पटना: हिन्दू धर्म में श्रावण मास बहुत महत्वपूर्ण और आस्था से जुड़ा होता है. इस समय भगवान की भक्ति करने से सारे बिगड़े काम बनते हैं. श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी भी काफी महत्वपूर्ण है. इसे कामिका एकादशी भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से हर बिगड़े काम बनते हैं. विधि पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए. आचार्य मनोज मिश्रा से जानिए क्या है पूजा करने की विधि और महत्व?
विशेष फलदायी है कामिका एकादशीः आचार्य मनोज मिश्रा कहते हैं कि बुधवार 31 जुलाई को सावन महीने की एकादशी का व्रत किया जाएगा. इसका नाम कामिका एकादशी है. सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 30 जुलाई को संध्या 4:50 से शुरू होकर अगले दिन 31 जुलाई को 3:58 संध्या तक रहेगी. यह एकादशी व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है और विशेष फलदायी माना जाता है.
"कामिका एकादशी का व्रत पितृ (पूर्वजों) के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है. यह व्रत न केवल व्रती के पापों का नाश करता है, बल्कि उनके पितृ दोष को भी समाप्त करता है और पितरों को शांति प्रदान करता है." -आचार्य मनोज मिश्रा
पूजा विधि: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. दिनभर उपवास रखें. जल या फलाहार ग्रहण कर सकते हैं. भगवान विष्णु की पूजा करने के दौरान मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं, धूप, फूल, फल, और तुलसी पत्र अर्पित करें. विष्णु सहस्रनाम पाठ, विष्णु सहस्रनाम या विष्णु से संबंधित स्तोत्रों का पाठ करें. रात को जागरण कर भजन-कीर्तन करें और भगवान विष्णु के नाम का जाप करें. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिण दें. सामर्थ्य अनुसार गरीब को भी दान दें.
पितृ दोष का निवारण: कामिका एकादशी का व्रत करने से पितृ दोष का निवारण होता है. यदि किसी व्यक्ति के पूर्वजों की आत्मा अशांत है या उनकी कोई अधूरी इच्छाएं हैं तो इस व्रत के प्रभाव से उनकी आत्मा को शांति मिलती है.
पितरों का तर्पण: इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत के साथ-साथ पितरों का तर्पण करना भी बहुत लाभकारी माना जाता है. तर्पण के माध्यम से पितरों की आत्मा को संतोष और मुक्ति मिलती है. इस व्रत के दौरान विशेष रूप से पितृ तर्पण और पिंडदान का आयोजन करना चाहिए. पितरों को जल अर्पण करें और उनके नाम से दान करें।
मोक्ष प्राप्ति: कामिका एकादशी का व्रत करने से न केवल व्रती को बल्कि उनके पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु की कृपा से पितरों की आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिलता है. यह व्रत व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति दिलाता है.पितरों के आशीर्वाद से व्रती का जीवन सुखमय होता है और उनके सभी कार्य सफल होते हैं.
मान्यता और लाभः माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. यह व्रत मृत्यु के बाद मोक्ष प्रदान करने वाला होता है. धन और समृद्धि भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में धन और समृद्धि आती है. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है.
कामिका एकादशी की कथाः कामिका एकादशी के दिन एक पुरानी कथा का उल्लेख होता है. कथा के अनुसार एक बार एक ग्राम में ब्राह्मण और क्षत्रिय के बीच विवाद हो गया. उस विवाद में ब्राह्मण की मृत्यु हो गई और उसका हत्यारा क्षत्रिय पाप के भार से परेशान हो गया. अपने पापों के नाश के लिए उसने कई तीर्थों का दौरा किया और कई व्रत किए परंतु उसे शांति नहीं मिली. अंततः उसने नारद मुनि से सहायता मांगी. नारद मुनि ने उसे श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया. इस व्रत को करने के बाद क्षत्रिय के सभी पाप धुल गए और उसे परम शांति की प्राप्ति हुई.
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