हैदराबादः 3 अक्टूबर से नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि का त्योहार प्रारंभ हो रहा है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. भारत सहित दुनिया भर में हिंदू धर्मावलंबी श्रद्धा के साथ त्योहार मनाते हैं. नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि का समपान दशहरा के साथ होता है. दशहरा को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है.
नवरात्रि कैलेंडर 2024 | |||
---|---|---|---|
तारीख | दिन | त्योहार | तिथि |
3 अक्टूबर 2024 | गुरुवार | घटस्थापना | प्रतिपदा |
4 अक्टूबर 2024 | शुक्रवार | मां ब्रह्मचारिणी पूजा | द्वितीया |
5 अक्टूबर 2024 | शनिवार | मां चंद्रघंटा पूजा | तृतीया |
6 अक्टूबर 2024 | रविवार | मां कुष्मांडा पूजा | चतुर्थी |
7 अक्टूबर 2024 | सोमवार | मां स्कंदमाता पूजा | महा पंचमी |
8 अक्टूबर 2024 | मंगलवार | मां कात्यायिनी पूजा | महाषष्ठी |
9 अक्टूबर 2024 | बुधवार | मां कालरात्रि पूजा | महा सप्तमी |
10 अक्टूबर 2024 | गुरुवार | मां महागौरी पूजा | महाअष्टमी |
11 अक्टूबर 2024 | शुक्रवार | मां सिद्धिदात्री पूजा | महानवमी |
12 अक्टूबर 2024 | शनिवार | विजयदशमी | दशमी |
दशहरा, भगवान राम के द्वारा रावण पर विजय का जश्न मनाने वाला मुख्य हिंदू त्योहार है. यह देवी दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर विजय और नवरात्रि के समापन के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है. सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व का है महत्वपूर्ण त्योहार है. भारत ही नहीं पूरी दुनिया में हिंदू धर्म के अनुयायी हर्षोल्लास और जोश के साथ मनाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार आमतौर पर दशहरा अश्विन या कार्तिक महीने के दसवें दिन होता है.
दशहरा 2024 कब है: तिथि और समय
दशहरा नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि उत्सव का समापन है. हिंदू पंचांग के अनुसार यह त्योहार अश्विन या कार्तिक माह के 10वें दिन पड़ता है. 12 अक्टूबर 2024 (शनिवार) को दशहरा मनाया जाएगा. द्रिक पंचांग के दिन अलग-अलग अनुष्ठानों और समारोहों समय इस प्रकार है:
विजयादशमी 2024 का समय | |||
---|---|---|---|
कार्यक्रम | तिथि | दिन | समय |
दशमी तिथि प्रारंभ | 12 अक्टूबर 2024 | शनिवार | सुबह 10:58 बजे से |
दशमी तिथि समाप्त | 13 अक्टूबर 2024 | रविवार | सुबह 09:08 बजे से |
श्रवण नक्षत्र प्रारंभ | 12 अक्टूबर 2024 | शनिवार | सुबह 05:25 बजे |
श्रवण नक्षत्र समाप्त | 13 अक्टूबर 2024 | रविवार | सुबह 04:27 बजे से |
विजय मुहूर्त | 12 अक्टूबर 2024 | शनिवार | दोपहर 02:03 बजे से 02:49 बजे तक |
अपराहण पूजा का समय | 13 अक्टूबर, 2024 | रविवार | दोपहर 01:17 बजे से 03:35 बजे तक |
दशहरा का क्या है धार्मिक महत्व
हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार दशहरा मनाने का एक मुख्य कारण भगवान राम की राक्षस राजा रावण पर विजय के उत्सव को याद करना है. धार्मिक मामलों के जानकारों के अनुसार अयोध्या के राजकुमार राम अपनी पत्नी सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाते हैं, जिसने उनका अपहरण कर लिया था. जिस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया, उस दिन को दशहरा मनाया जाता है. यह त्योहार बुराई (रावण) पर अच्छाई (राम) की जीत का प्रतीक है.
दशहरा मनाने का एक और कारण भैंस राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का सम्मान करना है. यह कहानी नवरात्रि के त्यौहार का मुख्य आकर्षण है, जिसका समापन दशहरा के रूप में होता है. दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध बुराई पर अच्छाई की जीत और सत्य और धर्म की जीत का प्रतिनिधित्व करता है.
दशहरा से सांस्कृतिक परंपराएं जुड़ी हुई है. इस अवसर पर रामलीला प्रदर्शन किया जाता है. इसमें रामायण का नाटकीय मंचन किया जाता है. कई इसे 10 दिनों में प्रदर्शित किया जाता है. भगवान राम द्वारा रावण का वध के साथ समाप्त होता है. अंतिम दिन, दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों को जलाया जाता है. इस अवसर कई जगहों पर डांडिये का आयोजन किया जाता है. गुजरात का डांडिया देश भर में सबसे ज्यादा मसहूर है.