हैदराबादः दिवाली के ठीक बाद पड़ने वाली एकादशी को देवउत्थान एकादशी कहते हैं. पवित्र धर्म ग्रंथ वेद-पुराणों के अनुसार एकादशी को जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद जागते हैं. इस दिन से चतुर्मास समाप्त हो जाता है और सभी प्रकार शुभ कार्य जैसे मुंडन संस्कार, शादी-विवाह, गृह-प्रवेश सहित अन्य कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. इस साल 12 नवंबर दिन मंगलवार को देवउठनी एकादशी पड़ रही है. इसे देव प्रबोधनी एकादशी और देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है. इसके अगले दिन तुलसी विवाह होता है.
देवउठनी एकादशी का महत्वः
धार्मिक मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु आराम करने के लिए चले जाते हैं. 4 माह के बाद विष्णु भगवान देवउत्थान एकादशी तिथि को जगते हैं और जगत के कार्य को देखते हैं. मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से देवउत्थान एकादशी तक शुभ कार्य करने से भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं. 12 नवंबर को देवउत्थान एकादशी है. इस तिथि के बाद सभी शुभ प्रकार के कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. एकादशी के बाद शादी-विवाह जैसे रुके हुए सभी कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. शादी-विवाह की खरीदारी के कारण बाजार में भी रौनक आने लगती है.
कब है तुलसी विवाह
देवउठनी एकादशी के अलगे दिन यानि द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह पड़ता है. इस साल 13 नवंबर को है. माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के अवतार शालीग्राम होता है. इस आयोजन को तुलसी विवाह उत्सव के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार घर में तुससी विवाह के आयोजन से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है. इस कारण कार्तिक मास में तुलसी पूजन काफी फलदायी माना जाता है.
देवउत्थान एकादशी
- देवउत्थान एकादशी तिथि 12 नवंबर 2024, मंगलवार
- एकादशी तिथि प्रारंभः 11 नवंबर 2024 को शाम 6 बजकर 46 मिनट से
- एकादशी तिथि समापनः 12 नवंबर 2024 को 4 बजकर 04 मिनट तक
- देवउत्थान एकादशी का पारणः 13 नवंबर 2024
- देवउत्थान एकादशी पारण का समयः सुबह 6 बजकर 14 मिनट से 8 बजकर 25 मिनट तक
- पारण तिथि के दिन द्वादशी समापन का समयः दोपहर 01 बजकर 01 मिनट पर
देवउठनी एकादशी का शुभ समय
- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 21 मिनट तक
- प्रातः सन्ध्या- सुबह 4 बजकर 55 मिनट से 6 बजकर 13 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 20 मिनट से दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक
- विजय मुहूर्त- दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से 2 बजकर 16 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त- दोपहर 5 बजकर 11 मिनट से 5 बजकर 37 मिनट तक
- सायाह्न सन्ध्या दोपहर 5 बजकर 11 मिनट से शाम 6 बजकर 29 मिनट
- अमृत काल-13 नवंबर को सुबह 1 बजकर 19 मिनट से 2 बजकर 46 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त-12 नवंबर को रात 11 बजकर 16 मिनट से 13 नवंबर को सुबह 12 बजकर 08 मिनट तक
- सर्वार्थ सिद्धि योग 12 नवंबर को सुबह 7 बजकर 52 मिनट से 13 नवंबर को सुबह 5 बजकर 40 मिनट तक
- रवि योग 12 नवंबर को सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट तक
देवउठनी एकादशी पर एक साथ कई मुहूर्त
2024 में देवउठनी एकादशी एक साथ कई शुभ संयोग बनता दिख रहा है. ज्योतिष विज्ञान में अस काफी फलदायी माना जाता है. द्रिक पंचांग के अनुसार इस बार 12 नवंबर को देवउठान एकादशी के दिन सुबह 7 बजकर 10 मिनट तक हर्षण योग बन रहा है. पूरे दिन व्रज योग रहेगा. वहीं रवि योग 12 नवंबर को सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट तक है. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग 12 नवंबर को सुबह 7 बजकर 52 मिनट से 13 नवंबर को सुबह 5 बजकर 40 मिनट तक है.
कब है देवउठनी एकादशी
द्रिक पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर 2024 को शाम 6 बजकर 46 मिनट से प्रारंभ हो रहा है. वहीं एकादशी तिथि का समापन 12 नवंबर 2024 को 4 बजकर 04 मिनट पर हो जायेगा. इस कारण उदया तिथि के हिसाब से 12 नवंबर को एकादशी तिथि मनाई जायेगी.
देवउठनी एकादशी के दिन राहुकाल का साया
हिंदू पंचांग के अनुसार राहुकाल को अशुभ माना जाता है. इस अवधि में शुभ कार्य करने की मनाही होता है. यानि इस दौरान शुभ कार्य वर्जित माना जाता है. इस साल देवउठनी एकादशी के दिन दोपहर 2.46 से शाम 4.07 मिनट तक राहुकाल रहेगा. वहीं इस दिन सुबह 6.41 बजे से शाम 4.04 बजे तक रहेगा.
एकादशी व्रत के पारण का समयः द्रिक पंचांग के अनुसार 13 नवंबर 2024 तो देवउठनी एकादशी व्रत का पारण होगा. देवउत्थान एकादशी पारण का समयः सुबह 6 बजकर 14 मिनट से 8 बजकर 25 मिनट तक तक है. पारण के समय में अलग-अलग स्थानों पर अंतर संभव है.