर-दूर से लोग कुएं का पानी पीने के लिए आते हैं. तो आखिर इस कुएं को किसने बनवाया और इसको लेकर क्या-क्या दावे लोग करते हैं, जानने के लिए पढ़िये पूरी खबर,

1640 में हुआ था कुएं का निर्माण
1640 में हुआ था कुएं का निर्माण (ETV BHARAT)
रहस्यों से भरा है नवग्रह कुआं (ETV BHARAT)

वैशालीः दुनिया में आज भी ऐसे कितने रहस्य है जिन्हें तमाम कोशिशों के बावजूद सुलझाया नहीं जा सका है. अब हाजीपुर में गंगा-गंडक संगम के पास कुएं की बात करें तो इसमें भी कई रहस्य छिपे हुए हैं. लोग तो कहते हैं कि कुएं का पानी चमत्कारी है. इसका पानी पीने से जहां कई रोग ठीक हो जाते हैं वहीं नवग्रह की बाधाओं से भी शांति मिलती है.

नौ खंडो में अलग-अलग स्वाद का पानी
कुएं से पानी निकालने के लिए बने हैं नौ खंड (ETV BHARAT)

एक कुआं, 9 स्वाद: कुएं की बनावट बड़ी ही अनोखी है. इस कुएं से पानी निकालने के लिए उसके जगत पर अलग-अलग 9 खंड बनाए गये हैं. सबसे बड़ी बात कि एक ही कुएं के पानी के अलग-अलग 9 स्वाद हैं. इस कुएं का पानी पीनेवाले ये दावा करते हैं कि अलग-अलग खंड से निकाले गये पानी का अलग-अलग स्वाद लगता है. कुएं की खासियत के कारण दूर-दूर से लोग इसका पानी पीने के लिए आते हैं.

"हर खंड के पानी का अलग-अलग स्वाद है. हम लोग हर खंड से पानी पीते हैं. हमें दूसरी जगह के पानी से संतुष्टि ही नहीं होती है. अभी भी बहुत दूर-दूर के लोग आते हैं पानी लेने. जिसका बच्चा सतइसा में पड़ जाता है तो 27 कुओं के बदले में इस कुएं का पानी ले जाते हैं. यहां वेनेजुएलाा, नाइजीरिया सहित अलग-अलग देशों से भी लोग आ चुके हैं." चितरंजन राय, स्थानीय

कुएं को लेकर कई प्रचलित मान्यताएं
कुएं को लेकर कई प्रचलित मान्यताएं (GFX ETV BHARAT)

1640 में हुआ था कुएं का निर्माणः बताया जाता है कि कुआं अत्यंत ही प्राचीन है. यहां स्थित कबीर मठ के महंत अर्जुन दास का दावा कि इस कुएं का निर्माण 1640 में कबीर मठ के तत्कालीन महंत निर्मल दास ने करवाया था. कुएं के निर्माण के 4 सालों बाद यानी 1644 में बाबा निर्मल दास ने कुएं के पास समाधि भी ले ली थी.

"1640 में बाबा निर्मल दास जी ने इसका निर्माण करवाया था. उसके बाद 1644 में उन्होंने जिंदा समाधि ले ली. यहां कुष्ठ रोगी आते थे. मान्यता है कि 90 दिनों तक कुएं के पानी से नहाने और पानी पीने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है. इसके अलावा पुराने समय में प्लेग, हैजा जैसी बीमारियां भी इस कुएं का पानी पीने से ठीक हो जाती थीं." अर्जुन दास, महंत, कबीर मठ

कबीर मठ परिसर में स्थित है प्राचीन कुआं
कबीर मठ परिसर में स्थित है प्राचीन कुआं (ETV BHARAT)

नवग्रह की बाधाएं होती हैं शांतः नवग्रह कुएं के नाम से प्रसिद्ध इस कुएं को लेकर ये भी मान्यता है कि कुएं से पानी निकालने के लिए बने नौ खंड नवग्रह के प्रतीक हैं. कहा जाता है कि इस कुएं के पानी के नियमित सेवन से नवग्रह की बाधाएं शांत होती हैं. लोगों का दावा है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस नवग्रह कुएं का पानी बेहद ही खास है. कई लोग तो 10-10 साल से लगातार इस कुएं के पानी का सेवन कर रहे हैं और पूरी तरह नीरोग हैं.

"पुराने समय से ये मान्यता चली आ रही है कि इस कुएं का पानी पीने से नवग्रह शांत रहते हैं. इसलिए अच्छा है कि इस पानी को पिया जाए. सब ग्रह शांत रहेंगे और स्वस्थ रहिएगा. धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ इस कुएं का पानी पीने से मैं स्वस्थ रहता हूं और इसका पानी भी अनोखे स्वाद वाला है." मनीष कुमार, स्थानीय

पानी पीने के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग
पानी पीने के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग (ETV BHARAT)

रहस्यों से भरा है कुआंः स्थानीय लोग ये भी बताते हैं कि कुएं की खुदाई के समय ही महंत निर्मल दास ने किसी खास जड़ी-बूटी का इस्तेमाल किया था जिससे इस कुएं का पानी इतना बढ़िया और सेहत देनेवाला है. इस कुएं का पानी बेहद ठंडा भी रहता है और स्वाद में मिठास है. वास्तविकता जो भी हो लेकिन ये कुआं लोगों की आस्था का एक बड़ा केंद्र बन चुका है.

ये भी पढ़ेंः'गोल्डन कुआं' आपने देखा क्या?.. नहीं न, तो चले आईये पटना.. भगवान इंद्र का है निवास स्थान

रहस्यों से भरा है नवग्रह कुआं (ETV BHARAT)

वैशालीः दुनिया में आज भी ऐसे कितने रहस्य है जिन्हें तमाम कोशिशों के बावजूद सुलझाया नहीं जा सका है. अब हाजीपुर में गंगा-गंडक संगम के पास कुएं की बात करें तो इसमें भी कई रहस्य छिपे हुए हैं. लोग तो कहते हैं कि कुएं का पानी चमत्कारी है. इसका पानी पीने से जहां कई रोग ठीक हो जाते हैं वहीं नवग्रह की बाधाओं से भी शांति मिलती है.

नौ खंडो में अलग-अलग स्वाद का पानी
कुएं से पानी निकालने के लिए बने हैं नौ खंड (ETV BHARAT)

एक कुआं, 9 स्वाद: कुएं की बनावट बड़ी ही अनोखी है. इस कुएं से पानी निकालने के लिए उसके जगत पर अलग-अलग 9 खंड बनाए गये हैं. सबसे बड़ी बात कि एक ही कुएं के पानी के अलग-अलग 9 स्वाद हैं. इस कुएं का पानी पीनेवाले ये दावा करते हैं कि अलग-अलग खंड से निकाले गये पानी का अलग-अलग स्वाद लगता है. कुएं की खासियत के कारण दूर-दूर से लोग इसका पानी पीने के लिए आते हैं.

"हर खंड के पानी का अलग-अलग स्वाद है. हम लोग हर खंड से पानी पीते हैं. हमें दूसरी जगह के पानी से संतुष्टि ही नहीं होती है. अभी भी बहुत दूर-दूर के लोग आते हैं पानी लेने. जिसका बच्चा सतइसा में पड़ जाता है तो 27 कुओं के बदले में इस कुएं का पानी ले जाते हैं. यहां वेनेजुएलाा, नाइजीरिया सहित अलग-अलग देशों से भी लोग आ चुके हैं." चितरंजन राय, स्थानीय

कुएं को लेकर कई प्रचलित मान्यताएं
कुएं को लेकर कई प्रचलित मान्यताएं (GFX ETV BHARAT)

1640 में हुआ था कुएं का निर्माणः बताया जाता है कि कुआं अत्यंत ही प्राचीन है. यहां स्थित कबीर मठ के महंत अर्जुन दास का दावा कि इस कुएं का निर्माण 1640 में कबीर मठ के तत्कालीन महंत निर्मल दास ने करवाया था. कुएं के निर्माण के 4 सालों बाद यानी 1644 में बाबा निर्मल दास ने कुएं के पास समाधि भी ले ली थी.

"1640 में बाबा निर्मल दास जी ने इसका निर्माण करवाया था. उसके बाद 1644 में उन्होंने जिंदा समाधि ले ली. यहां कुष्ठ रोगी आते थे. मान्यता है कि 90 दिनों तक कुएं के पानी से नहाने और पानी पीने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है. इसके अलावा पुराने समय में प्लेग, हैजा जैसी बीमारियां भी इस कुएं का पानी पीने से ठीक हो जाती थीं." अर्जुन दास, महंत, कबीर मठ

कबीर मठ परिसर में स्थित है प्राचीन कुआं
कबीर मठ परिसर में स्थित है प्राचीन कुआं (ETV BHARAT)

नवग्रह की बाधाएं होती हैं शांतः नवग्रह कुएं के नाम से प्रसिद्ध इस कुएं को लेकर ये भी मान्यता है कि कुएं से पानी निकालने के लिए बने नौ खंड नवग्रह के प्रतीक हैं. कहा जाता है कि इस कुएं के पानी के नियमित सेवन से नवग्रह की बाधाएं शांत होती हैं. लोगों का दावा है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस नवग्रह कुएं का पानी बेहद ही खास है. कई लोग तो 10-10 साल से लगातार इस कुएं के पानी का सेवन कर रहे हैं और पूरी तरह नीरोग हैं.

"पुराने समय से ये मान्यता चली आ रही है कि इस कुएं का पानी पीने से नवग्रह शांत रहते हैं. इसलिए अच्छा है कि इस पानी को पिया जाए. सब ग्रह शांत रहेंगे और स्वस्थ रहिएगा. धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ इस कुएं का पानी पीने से मैं स्वस्थ रहता हूं और इसका पानी भी अनोखे स्वाद वाला है." मनीष कुमार, स्थानीय

पानी पीने के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग
पानी पीने के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग (ETV BHARAT)

रहस्यों से भरा है कुआंः स्थानीय लोग ये भी बताते हैं कि कुएं की खुदाई के समय ही महंत निर्मल दास ने किसी खास जड़ी-बूटी का इस्तेमाल किया था जिससे इस कुएं का पानी इतना बढ़िया और सेहत देनेवाला है. इस कुएं का पानी बेहद ठंडा भी रहता है और स्वाद में मिठास है. वास्तविकता जो भी हो लेकिन ये कुआं लोगों की आस्था का एक बड़ा केंद्र बन चुका है.

ये भी पढ़ेंः'गोल्डन कुआं' आपने देखा क्या?.. नहीं न, तो चले आईये पटना.. भगवान इंद्र का है निवास स्थान

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