हैदराबाद : सनातन धर्म में मां बगलामुखी की पूजा-आराधना का विशेष महत्व है. वैशाख मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है. वैशाख मास शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को बगलामुखी प्रकटोत्सव के नाम से भी जाना जाता है. इस साल बगलामुखी जयंती 15 मई को है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी भक्त सच्चे मन से मां Baglamukhi की पूजा-आराधना करता है, उसके जीवन की सभी परेशानियां देवी मां हर लेती हैं.
देवी बगलामुखी की पूजा खासतौर पर कानूनी मामलों/विवादों और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए की जाती है. देवी मां को वल्गामुखी, वगलामुखी, Baglamukhi , पीताम्बरा, बगला आदि नामों से भी जाना जाता है. मां बालामुखी प्रकटोत्सव 15 मई के विशेष दिन सायाह्न सन्ध्या मुहूर्त शाम 06:41 बजे से 07:47 बजे तक है और गोधूलि मुहूर्त 06:40 बजे से 07:02 बजे तक है. Baglamukhi Jayanti , pitambara devi , devi Baglamukhi , 15 may , Pitambara shaktipeeth , Ma Baglamukhi .
- हर साल वैशाख मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती या प्रकटोत्सव मनाया जाता है.
- मां बगलामुखी की पूजा दस महाविद्या में से आठवीं महाविद्या के रूप में की जाती है.
- बगलामुखी का अर्थ है जो शत्रुओं को नियन्त्रित करने और स्तम्भित कर सकती हैं.
- देवी मां की साधना शत्रुओं को परास्त करने व समस्त प्रतियोगिताओं में विजय सफलता प्राप्त करने हेतु की जाती है।
- मां बगलामुखी की साधना से कानूनी मामलों/विवादों में विजय प्राप्त होती है।
- देवी मां की पूजा के लिए स्नानादि से निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करें.
- मान्यता है कि मां बगलामुखी की पूजा के लिए पीले चावल, पीले फूल, पीले वस्त्र का उपयोग करें.
- मां बगलामुखी पीले फूल और नारियल चढ़ाने से प्रसन्न होती हैं. शत्रुओं का नाश व विवादों में विजय प्राप्त होती है.
- मान्यता है कि मां बगलामुखी के सामने हल्दी की ढेरी पर दीपक जलाने से बाधाएं नष्ट हो जाती हैं व सफलता प्राप्त होती है.