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इंदिरा एकादशी व्रत के साथ पहली फुर्सत में कर लें ये काम, आपके पितर हो जाएंगे प्रसन्न - Indira Ekadashi Date

18 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो गए हैं, जो 2 अक्टूबर तक चलेंगे. इन दिनों तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है. पितृपक्ष में इंदिरा एकादशी पड़ रही है. इस एकादशी का हमारे शास्त्रों में बहुत महत्व है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से इंदिरा एकादशी पर कैसे पूजा-पाठ करें और किस तरह से पितृ प्रसन्न होंते हैं.

INDIRA EKADASHI DATE
इंदिरा एकादशी व्रत के साथ पहली फुर्सत में कर लें ये काम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 25, 2024, 7:11 AM IST

Indira Ekadashi Date: पितृ पक्ष चल रहा है और पितृ पक्ष में जो एकादशी पड़ रही है, वह बहुत ही खास एकादशी है. इस एकादशी में अगर आप अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो व्रत करने के साथ ही कुछ ऐसे कार्य कर लेंगे तो आपके पितृ बहुत प्रसन्न होंगे और आपके घर में आशीर्वाद प्रदान करेंगे. जिससे सुख समृद्धि बढ़ेगी.

कब है इंदिरा एकादशी ?

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं 'पितृ पक्ष चल रहा है और पितृपक्ष में इंदिरा एकादशी 28 सितंबर को पड़ रही है. दिन शनिवार है और यह बहुत ही विशेष एकादशी मानी जाती है. अश्वनी कृष्ण पक्ष एकादशी दिन शनिवार को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी में जो विधि विधान से व्रत करता है, तो उसे विशेष लाभ होता है, उसके पितर प्रसन्न होते हैं.

पितरों का करें उद्धार

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि इंदिरा एकादशी का जो व्रत करते हैं, तो बहुत पुण्य लाभ मिलता है, जैसे कन्यादान करने का जितना फल मिलता है, इंदिरा एकादशी का व्रत करने से उतना ही फल मिलता है. करोड़ों गायों का दान करने से जो पुण्य लाभ मिलता है, वो इंदिरा एकादशी का व्रत करने से मिलता है. इंदिरा एकादशी में ये विशेष होता है कि इसमें जो इंदिरा एकादशी का व्रत करते हैं, उनके जो पूर्वज पितर बने हैं, पितृ देवता बने हैं, उनका उद्धार हो जाता है. वो स्वर्ग में रहकर अच्छा आशीर्वाद देते हैं, जिस घर में शांति आती है, सफलता मिलती है, उनका आशीर्वाद मिलता है, सुख समृद्धि होती है.

यहां पढ़ें...

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पिंडदान के लिए घर से करके जाएं ये काम, तभी मिलेगा पितरों को मोक्ष, नोट करें विधि

इंदिरा एकादशी को क्या करें ?

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि जो एकादशी का व्रत करते हैं, नियम है कि ब्रह्म मुहूर्त में उठें. पहले स्नान करें फिर एकादशी व्रत करने का संकल्प करें और व्रत शुरू करें. फिर सायं कालीन समय में जैसे तिल, जौ, गेहूं, फल, मीठा और दूध है इन सबका दान करें. जिससे पितर बहुत प्रसन्न होते हैं, पूरे परिवार की रक्षा करते हैं, कभी भी परिवार में उपद्रव नहीं करते हैं, घर को पुण्य लाभ मिलता है.

Indira Ekadashi Date: पितृ पक्ष चल रहा है और पितृ पक्ष में जो एकादशी पड़ रही है, वह बहुत ही खास एकादशी है. इस एकादशी में अगर आप अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो व्रत करने के साथ ही कुछ ऐसे कार्य कर लेंगे तो आपके पितृ बहुत प्रसन्न होंगे और आपके घर में आशीर्वाद प्रदान करेंगे. जिससे सुख समृद्धि बढ़ेगी.

कब है इंदिरा एकादशी ?

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं 'पितृ पक्ष चल रहा है और पितृपक्ष में इंदिरा एकादशी 28 सितंबर को पड़ रही है. दिन शनिवार है और यह बहुत ही विशेष एकादशी मानी जाती है. अश्वनी कृष्ण पक्ष एकादशी दिन शनिवार को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी में जो विधि विधान से व्रत करता है, तो उसे विशेष लाभ होता है, उसके पितर प्रसन्न होते हैं.

पितरों का करें उद्धार

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि इंदिरा एकादशी का जो व्रत करते हैं, तो बहुत पुण्य लाभ मिलता है, जैसे कन्यादान करने का जितना फल मिलता है, इंदिरा एकादशी का व्रत करने से उतना ही फल मिलता है. करोड़ों गायों का दान करने से जो पुण्य लाभ मिलता है, वो इंदिरा एकादशी का व्रत करने से मिलता है. इंदिरा एकादशी में ये विशेष होता है कि इसमें जो इंदिरा एकादशी का व्रत करते हैं, उनके जो पूर्वज पितर बने हैं, पितृ देवता बने हैं, उनका उद्धार हो जाता है. वो स्वर्ग में रहकर अच्छा आशीर्वाद देते हैं, जिस घर में शांति आती है, सफलता मिलती है, उनका आशीर्वाद मिलता है, सुख समृद्धि होती है.

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इंदिरा एकादशी को क्या करें ?

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि जो एकादशी का व्रत करते हैं, नियम है कि ब्रह्म मुहूर्त में उठें. पहले स्नान करें फिर एकादशी व्रत करने का संकल्प करें और व्रत शुरू करें. फिर सायं कालीन समय में जैसे तिल, जौ, गेहूं, फल, मीठा और दूध है इन सबका दान करें. जिससे पितर बहुत प्रसन्न होते हैं, पूरे परिवार की रक्षा करते हैं, कभी भी परिवार में उपद्रव नहीं करते हैं, घर को पुण्य लाभ मिलता है.

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