Hariyali Teej 2024: सनातन धर्म में व्रत त्योहार और तिथियों का विशेष महत्व है. क्योंकि जिन तिथियां में व्रत, अनुष्ठान और पूजन संपन्न कराए जाते हैं वे किसी न किसी देवी देवताओं के अनुष्ठान से जुड़े होते हैं. इनमें से एक है हरियाली तीज. जिसमें पत्नी अपने पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को करती है. जानिए 2024 में कब है हरियाली तीज और क्या है इसका विशेष महत्व.
108 बार जन्म लेने के बाद हुआ था शिव-पार्वती का पुनर्मिलन
गणेश मठ बिछुआ के महामंडलेश्वर ज्योतिषाचार्य डॉक्टर वैभव अलोणी ने बताया कि ''पौराणिक काल में इच्छापूर्ति के लिए देवी देवता और असुर भी अपने इष्ट देव की लंबे समय तक आराधना करते थे. शिव महापुराण में उल्लेख आता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 108 बार जन्म लेकर कठोर तप किए थे. 108 बार के जन्म के दौरान सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को माता पार्वती विशेष पूजा अर्चन कर रही थीं, उसके बाद ही भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था. इस दिन उनका पुनर्मिलन हुआ था. तब से यह हरियाली तीज मनाई जाती है.''
श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है हरियाली तीज
पुराणों में कहा गया है कि, कोई भी व्रत, पूजन या अनुष्ठान निश्चित तिथि पर किया जाए तो उसके फल बेहद लाभकारी होते हैं. इसलिए श्रावण माह की तृतीया के दिन भगवान शिव और माता पार्वती सुहागिन स्त्रियों को अपना आशीष प्रदान करते हैं. यही वजह है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती के पूजन से सुहागिन स्त्रियों को सौभाग्यपूर्ण जीवन और उनके पतियों को लंबी आयु की प्राप्ति होती है. हरियाली तीज के दिन कुंवारी कन्याएं मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती है. वहीं सुहागिन महिलाओं द्वारा निर्जला व्रत किया जाता है.
हरे वस्त्रों से लेकर वनस्पतियों की पूजा का है विशेष महत्व
भगवान शिव को प्रकृति का देवता कहा जाता है. पहाड़ों और जंगलों में निवास करने वाले भगवान शंकर की उपासना भी प्रकृति की गोद में की जाती है. इसलिए माता पार्वती ने भी सभी तप और अनुष्ठान प्रकृति की गोद में किया था. जब प्रकृति हरियाली की चादर ओढ़ लेती है और वनस्पति धरती के गर्भ से बाहर निकल आते हैं तब इस तिथि में हरितालिका तीज मनाई जाती है. हिन्दू धर्म के सभी व्रतों में हरियाली तीज के व्रत को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. इस व्रत को मुख्य रूप से पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि तीज का दिन भगवान शिव और माँ पार्वती की उपासना करने के लिए श्रेष्ठ होता है. इस दिन शिव जी और माँ पार्वती के पूजन से सुहागिन महिलाओं को अपने पति की दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं. इस दिन महिलाओं को मायके से आने वाले वस्त्र और श्रृंगार ही धारण करने चाहिए.
7 अगस्त को मनाई जाएगी हरियाली तीज
ज्योतिष आचार्य डॉक्टर वैभव अलोणी ने बताया कि ''हरियाली तीज 7 अगस्त को मनाई जाएगी. हालांकि इसकी तिथि 6 अगस्त को प्रारम्भ हो जाएगी जो अगस्त शाम 07:52 बजे से दूसरे दिन 7 अगस्त 2024 को रात 10:05 बजे तक शुभ रहेगी. इसलिए व्रत 7 अगस्त को किया जाएगा. हरियाली तीज में भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है इसलिए सुहागिन स्त्रियों के लिए इसका विशेष महत्व होता है.
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क्या है पूजन विधि
इस व्रत को करने के लिए सुहागिन स्त्रियों को ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद मायके से आए हुए हरे श्रृंगार को धारण कर पूजा की तैयारी शुरू करना चाहिए. जिसके लिए शुद्ध मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण करने के बाद उन्हें एक पटे पर विराजित करें. फिर हरी वनस्पतियों से पूजा करने के साथ निर्जला व्रत की शुरुआत करें. दिन भर और रात में भजन कीर्तन करने के साथ रात्री पूजा समस्त सामग्रियों के सामने करने के बाद इस पूजा का विशेष लाभ प्राप्त होता है. दूसरे दिन भगवान की विदाई पूरी परंपरा के अनुसार करें. हवन अनुष्ठान करने के बाद किसी भी जल स्रोत में पूजन सामग्री का विसर्जन करें और अपने पति को भोजन कराने के बाद पत्नियां भोजन करें. इससे सुहागिनों की मनचाही इच्छा पूरी होती है.