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मुहर्रम में क्यों बनाया जाता है ताजिया, किसकी शहादत की याद में मनाते हैं मातम - Muharram 2024

मुस्लिम को इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना कहा जाता है. बुधवार को मुस्लिम समुदाय के खास पर्व मुहर्रम का मनाया जाएगा. इस खास पर्व पर मुस्लिमों द्वारा ताजिया का निर्माण कराया जाता है, जिसके पीछे खास वजह है.

SIGNIFICANCE OF TAZIA ON MUHARRAM
मस्जिद-ए-अक्सा के नक्श पर बनाया ताजिया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 16, 2024, 3:57 PM IST

Updated : Jul 16, 2024, 7:22 PM IST

Muharram 2024: मध्य प्रदेश के राजगढ़ शहर में मुहर्रम पर्व पर मुस्लिम धर्मावलंबी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. उन्हीं में से एक हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताजियों का भी निर्माण किया जाता है. उसी क्रम में राजगढ़ शहर के किला मोहल्ले में भी एक ताजिए का निर्माण कराया गया है. जिसे मुस्लिम धर्मावलंबियो के पवित्र स्थलों में से एक मस्जिद-ए-अक्सा का रूप दिया गया है. वहीं इसे बनाने वाले ताजियादार का कहना है कि, 'हमारा सिर्फ एक ही उद्देश्य है दुनिया में अमन चैन व भाईचारा हो.'

मुहर्रम में क्यों बनाया जाता है ताजिया (ETV Bharat)

ताजिया निर्माण में लगा 1 महीना, सभी ने दिया साथ

ईटीवी भारत की टीम ने राजगढ़ शहर के किला मोहल्ले में स्थित इस इमाम बाड़े पर पहुंचकर मस्जिद-ए-अक्सा के नक्श पर बनाए जाने वाले इस ताजिए का निर्माण करने वाले इरशाद हुसैन से बात की, तो उन्होंने बताया कि, इस ताजिए का निर्माण करने में उन्हें लगभग एक माह का समय लगा है. इसमें हर वर्ग के लोगों ने उनका साथ दिया है. चाहे वे हिंदू हो या मुस्लिम सभी ने उनका साथ दिया है. साथ ही ताजियादारी को लेकर वो बताते हैं कि इस काम में हमारी पीढ़ियां बीत चुकी है.

साथ ही ताजिए को मस्जिद-ए-अक्सा के नक्शे पर बनाने को लेकर इसका उद्देश्य बताते हुए इरशाद हुसैन बताते हैं कि, 'मस्जिद-ए-अक्सा हमारा किब्ला-ए-अव्वल है. वही से हमारे पैगंबर मुहम्मद साहब को मैराज पर ले जाया गया था. व बुर्राक पर भी यही से सवार हुए थे और कई पैगम्बर की कब्र भी वहां मौजूद है.'

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हजरत इमाम हुसैन की शहादत में बनता है ताजिया

वही स्टेट टाइम के उनके पास रखे हुए घोड़े जिस पर ताजिया कसा जाता है के बारे में इरशाद हुसैन ईटीवी भारत को बताते हैं कि, 'स्टेट टाइम में पाटन जो यहां से लगभग दस किलोमीटर दूर है. वहां पर कुछ लीलगर परिवार निवास करते थे, जिनका काम कपड़ो को रंगने का था, वे लोग ताजिया बनाते थे. जब स्टेट टाइम में राजा वीरेंद्र सिंह ने देखा और उन लोगों से ताजिया निर्माण के बारे में जानकारी ली तो उन्हें पता चला की. यह ताजिया हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में निर्माण किया जाता है. तब उसे वे ही इसे राजगढ़ लेकर आए थे. जब से यह राजगढ़ में ही है. काफी सालों से इनकी खिदमत हमारे इमाम बाड़े में ही हो रही है.

Muharram 2024: मध्य प्रदेश के राजगढ़ शहर में मुहर्रम पर्व पर मुस्लिम धर्मावलंबी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. उन्हीं में से एक हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताजियों का भी निर्माण किया जाता है. उसी क्रम में राजगढ़ शहर के किला मोहल्ले में भी एक ताजिए का निर्माण कराया गया है. जिसे मुस्लिम धर्मावलंबियो के पवित्र स्थलों में से एक मस्जिद-ए-अक्सा का रूप दिया गया है. वहीं इसे बनाने वाले ताजियादार का कहना है कि, 'हमारा सिर्फ एक ही उद्देश्य है दुनिया में अमन चैन व भाईचारा हो.'

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ईटीवी भारत की टीम ने राजगढ़ शहर के किला मोहल्ले में स्थित इस इमाम बाड़े पर पहुंचकर मस्जिद-ए-अक्सा के नक्श पर बनाए जाने वाले इस ताजिए का निर्माण करने वाले इरशाद हुसैन से बात की, तो उन्होंने बताया कि, इस ताजिए का निर्माण करने में उन्हें लगभग एक माह का समय लगा है. इसमें हर वर्ग के लोगों ने उनका साथ दिया है. चाहे वे हिंदू हो या मुस्लिम सभी ने उनका साथ दिया है. साथ ही ताजियादारी को लेकर वो बताते हैं कि इस काम में हमारी पीढ़ियां बीत चुकी है.

साथ ही ताजिए को मस्जिद-ए-अक्सा के नक्शे पर बनाने को लेकर इसका उद्देश्य बताते हुए इरशाद हुसैन बताते हैं कि, 'मस्जिद-ए-अक्सा हमारा किब्ला-ए-अव्वल है. वही से हमारे पैगंबर मुहम्मद साहब को मैराज पर ले जाया गया था. व बुर्राक पर भी यही से सवार हुए थे और कई पैगम्बर की कब्र भी वहां मौजूद है.'

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वही स्टेट टाइम के उनके पास रखे हुए घोड़े जिस पर ताजिया कसा जाता है के बारे में इरशाद हुसैन ईटीवी भारत को बताते हैं कि, 'स्टेट टाइम में पाटन जो यहां से लगभग दस किलोमीटर दूर है. वहां पर कुछ लीलगर परिवार निवास करते थे, जिनका काम कपड़ो को रंगने का था, वे लोग ताजिया बनाते थे. जब स्टेट टाइम में राजा वीरेंद्र सिंह ने देखा और उन लोगों से ताजिया निर्माण के बारे में जानकारी ली तो उन्हें पता चला की. यह ताजिया हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में निर्माण किया जाता है. तब उसे वे ही इसे राजगढ़ लेकर आए थे. जब से यह राजगढ़ में ही है. काफी सालों से इनकी खिदमत हमारे इमाम बाड़े में ही हो रही है.

Last Updated : Jul 16, 2024, 7:22 PM IST
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