ETV Bharat / spiritual

महाकुंभ 2025: 41 साल से कल्पवास कर रहे हैं स्वामी दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी, सिर्फ चाय के सहारे करते हैं साधना - BABA DINESH SWAROOP

पिछले 41 साल से कल्पवास कर रहे महोबा निवासी स्वामी दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी महाकुंभ में पहुंचे हैं.

Photo Credit- ETV Bharat
महोबा निवासी दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी महाकुंभ में पहुंचे (Photo Credit- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 12, 2025, 5:46 PM IST

महाकुम्भ नगर: महाकुंभ में भक्ति, त्याग और साधना के अलग अलग रूप देखने को मिल रहे हैं. महाकुंभ में ऐसे ही एक कल्पवासी हैं दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी. स्वामी जी का संकल्प और त्याग सुन हर कोई आश्चर्यचकित है. वे सिर्फ चाय पीकर रहते हैं. भोजन करते ही नहीं है, इसीलिए उनका नाम पयहारी है. खास बात ये है कि उनके बनाए नोट्स पढ़कर अब तक काफी संख्या में उनके शिष्य और छात्र अफसर बन चुके हैं.

41 साल से कर रहे हैं कल्पवास: बुंदेलखंड के महोबा निवासी दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी के पिता एक विद्यालय में प्राचार्य थे. पिता की मृत्यु के बाद अनुकम्पा में शिक्षक की नौकरी मिली. वे गृहस्थ जीवन से ही विरक्त हो गए. दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी की कल्पवास की दुनिया भी अलग ही है. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करने के बाद वह अपनी पूजा आराधना करते हैं.

इसके बाद वह अपने हाथ से दंड धारण करने वाले 51 दंडी स्वामी साधुओं की लिए भोजन तैयार करते हैं. उन्हें भोजन कराते हैं, लेकिन खुद भोजन नहीं करते हैं. वह रात में जमीन पर सोते हैं. दिनेश स्वरूप बताते हैं कि वह 41 साल से वह कल्पवास कर रहे हैं. इस महाकुंभ में वह सबसे अधिक समय से कल्पवास करने वाले कल्पवासी हैं.

जबसे शुरू किया कल्पवास तबसे नहीं ग्रहण किया अन्न और जल: दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी बताते हैं कि आज से 41 साल पूर्व उन्होंने अखंड कल्पवास की शुरुआत की. उसी दिन से उन्होंने अन्न और जल त्याग दिया. सिर्फ चाय पीते हैं, इसलिए लोग उन्हें पयहारी के नाम से भी बुलाते हैं. उन्होंने जब यह संकल्प लिया तो डॉक्टरों ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन उन्होंने अपना संकल्प परिवर्तित नहीं किया. मौनी महराज की दो ओपन बाई पास सर्जरी हो चुकी हैं. 80 फीसदी हार्ट भी काम नहीं करता, इसके बावजूद वह पूरी तरह फिट हैं. खुद डॉक्टर भी उनके इस संकल्प से हैरान हैं.

कल्पवास में देते हैं अनोखा दान: कल्पवासी दिनेश स्वरूप के इष्ट देवता बाल जी भगवान देवता हैं. कल्पवासी क्षेत्र के सेक्टर 17 के नागवासुकी मार्ग के एक साधारण से शिविर में कल्पवास कर रहे दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी प्रतिदिन शिक्षा का दान देते हैं. शिविर में उनके मंदिर में बाला जी भगवान की तस्वीर के साथ पीसीएस परीक्षा में तैयारी करने के लिए पढ़ी जाने वाली हजारों पुस्तके मिलेंगी. दिनेश स्वरूप स्वयं बीएससी बायो है. अपने संकल्प को जीवन का मिशन बनाते हुए वह हर समय इन पुस्तकों से नोट्स बनाते रहते हैं.

छात्रों को नोट्स देते हैं दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी: इन नोट्स को वह प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगी छात्रों को प्रसाद के तौर पर देते हैं. उनके शिष्य और प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर रहे भारतेंदु बताते हैं कि मौनी महराज वन लाइनर नोट्स बनाकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आने वाले छात्रों को वितरित कर देते हैं. जो छात्र उनके पास नहीं आ पाते उन्हें इन नोट्स का पीडीएफ बनाकर व्हाट्सएप से शेयर कर देते हैं.

उनके दूसरे शिष्य विकास कहते हैं कि महराज ने एनसीआरटी की सभी किताबें और प्रशासनिक परीक्षा में पठनीय हजारों किताबें पढ़ी हैं जिसका निचोड़ है उनके नोट्स. अब तक कई दर्जन छात्र उनके नोट्स पढ़कर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर चुके हैं.

ये भी पढ़ें- महाकुंभ में 27 जनवरी को धर्म संसद; सनातन बोर्ड का तय होगा प्रारूप, देवकी नंदन ठाकुर ने PM-CM से मांगा मंजूरी का दान

महाकुम्भ नगर: महाकुंभ में भक्ति, त्याग और साधना के अलग अलग रूप देखने को मिल रहे हैं. महाकुंभ में ऐसे ही एक कल्पवासी हैं दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी. स्वामी जी का संकल्प और त्याग सुन हर कोई आश्चर्यचकित है. वे सिर्फ चाय पीकर रहते हैं. भोजन करते ही नहीं है, इसीलिए उनका नाम पयहारी है. खास बात ये है कि उनके बनाए नोट्स पढ़कर अब तक काफी संख्या में उनके शिष्य और छात्र अफसर बन चुके हैं.

41 साल से कर रहे हैं कल्पवास: बुंदेलखंड के महोबा निवासी दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी के पिता एक विद्यालय में प्राचार्य थे. पिता की मृत्यु के बाद अनुकम्पा में शिक्षक की नौकरी मिली. वे गृहस्थ जीवन से ही विरक्त हो गए. दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी की कल्पवास की दुनिया भी अलग ही है. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करने के बाद वह अपनी पूजा आराधना करते हैं.

इसके बाद वह अपने हाथ से दंड धारण करने वाले 51 दंडी स्वामी साधुओं की लिए भोजन तैयार करते हैं. उन्हें भोजन कराते हैं, लेकिन खुद भोजन नहीं करते हैं. वह रात में जमीन पर सोते हैं. दिनेश स्वरूप बताते हैं कि वह 41 साल से वह कल्पवास कर रहे हैं. इस महाकुंभ में वह सबसे अधिक समय से कल्पवास करने वाले कल्पवासी हैं.

जबसे शुरू किया कल्पवास तबसे नहीं ग्रहण किया अन्न और जल: दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी बताते हैं कि आज से 41 साल पूर्व उन्होंने अखंड कल्पवास की शुरुआत की. उसी दिन से उन्होंने अन्न और जल त्याग दिया. सिर्फ चाय पीते हैं, इसलिए लोग उन्हें पयहारी के नाम से भी बुलाते हैं. उन्होंने जब यह संकल्प लिया तो डॉक्टरों ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन उन्होंने अपना संकल्प परिवर्तित नहीं किया. मौनी महराज की दो ओपन बाई पास सर्जरी हो चुकी हैं. 80 फीसदी हार्ट भी काम नहीं करता, इसके बावजूद वह पूरी तरह फिट हैं. खुद डॉक्टर भी उनके इस संकल्प से हैरान हैं.

कल्पवास में देते हैं अनोखा दान: कल्पवासी दिनेश स्वरूप के इष्ट देवता बाल जी भगवान देवता हैं. कल्पवासी क्षेत्र के सेक्टर 17 के नागवासुकी मार्ग के एक साधारण से शिविर में कल्पवास कर रहे दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी प्रतिदिन शिक्षा का दान देते हैं. शिविर में उनके मंदिर में बाला जी भगवान की तस्वीर के साथ पीसीएस परीक्षा में तैयारी करने के लिए पढ़ी जाने वाली हजारों पुस्तके मिलेंगी. दिनेश स्वरूप स्वयं बीएससी बायो है. अपने संकल्प को जीवन का मिशन बनाते हुए वह हर समय इन पुस्तकों से नोट्स बनाते रहते हैं.

छात्रों को नोट्स देते हैं दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी: इन नोट्स को वह प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगी छात्रों को प्रसाद के तौर पर देते हैं. उनके शिष्य और प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर रहे भारतेंदु बताते हैं कि मौनी महराज वन लाइनर नोट्स बनाकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आने वाले छात्रों को वितरित कर देते हैं. जो छात्र उनके पास नहीं आ पाते उन्हें इन नोट्स का पीडीएफ बनाकर व्हाट्सएप से शेयर कर देते हैं.

उनके दूसरे शिष्य विकास कहते हैं कि महराज ने एनसीआरटी की सभी किताबें और प्रशासनिक परीक्षा में पठनीय हजारों किताबें पढ़ी हैं जिसका निचोड़ है उनके नोट्स. अब तक कई दर्जन छात्र उनके नोट्स पढ़कर प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल कर चुके हैं.

ये भी पढ़ें- महाकुंभ में 27 जनवरी को धर्म संसद; सनातन बोर्ड का तय होगा प्रारूप, देवकी नंदन ठाकुर ने PM-CM से मांगा मंजूरी का दान

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.