सूरजपुर: 500 सालों के कठिन इंतजार के बाद श्री राम अपने मंदिर में विराजने वाले हैं. देश और दुनिया में जश्न का दौर चल रहा है. कहीं बिना रुके रामायण का पाठ हो रहा है. तो कहीं भक्त उलटे पैरों से अयोध्या दर्शन के लिए निकले हैं. राम भक्ति की लीला में लोग सुध बुध खोकर मर्यादा पुरुषोत्तम के चरणों में खुद को समर्पित कर देना चाहते हैं. छत्तीसगढ़ जो कभी कौशलपुर के नाम से पौराणिक काल में विख्यात था वहां से प्रभु राम मां सीता के साथ गुजरे थे. सूरजपुर में राम जानकी और लक्ष्मण के आने के निशान आज भी मौजूद हैं. हर दिन यहां हजारों भक्त सियाराम के निशान की एक झलक पाने को पहुंचते हैं. मान्यता है कि जो भी यहां आकर दर्शन करता है उसे जीवन में परमानंद की प्राप्ति हो जाती है.
रकसगंडा जलप्रपात पर रुके थे श्रीराम: मान्यता है कि वनवास के दौरान श्रीराम माता जानकी और लक्ष्मण के साथ सूरजपुर से होकर गुजरे थे. वनवास के दौरान सियाराम यहां रकसगंडा जलप्रपात पर रुके थे. कहा जाता है कि माता सीता ने यहां वनवास के दौरान पत्थरों पर कई भित्ती चित्र भी बनाए थे. सीता लेखनी के नाम से एक जगह भी यहां है जहां पर कहा जाता कि माता सीता ने पत्थरों पर कुछ लिखा था. रकसगंडा में ही लक्ष्मण जी के पांव के निशान भी मौजूद हैं. कहा जाता है कि जो भी भक्त इन पांव के निशान की पूजा सच्चे मन से करता है उसे परमानंद सुख की प्राप्ति प्रभु श्रीराम करवाते हैं.
रकसगंडा में रामजी ने किया था राक्षसों का वध: इतिहास और साहित्य के जानकार बताते हैं कि रकस का अर्थ होता है राक्षस और गंडा का मतलब होता है सैंकड़ों. मान्यताओं के मुताबिक श्री राम ने यहां सैंकड़ों राक्षसों का वध कर मुनियों को सुरक्षित किया था. रक्स और गंडा को मिलाकर ही यहां का नाम रकसगंडा पड़ा था. शोधकर्ता बताते हैं कि यहां का पत्थर पत्थर राम जी की कहानी बयां करता है. सीता लेखनी, राम लक्ष्मण पखना, कुदरगढ़, लक्ष्मण पयान, सरसोर बिलद्वार गुफा ये वो तमाम जगह हैं जहां पर श्रीराम ने वनवास के दौरान अपना वक्त बिताया. राज्य सरकार ने इन तमाम जगहों को संरक्षित करने के लिए राम वन गमन पथ से जोड़ा है.
रामजी के निशानियों को सहेजने की तैयारी: कभी दंडकारण्य का हिस्सा रहा सूरजपुर रामजी के वन गमन के निशानों से भरा पड़ा है. इतिहास को संरक्षित करने के लिए पुरात्व विभाग से लेकर इतिहास के जानकार तक जुटे हैं. सरकार की भी योजना है कि आने वाली पीढ़ियों को रामजी का इतिहास बताने के लिए उनके वन गमन के निशानों को सहेजा जाए. स्थानीय लोग कहते हैं कि रकसगंडा की सुंदरता और श्रीराम जानकी के निशान अगर आप यहां देख लें तो जी करेगा यहां बस जाएं. अख्तर अली, ईटीवी भारत, सूरजपुर